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    UP में भीड़ ने हाथ में लिया कानून, चोरी के आरोप में युवक की बेरहमी से पिटाई, गले पर रखा पैर

  • August 25, 2021

     

    बरेली: मध्य प्रदेश की तरह भीड़ का कानून हाथ में लेने का नजारा अब उत्तर प्रदेश के बरेली में भी देखने को मिला. जहां भीड़ ने एक बार फिर से कानून अपने हाथ में लेते हुए एक युवक को बेरहमी से लात-घूंसों से पीटा. यहां तक कि उसके गले पर पैर तक रख कर खड़े हो गए. जमकर पीटने के बाद भीड़ ने उसे पुलिस के हवाले कर दिया.

    दरअसल, बरेली के पुराने रोडवेज बस अड्डे पर किसी चोर ने शाहजहांपुर के निवासी देवेंद्र कुमार और अतिशय के मोबाइल और पर्स बस में चढ़ने के दौरान चोरी कर लिए. जब युवकों को चोरी होने का पता चला तो उन्होंने दो-तीन बार बस में चढ़ने उतरने के शक के आधार पर एक युवक को पकड़ लिया.

    युवक को पकड़कर उसके साथ जमकर मारपीट की गई. जो भी उसी ने आरोपी पर हाथ साफ किया. कुछ लोग घटना का वीडियो बनाते रहे. यहां तक कि एक शख्स ने आरोपी के गले पर पैर तक रख दिया था. जिससे उसकी जान भी जा सकती थी. किसी ने उसके बाल पकड़ कर नोंच लिए तो कुछ लोगों ने उसे हवा उछाल कर जमीन पर पटक दिया.

    इसी दौरान उसने भागने की कोशिश की तो उसके पैर बांधकर उसे अमानवीय तरीके से जानवरों की तरह पीटा गया. लेकिन जब उसकी तलाशी ली गई तो उसके पास से कुछ भी नहीं मिला. फिर आरोप लगाया गया कि उसका दूसरा साथी पर्स और मोबाइल लेकर भाग निकला.


    बताया जा रहा है कि पिटाई के दौरान आरोपी ने स्वीकार किया कि उसने एक अन्य व्यक्ति को मोबाइल दे दिया है. लेकिन पर्स उसने नहीं चुराया है. पिटाई के बाद पकड़े गए जेबकतरे को भीड़ ने पुलिस के हवाले कर दिया. पुलिस के कहना है कि पूछताछ के बाद मोबाइल जल्द ही बरामद कर लिया जाएगा. इंस्पेक्टर कोतवाली पंकज पंत ने बताया कि आरोपी की पहचान साहिल पुत्र खलील निवासी फरीदपुर के तौर पर हुई है. उसके खिलाफ चोरी का मुकदमा दर्ज किया गया है.

    कोतवाली के प्रभारी निरीक्षक पंकज पंत ने आगे बताया कि आरोपी साहिल नशे का आदी है. और वह घर बदल-बदल कर रहता है. हालांकि पुलिस ने उन लोगों के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं की, जिन्होंने आरोपी को सरेआम जानवरों की तरह पीटा और कानून का मजाक बनाया.

    भले ही युवक चोर साबित हो जाए लेकिन लेकिन जिस तरह भीड़ ने कानून को अपने हाथ में लिया और बेरहमी से जानवरों की तरह युवक को पीटा गया. उसे किसी भी तरह जायज नहीं ठहराया जा सकता है. भीड़ के इंसाफ की जो परंपरा इन दिनों समाज में देखने को मिल रही है, वो कोई स्वस्थ संकेत नहीं है. भीड़ ने जिस बेदर्दी से युवक की पिटाई की वो सड़क पर इंसाफ करने की सोच गलत है. देश में अपराधी को दोषी ठहराना और उसके हिसाब से उसे सजा देना, ये देश की न्यायपालिका का काम है.

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