रायपुर। छत्तीसगढ़ (Chhattisgarh) के जंगलों में लगातार आगजनी की घटनाएं (fire incidents) सामने आ रही हैं। छत्तीसगढ़ वन विभाग (Forest department) के आधिकारिक आंकड़ों के मुताबिक साल 2022 में अब तक 8833 जगहों पर आग लगने की घटना सामने आई हैं। वहीं अकेले बीते दो रोज में ही आग लगने की 800 से ज्यादा घटनाएं सामने आ चुकी हैं। वनकर्मी के हड़ताल के कारण समस्या और भी अधिक बड़ी हो गई है. जंगलों में लगा आग बुझाना सरकार और प्रशासन के लिए एक बड़ी चुनौती बन गया है।
वनकर्मियों से हड़ताल खत्म करने की मांग
जंगलों में आग लगने की घटनाएं बढ़ने को लेकर वन प्राणी संरक्षक भी चिंता जाहिर कर रहे हैं. एनवायरमेंट एक्टिविस्ट नीतिन सिंघवी कहते हैं गर्मी के दिनों में जंगलों में आग लगने की घटनाएं सबसे ज्यादा होती हैं. इन घटनाओं को रोके जाने के लिए जरुरी है कि वनकर्मियों की हड़ताल जल्द से जल्द खत्म की जाए।
वनकर्मियों ने आंदोलन को बताया मजबूरी
21 मार्च से आंदोलन कर रहे वनकर्मियों ने भी जंगलों में आग को लेकर चिंता जाहिर की है, लेकिन आंदोलन को उन्होंने अपनी मजबूरी बताया है. आंदोलनरत वन कर्मीसंघ के प्रवक्ता ने कहा कि वेतन विसंगति और नियमितीकरण की मांगों को लेकर कई सालों से अपनी मांग सरकार के सामने रखते रहे हैं. उनकी कोई सुनवाई नहीं हुआ इस कारण उन्हें मजबूरन आंदोलन करना पड़ रहा है।
साल 2022 में अब तक आई घटनाएं
सबसे ज्यादा प्रभावित जिले- बलरामपुर-437, बीजापुर- 1045, कोरिया-580, मनेन्द्रगढ़-404, सुकमा- 617, सूरजपुर- 250
अन्य जिलेवार आंकड़े- बालोद 48, बलौदाबाजार 59, बलरामपुर 437, बस्तर 168, बीजापुर 1045, बिलासपुर 9, दंतेवाड़ा 63, धमतरी 156, धरमजयगढ़ 68, पूर्वी भानूप्रतापपुर 153, गरियाबंद 186, जांजगीर-चांपा 9, जशपुर 108, कांकेर 85, कटघोरा 30 कवर्धा 49, केशकाल 58, खैरागढ़ 247, कोरबा 112, कोरिया 580, महासमुंद 117, मनेंद्रगढ़ 404, मरवाही 12, मुंगेली 5 नारायणपुर 145, रायगढ़ 217, रायपुर -2, राजनांदगांव 152 दक्षिण कोंडागांव 78, सुकमा 617, सूरजपुर 250
बीते 6 सालों में जंगल में आग लगने के आंकड़े
साल 2021 में आग लगने की 22191 घटनाएं हुईं
साल 2020 में आग लगने की 4713 घटनाएं हुईं
साल 2019 में आग लगने की 17835 घटनाएं हुईं
साल 2018 में आग लगने की 23091 घटनाएं हुईं
साल 2017 में आग लगने की 33179 घटनाएं हुईं
साल 2016 में आग लगने की 1745 घटनाएं हुईं
क्यों लगती है जंगलों में आग
बढ़ती गर्मी के अलवा जंगलों में आग लगने का मुख्य कारण विस्फोटक या आग लगने वाली सामग्री का फेंका जाना है. इसके अलावा आदिवासी इलाकों में महुआ बीनने के लिए जंगलो में आग लगाई जाती है, जो कई बार काबू से बागर हो जाती है. इससा खामयाजा जंगलों और वन्य जीवों को उठाना पड़ता है।
आग को रोकना जरूरी
जंगलों में आग की घटनाओं से जहां वन्यजीवों का जीवन खतरे में हैं, वहीं इनकी आड़ में अवैध शिकार और तस्करी की घटनाएं भी बढ़ती हैं. ऐसे में जरुरी है कि जल्द ही ठोस कदम उठाए जाएं, जिससे जंगलों का राख होने से रोका जा सकते. अगर ऐसा नहीं हुआ तो इसके दूरगानी परिणाम खराब हो सकते है, जिसका असर प्रदेश के साथ-साथ आसपास के मानव जीवन पर भी पड़ सकता है।
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