चंडीगढ़ । कांग्रेस सांसद कुमारी सैलजा (Congress MP Kumari Sailja) ने कहा कि भाजपा शासित राज्यों में (In BJP ruled States) दलित उत्पीड़न की घटनाएं बढ़ रही हैं (Incidents of Dalit oppression are Increasing) ।
अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी की महासचिव, पूर्व केंद्रीय मंत्री एवं सिरसा की सांसद कुमारी सैलजा ने कहा कि भाजपा शासित राज्यों में दलित उत्पीड़न की घटनाएं बढ़ी हैं जिन्हें रोकने में सरकारें नाकाम साबित हो रही है इतना ही नहीं दलितों की सुनवाई तक नहीं हो रही है। भाजपा सरकार वाले राज्य कुछ समय से दलितों पर अत्याचार की प्रयोगशाला बनकर रहे गए है। आरक्षित पदों पर नियुक्तियां नहीं की जा रही है। चुनाव के समय ही दलितों को रिझाने के लिए घोषणाएं की जाती है चुनाव के बाद उन्हें भूलकर उनका उत्पीड़न किया जाता है।
मीडिया का जारी बयान में सांसद कुमारी सैलजा ने कहा कि ओडिशा में आदिवासी महिलाओं को धर्मांतरण के नाम पर पीटा गया, मध्यप्रदेश में दलित युवक थाने से जिंदा वापस नहीं लौटा। यह दोनों घटनाएं भाजपा शासित राज्यों में हुई हैं। सवाल यह उठता है कि आखिर क्यों भाजपा शासित राज्यों में दलितों और आदिवासियों पर अत्याचार की घटनाएं लगातार बढ़ रही हैं? दलितों पर अत्याचार की घटनाएं तो पूरे देश में हो रही हैं लेकिन हरियाणा खासकर भाजपा शासित राज्यों में पिछले कुछ समय से दलित महिलाओं से बलात्कार की वरदातों बढ़ी है तो ये राज्य दलितों पर अत्याचार की प्रयोगशाला बन गए है। यहां का दलित समुदाय साधनहीन है। छोटी-मोटी नौकरी करके या भू-स्वामियों के खेतों में मजदूरी कर अपना गुजारा करता है। उन्होंने कहा कि दलितों के लिए भारतीय संविधान में दर्ज जनवादी अधिकारों का यहां कोई मायने नहीं है।
उन्होंने कहा कि हरियाणा में करीब 22 प्रतिशत दलित वोटर हैं। जाट और जाट सिख बिरादरी के करीब 29 प्रतिशत मतदाताओं के बाद दलित ही सूबे में दूसरा बड़ा वोट बैंक हैं। यहां पर सभी भाईचारे के साथ रहते है पर कुछ लोग आए दिन इस भाईचारे पर प्रहार करते रहते है। दलितों पर अत्याचार होता है पर सत्ता मौन साध लेती है। सरकार के मौन साधने से दलितों पर अन्याय जारी रहता है। क्या कमजोर और पिछड़े वर्गों पर अत्याचार ही सबका साथ, सबका विकास की नई परिभाषा है? उन्होंने कहा कि प्रदेश में हर स्तर पर दलित समुदाय को अपमानित और प्रताड़ित किया जाता है। उन्होंने कहा कि आज दलित सिर उठाकर जीना चाहता है। पर कुछ लोगों को यह स्वीकार्य नहीं है। दलित संसाधनों के मालिकाना से वंचित हैं। उन्होंने कहा कि दलित उत्पीड़न की वारदातों पर अंकुश लगाने के लिए सरकार को ठोस कदम उठाना चाहिए।
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