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    बॉयो सीएनजी प्लांट का लोकार्पण, इंदौर आज रचेगा इतिहास

  • February 19, 2022

    मोदीजी के मिशन को किया साकार
    20 राज्यों के स्वच्छता मिशन डायरेक्टर, केंद्रीय मंत्रालय के सचिव सहित प्रदेश के मंत्री रहेंगे मौजूद
    इंदौर।
    वेस्ट टू वेल्थ (Waste to Wealth), यानी कचरे से कमाई की जिस अवधारणा को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (Prime Minister Narendra Modi) ने स्वच्छता मिशन (Sanitation Mission) के साथ देश को दिया उसे सिर्फ इंदौर (Indore) ने साकार किया है। आज 550 मीट्रिक टन क्षमता का बॉयो सीएनजी प्लांट (Bio CNG Plant) मोदीजी द्वारा लोकार्पित किया जा रहा है, जिसके साथ स्वच्छता और पर्यावरण की दिशा में इंदौर एक नया इतिहास रचने जा रहा है। 150 करोड़ रुपए का यह सीएनजी प्लांट एशिया का न सिर्फ पहला प्लांट है, बल्कि इससे रोजाना 17500 किलो सीएनजी मिलेगी। वहीं निगम को ढाई करोड़ रुपए सालाना प्रीमियम के रूप में हासिल होंगे।
    आज दोपहर 12 बजे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी वेस्ट टू वेल्थ गोबर धन योजना का वर्चुअली लोकार्पण कर रहे हैं। उनके साथ मुख्यमंत्री शिवराजसिंह चौहान (Chief Minister Shivraj Singh Chouhan) भी भोपाल से वर्चुअल जुड़ेंगे, जबकि इंदौर में प्रभारी और गृहमंत्री डॉ. नरोत्तम मिश्रा ( In-charge and Home Minister Dr. Narottam Mishra), जल संसाधन मंत्री तुलीसराम सिलावट, संस्कृति मंत्री उषा ठाकुर, भारत सरकार के राज्यमंत्री कौशल किशोर, प्रदेश शासन के राज्यमंत्री ओपीएस भदौरिया सहित अन्य जनप्रतिनिधि मौजूद रहेंगे। कलेक्टर मनीष सिंह (Collector Manish Singh ) के मुताबिक इंदौर नगर निगम द्वारा जो कचरा सेग्रीगेट किया जाता है वह उत्तम क्वालिटी का होने के चलते ही नई दिल्ली की आईईआईएसएल ने 150 करोड़ रुपए के प्लांट को स्थापित करने का निर्णय लिया और मात्र 15 महीने में यह प्लांट तैयार हो गया। रोजाना 550 टन गीले कचरे का निपटान इससे होगा। नतीजतन इंदौर की वायु गुणवत्ता सुधार की दिशा में भी यह प्लांट मील का पत्थर साबित होगा। आज एक से दो बजे के बीच प्रधानमंत्री वर्चुअल इसका लोकार्पण कर रहे हैं। 20 राज्यों के स्वच्छता मिशन डायरेक्टर सहित भारत सरकार के केंद्रीय शहरी विकास मंत्रालय के सचिव मनोज जोशी भी मौजूद रहेंगे। निगमायुक्त प्रतिभा पाल (Municipal Commissioner Pratibha Pal) के मुताबिक निगम ने देवगुराडिय़ा स्थित ट्रेंचिंग ग्राउंड पर 15 एकड़ जमीन इस प्लांट के लिए उपलब्ध करवाई और यहां बनने वाली सीएनजी बाजार दर से 5 रुपए कम पर निगम को प्राप्त होगी। यह प्लांट जीरो लैंडफील मॉडल पर आधारित है।


    6 लाख से ज्यादा घरों से रोजाना इकट्ठा होता है कचरा…
    निगमायुक्त प्रतिभा पाल ने बताया कि इंदौर एकमात्र ऐसा शहर है, जहां केंद्र की गाइड लाइन के मुताबिक 6 तरह के कचरे को अलग-अलग किया जाता है। रोजाना नगर निगम की कचरा गाडिय़ां 6 लाख से अधिक घरों के साथ-साथ दुकानों और अन्य व्यावसायिक प्रतिष्ठानों से कचरा एकत्रित करती हैं। पीपीपी मॉडल पर ही सूखे कचरे के वैज्ञानिक तरीके से निपटान के लिए भी 300 टन रोजाना क्षमता का प्लांट नेप्रा कंपनी द्वारा स्थापित किया गया है। उससे भी निगम को डेढ़ करोड़ रुपए हर साल प्रीमियम के रूप में प्राप्त हो रहे हैं। इतना ही नहीं, एसटीपी से निकलने वाली गाद, यानी स्लज के लिए भी एक अत्याधुनिक प्लांट कबीटखेड़ी में स्थापित किया जा रहा है। भाभा एटॉमिक रिसर्च सेंटर के तकनीकी सहयोग से 20 करोड़ रुपए की लागत वाले इस 100 टीपीडी क्षमता के स्लज हाईजिनाइजेशन प्लांट की स्थापना के लिए कोबॉल्ट-60 गामा रेडिएशन का प्रयोग किया जाएगा। इसकी भी प्रक्रिया शुरू हो गई है और 5 करोड़ रुपए मूल्य का कोबाल्ट-60 बार्क ने निगम को नि:शुल्क उपलब्ध कराया है। वहीं प्लास्टिक कचरे के निपटान से भी निगम सालाना 8 लाख रुपए की आय प्राप्त कर रहा है।


