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    शादियों में पूरा शहर बनता है बाराती, दिखता है ओलंपिक जैसा नजारा

  • February 21, 2022

    नई दिल्ली। आज के समय में शादी को यादगार (wedding memorabilia) बनाने के लिए लोग क्‍या क्‍या नहीं करते समुद्र से लेकर हवा और हवा से लेकर आकाश तक में अपनी शादी को यादगार बना देते हैं। यहां तक कि दुल्हा और दुल्हन महंगी से महंगी पोशाक और शादी की सजावट (wedding decorations) पर दिल खोलकर कराड़ों रूपये लुटाते है। देश का एक शहर जहां विदेशों जैसा नजारा दिखता है। यहां और सरकार नहीं बल्कि समाज के लोग ही ऐसा कदम उठाते हैं। हम बात कर रहे है राजस्‍थान के बीकानेर शहर की जहां शादियों का नजारा ओलंपिक दिखाई देता है।



    आपको बता दें कि राजस्थान के बीकानेर शहर के पुष्करण समाज (Pushkaran Samaj of Bikaner City) की। पुष्करण समाज की ये अनोखी परंपरा है। इस परंपरा के अनुसार दूल्हा नंगे पैर बारात लेकर ससुराल जाता हैं। दुल्हा केवल बनियान पहने होता हैं। पुष्करण समाज ये परंपरा 300 साल से निभाते आ रहे हैं. मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, इस बार भी बीकानेर में 18 फरवरी को पुष्करणा सावा में सैकड़ों शादियां इसी तरह से हुई।
    कहा जाता है कि पुष्करण समाज की इस परंपरा में दूल्हा को विष्णु और दुल्हन को लक्ष्मी का रूप माना जाता है। यहां शादियों में बैंड-बाजा की जगह शंख की ध्वनि और मांगलिक गीत गूंजते हैं। सावा देखने के लिए देश भर से समाज के लोग बीकानेर आते हैं. पुष्करणा सावे में मांगलिक रस्म ‘खिरोड़ा’ होती है, जिसमें पापड़ पढ़े जाते है. महिलाएं शुभ मुहूर्त में बड़ पापड़ तैयार करती हैं। इनको कुमकुम से चित्रकारी से सजाती भी है. विवाह की रस्मों में वधू पक्ष की ओर से खिरोड़ा वर पक्ष के यहां पहुंचाया जाता है. खिरोड़ा सामग्री में शामिल बड़ पापड़ को वर-वधू पक्ष के लोग पारम्परिक दोहो का गायन कर पापड़ बांचते हैं। सभी घरों में शादी होगी तो किसी एक घर में ज्यादा मेहमान नहीं पहुंचेंगे. कम बाराती पहुंचेंगे, तो बेटी के बाप पर ज्यादा खर्च नहीं आएगा। राज्य सरकार भी इस परंपरा में अपना योगदान देती है। राज्य सरकार परकोटे को एक छत घोषित करते हुए शादियों के लिए अनुदान देती है. वहीं जो दूल्हा सबसे पहले बारात लेकर पहले चौक से निकलता है, उसे इनाम दिया जाता है।


    कई संस्थाएं जुटाती है सामग्री
    शादी के लिए समाज की कई संस्थाए शादियों के कार्यक्रमों में उपयोग में होने वाली सामग्री निशुल्क जुटाती है।
    इस बड़े विवाह समारोह में बीकानेर का पूर्व राजपरिवार आज भी अपनी भूमिका निभाता है। परंपरा के अनुसार, सवा आयोजन करने की राज परिवार से अनुमति लेते है। अभी वर्तमान में राजमाता सुशीला कुमारी इसकी अनुमति देती हैं। शादी में दुल्हन को पूर्व राजपरिवार की ओर से तोहफा भी दिया जाता है।

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