डेस्क: लोकसभा में किरेन रिजिजू वक्फ संशोधन बिल पेश कर रहे हैं. इससे पहले बिजनेस एजवाइजरी की कमेटी की बैठक में इस बिल को पेश करने को लेकर सहमति बनी थी. इस बिल के पेश होने से पहले बीजेपी ने विपक्ष ने विहिप जारी करके अपने सांसदों को सदन में मौजूद रहने के लिए कहा था. इस बिल को लेकर मुस्लिम संगठन विरोध जता रहे हैं. वहीं विपक्षी दल भी इस बिल का विरोध कर रहे हैं. उनका मानना है कि इसके जरिए मुस्लिमों के अधिकार छीने जा रहे हैं. इसके बीच एक सवाल यह भी है कि क्या वक्फ जैसी व्यवस्था सिर्फ भारत में है या अन्य देशों में भी इसी की तरह कोई संस्था है. चलिए जानें.
मुस्लिम जानकारों की मानें तो वक्फ की परंपरा शुरू से व्यक्तिगत स्तर पर चली आ रही है, इसे कोई शासक या सम्राट की ओर से संगठित रूप में शुरू किया गया. उन्होंने बताया कि इस्लाम के संविधानों में वक्फ के लिए पूरा मंत्रालय तैयार किया जाता है. जैसे कि सऊदी अरब में मिनिस्ट्री ऑफ वक्फ है. इसके अलावा यूएई, कतर और ईराक में भी वक्फ के लिए अलग मंत्रायल बनाए गए हैं. यह पूरी तरह से धार्मिक आधार पर निर्भर करता है.
वक्फ की व्यवस्था दुनिया के अलग-अलग इस्लामी देशों में अलग हो सकती है, लेकिन वहां भी उसका मूल उद्देश्य धर्म के काम के लिए संपत्ति का इस्तेमाल करना होता है. बाकी के देशों में इसका नाम वक्फ हो ऐसा जरूरी नहीं है. लेकिन सीरिया और मिस्र जैसे देशों में भी वक्फ की तरह ही एक ऐसी संस्था मौजूद होती है, हालांकि उनके नाम स्पष्ट नहीं हैं. हालांकि तुर्की में इसे फाउंडेशन कहा जाता है. वहां पर फाउंडेशन डायरेक्टरेट के नाम से विभाग बना हुआ है. मिस्र में मिनिस्ट्री ऑफ एंडोमेंट्स के नाम से विभाग है जो कि मस्जिदों की देखरेख के लिए है.
बांग्लादेश में वक्फ की संपत्ति धार्मिक मामलों के मंत्रालय के द्वारा देखी जाती है. वहीं पाकिस्तान में वक्फ की संपत्तियों की देखरेख और कामकाज इस्लामाबाद और प्रांतीय सरकारों की अथॉरिटी करती है. इंडोनेशिया में BWI यानि बदन वकाफ इंडोनेशिया नाम की संस्था काम करती है, जो कि वक्फ की संपत्तियों के लिए प्लानिंग करती है. हालांकि ज्यादातर देशों में वक्फ का संचान और नियंत्रण केंद्र सरकार के पास होता है. दुनियाभर में वक्फ की 90 फीसदी से ज्यादा संपत्ति मस्जिद, दरगाह, कब्रिस्तानों और इमामबाड़ों के रूप में मौजूद है.
©2025 Agnibaan , All Rights Reserved