नई दिल्ली: ग्लोबल आइडेंटिटी सिक्योरिटी कंपनी CyberArk द्वारा कंडक्ट किए गए एक सर्वे से ये जानकारी सामने आई है कि एजेंसी द्वारा सर्वे किए गए 91 प्रतिशत इंडियन ऑर्गेनाइजेशन ने पिछले एक साल में रैंसमवेयर अटैक्स को एक्सपीरिएंस किया है. रैंसमवेयर अटैक ऐसे अटैक होते हैं जिनमें मैलवेयर के जरिए फाइल्स का एक्सेस बंद कर दिया जाता है और एक्सेस देने के बदले पैसे की मांग की जाती है.
रिपोर्ट में दावा किया गया है कि सर्वे में शामिल हुए 10 में नौ (91 प्रतिशत- 2022 की रिपोर्ट से 70 प्रतिशत ज्यादा) ने पिछले साल रैनसमवेयर अटैक एक्सपीरिएंस किया है और रिपोर्ट के मुताबिक प्रभावित हुए करीब 55 प्रतिशत ऑर्गेनाइजेशन्स ने रिकवरी के लिए दोगुनी या ज्यादा कीमत चुकाई है, जिससे ये माना जा सकता है कि वे संभावित रूप से डबल एक्सटॉर्शन कैंपेन के शिकार थे.
रिपोर्ट की फाइंडिंग में 2023 में आइडेंटिटी और साइबरसिक्योरिटी के अपकमिंग कंसर्न के बारे में भी जानकारी दी गई है. रिपोर्ट में कहा गया है कि सर्वे में शामिल हुए 61 प्रतिशत सिक्योरिटी प्रोफेशनल्स ये मानते हैं कि 2023 में AI-इनेबल्ड थ्रेट्स उनके ऑर्गेनाइजेशन को प्रभावित कर सकते हैं. इनमें से भी सबसे ज्यादा चिंता AI-पावर्ड मैलवेयर की है.
इंडियन ऑर्गेनाइजेशन्स का क्या है सोचना?
100% इंडियन आर्गेनाइजेशन को 2023 में आइडेंटिटी रिलेडिटी कॉम्प्रोमाइज की उम्मीद है. वहीं, 61 प्रतिशत को AI-इनेबल्ड अटैक का अनुमान है. इसी तरह 80 प्रतिशत का मानना है कि लेऑफ से भी नए साइबरसिक्योरिटी के मुद्दे क्रिएट हो सकते हैं.
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