- पिछले 90 दिनों में अलग-अलग थानों में दर्ज हुए इस तरह के 80 मामले, मरने वाले युवा अधिक
उज्जैन। शहर तथा जिले में प्रतिदिन जहर खाकर या फांसी लगाकर आत्महत्या करने क ा एक मामला थानों में दर्ज हो रहा है। पुलिस रिकार्ड के अनुसार पिछले डेढ़ माह अर्थात 90 दिन में ही इस तरह के 80 प्रकरण अलग-अलग थानों में दर्ज किए गए है। आखिर आत्महत्या के यह मामले क्यों बढ़े हैं..इसका मुख्य कारण है बेरोजगारी और आर्थिक तंगी। परिवार का पोषण नहीं करने से परेशान लोग आत्महत्या करने में सबसे आगे हैं। एसपी कार्यालय से मिली जानकारी के मुताबिक पिछले डेढ़ माह के अंतराल में जिले के शहरी और देहात थानों में जहर खाने और फांसी लगाने जैसे प्रकरण करीब-करीब रोज दर्ज हुए है। रिकार्ड के अनुसार बीते 90 दिनों के अंदर ही विभिन्न थानों में इस तरह की 80 घटनाएं हुई है और मामले दर्ज हुए है। हैरत की बात यह है कि इन 80 घटनाओं में जहर खाकर या फांसी लगाकर जान देने वाले लोगों में युवाओं की संख्या अधिक है।
पुलिस के मुताबिक इनमें कई मामले ऐसे जिसमें युवाओं में आर्थिक तंगी, कर्ज या फिर पारिवारिक विवाद से परेशान होकर जहर खाया है या फांसी लगाई है। जिला अस्पताल के मनोरोग विभाग में चिकित्सक डॉ. विनीत गुप्ता बताते है कि कोरोनो काल के बाद से जिस तरह लोगों और खासकर युवाओं में डिप्रेशन के मामले बढ़े है वह अभी भी कम नहीं हुए है। कोरोना के पहले ओपीडी में इस तरह के प्रतिदिन लगभग 25 से 30 मरीज मानसिक रोगों का उपचार कराने आते थे। इनमें भी ज्यादातर वह मरीज रहते थे जो लंबे समय से इलाज करा रहे हैं। परंतु पिछले 3 सालों में ओपीडी में इस तरह के मरीजों का आंकड़ा बढ़कर अब रोजाना 40 से 45 तक पहुंच गया है। आत्महत्या के कारणों में डिप्रेशन भी एक बड़ा कारण रहता है। इसका सही इलाज जरुरी है। Share:
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