    प्रधानमंत्री ने दो घंटे शहर को पढ़ा… अब पूरा देश कचरे का चमत्कार समझने इंदौर आएगा
    देश ही नहीं, बल्कि पूरी दुनिया के लिए हमारा शहर सबक बन गया है… सबक सोच का, सबक दृढ़ता, कर्मठता, जागरूकता और जिद का… सबक करते रहने, आगे बढऩे और वो कर गुजरने का, जो कोई सोच भी नहीं सकता…स्वच्छता अभियान में लगातार जीत हमारी जिद का परिणाम है…लेकिन इस जिद ने ऐसे-ऐसे चमत्कार कर दिखाए कि अब पूरा देश दांतों तले अंगुलियां दबाएगा…क्योंकि हमने कचरे को कमाई का जरिया बना लिया है…कचरे से शहर सजा लिया है… कचरे की ईंटों से घर बना लिया है…पेवर बनाकर सडक़ों की धूल को मिटा दिया है…लेकिन अब तो कचरे से चमत्कार रच दिया है…आज पूरा देश तब इस चमत्कार को देखेगा, जब कचरे से ईंधन बनाने के एशिया के सबसे बड़े प्लांट का प्रधानमंत्री लोकार्पण करेंगे…हम अब कचरे से बॉयो गैस बनाएंगे… गाडिय़ां दौड़ाएंगे…बसें चलाएंगे…पर्यावरण का प्रदूषण मिटाएंगे और पैसा भी बचाएंगे…इंदौर के इस चमत्कार के चर्चे जब दुनियाभर में जाएंगे तो देशभर के लोग कतार लगाकर हमारी इस कर्मठता का सबक सीखने आएंगे… इस शहर के लोगों का सीना यह जानकर चौड़ा हो जाना चाहिए कि देश के प्रधानमंत्री ने दो घंटे तक इंदौर के प्रशासन से इस कचरे की कमाई की यात्रा के पल-पल को जाना और समझा कि कैसे हमने शहर को साफ किया…कैसे घरों का कचरा प्लांट तक पहुंचा और प्लांट से निकलकर उपयोगी बनकर इस हद तक पहुंचा कि अब कचरा केवल खाद तक नहीं सिमटेगा, बल्कि कचरे से ईंधन भी बनेगा…देश के प्रधानमंत्री ने खुद नहीं सोचा होगा कि वे स्वच्छता अभियान का नारा लगाएंगे और देश का सबसे जागरूक शहर खुद को स्वच्छ ही नहीं इतना समझदार बनाएगा कि लगातार पांच बार स्वच्छता का खिताब पाएगा… और छठी बार के लिए बड़ा दावेदार बन जाएगा… उनकी यह सोच तब आश्चर्य में बदल गई, जब कचरे से ईंधन बनाने और कचरे को कमाई का जरिया बनाने के संयंत्र के लोकार्पण के आतिथ्य का न्योता उन्हें मुख्यमंत्री शिवराजसिंह चौहान ने पहुंचाया…उन्होंने जाना कि कैसे प्रदेश की सरकार इंदौर के प्रशासन और जनता की जागरूकता के तालमेल से यह कैसा चमत्कार हो रहा है…जहां पूरा देश कचरे से परेशान है…कूड़े के पहाड़ों से हैरान है, वहीं इंदौर कचरे को कमाई का जरिया बना रहा है… यह इंदौर के प्रशासन के मुखिया कलेक्टर मनीष सिंह की सोच और दिशा थी कि उन्होंने निगमायुक्त रहते हुए शहर को स्वच्छ बनाने का बीड़ा उठाया और कचरापेटियां हटाकर साधन-संपन्न बनाया…यह शहर के लोगों की जागरूकता रही कि उन्होंने प्रशासन के संकल्प को साकार करते हुए समय-समय पर कचरा संग्रहण से लेकर गीला-सूखा कचरा पृथक करने तक के अभियान में साझा साथ निभाया… और यह प्रदेश की सरकार की दूरदर्शिता थी कि उन्होंने ऐसे अफसरों को पहुंचाया जिन्होंने शहर को स्वच्छता का खिताब ही नहीं दिलवाया बल्कि कचरे से ईंधन बनाने का चमत्कार भी कर दिखाया..
    जो पूरा देश नहीं कर सकता वो इंदौरियों ने कर दिखाया… सूखा-गीला कचरा अलग-अलग करने से कचरे से कमाई का रास्ता खुल पाया…
    बायो सीएनजी प्लांट तो देश में कहीं भी लगाया जा सकता है क्योंकि प्लांट कीमत से ज्यादा कचरे का निपटान कीमती है…लेकिन यह हर शहर के लिए संभव नहीं है… इस प्लांट को चलाने के लिए आवश्यक है कि सूखा-गीला कचरा सेग्रीकेट यानी अलग-अलग कर प्लांट पर पहुंचाया जाए और यह इंदौरियों ने कर दिखाया.. इसके लिए निगम प्रशासन और सफाई मित्रों का सबसे बड़ा योगदान रहा जिन्होंने एक-एक घर के लोगों को कचरा पृथकीकरण के लिए प्रोत्साहित किया और आज जो पूरा देश नहीं कर सका वो इंदौर ने कर दिखाया इसलिए


    कचरे से कमाई का रास्ता खुल पाया….
    प्रशासन की अपील… अपने शहर के कीर्तिमान को प्रधानमंत्री की जुबान से सुनने के लिए बड़ी तादाद में पहुंचें
    पूरे देश के लिए इंदौर जहां गौरवशाली शहर बन गया है, वहीं प्रधानमंत्री की नजरों में भी चढ़ गया है…उनके कार्यालय ने खुद प्लांट की तकनीकी जानकारियां उन्हें बताईं…वहीं प्रधानमंत्री ने खुद लगातार पांच बार से स्वच्छता अभियान में पूरे देश में पराक्रम दिखाने वाले शहर की व्यवस्थाओं को परखा और समझा…चूंकि कचरे से खाद और उसके बाद बॉयो सीएनजी प्लांट का सफर तब पूरा तय हो पाया, जब इंदौर शहर ने कचरे को सेग्रिगेट, यानी अलग-अलग कर घर में रखना निगम के वाहनों में भरना शुरू किया… इस कारण 90 प्रतिशत सेग्रीगेट कचरा प्लांट को मिल पा रहा है…इसकी पूरी तकनीक को समझने वाले प्रधानमंत्री को उनकी नजरों और जुबान से आज सुनना बेहद रोमांचक रहेगा… इसलिए प्रशासन ने अपील की है कि अपने शहर के कीर्तिमान को प्रधानमंत्री की जुबान से सुनने के लिए अधिक से अधिक तादाद में आएं… इसके लिए प्रशासन ने भव्य तैयारियां की हैं।

    कलेक्टर खुद बन गए ई-वेस्ट मैनेजमेेंट इंजीनियर… तकनीकी बारीकियां समझाईं…
    इंदौर को स्वच्छता में नंबर वन बनाने का श्रेय कलेक्टर मनीष सिंह (Collector Manish Singh) को जाता है। निगमायुक्त के रूप में उन्होंने 2015 से लेकर 2018 तक जो बीज बोए आज वह ई-वेस्ट मैनेजमेंट का वटवृक्ष बन गए हैं। कलेक्टर मनीष सिंह को कचरे के मैनेजमेंट की एक-एक तकनीकी जानकारी है, जिसे वे बाहर से आने वाले आला अधिकारियों से लेकर मीडिया को बताते हैं। जिस ट्रेंचिंग ग्राउंड पर कचरे के ढेर और बदबू व्याप्त थी वहां खूबसूरत जंगल और गार्डन बना दिया। यहां तक कि वीआईपी मेहमानों के लिए गोल्फ कार्ड तक बुलवा ली। अग्निबाण के प्रबंध संपादक राजेश चेलावत को कलेक्टर मनीष सिंह ने न सिर्फ बॉयो सीएनजी प्लांट की सारी तकनीकी जानकारी दी, बल्कि किस तरह पिछले 6-7 सालों में इंदौर ने कचरे से कमाई का करिश्मा किया उसकी भी तकनीकी बारीकियां समझाईं। देश में ऐसा कोई कलेक्टर नहीं होगा, जो राजस्व के अपने मूल कार्य के साथ-साथ ई-वेस्ट मैनेजमेंट इंजीनियर के रूप में भी इस तरह से काम करे और पूरे देश के अफसरों को नई तकनीक के लिए प्रोत्साहित करें।

    कचरे से क्या घबराना… अब तो हमें कचरे से है कमाना
    पूरा देश बढ़ते कचरे से हैरान-परेशान है, लेकिन अब इंदौर शहर ने न केवल कचरे के विस्तार पर काबू पा लिया है, बल्कि कचरे को कमाई का साधन भी बना लिया है…कचरे से ईंटे, पेवर, चेंबर के साथ ही साजो-सामान के साधन भी बन रहे हैं… लेकिन अब कचरे से बॉयोडीजल बनाकर इंदौर पूरे देश के लिए सबक बन जाएगा…

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