डेस्क: शनिदेव जिनका नाम आते ही लोगों के मन में भय बैठ जाता है, जल्द ही अगले साल यानी 2023 में राशि परिवर्तन करेंगे. शनि के राशि परिवर्तन पर कुछ राशि के जातकों पर साढ़ेसाती और ढैय्या शुरू हो जाएगी जबकि कुछ को इससे मुक्ति भी मिल जाएगी. ज्योतिष में शनि ग्रह का विशेष महत्व होता है. शनि को न्याय और कर्मफलदाता माना गया है क्योंकि शनिदेव हमेशा व्यक्ति को कर्मों के अनुसार ही फल देते हैं.
जिन जातकों की कुंडली में शनि अशुभ भाव में होते हैं उन पर इनका प्रभाव काफी लंबे समय तक होता है क्योंकि शनि सभी ग्रहों में सबसे धीमी चाल से चलने वाले ग्रह हैं. शनि किसी एक राशी में लगभग ढाई वर्षों तक रहते हैं. शनिदेव राजनीति, खनन, तेल, रहस्य और प्रसिद्धि के कारक तत्व माने गए हैं.
जिन जातकों की कुंडली में शनिदेव अगर शुभ भाव में हों तो वह व्यक्ति उच्च पद व मान-सम्मान प्राप्त करता है और उसके जीवन में कभी भी धन दौलत की कमी नहीं रहती है. जब भी शनि राशि परिवर्तन करते हैं या फिर अपनी चाल बदलते हैं तो इसका प्रभाव सभी राशि के जातकों पर जरूर पड़ता है. शनि की साढ़ेसाती और ढैय्या जितनी मारक होती है उतनी ही शुभ फल देने वाली भी होती है. आइए जानते है साल 2023 में किन राशि पर शनि रहेंगे भारी और किसको मिल सकता है शनिदेव का आशीर्वाद.
साल 2023 में कब होगा शनि का राशि परिवर्तन
शनि मंद गति से चलने वाले ग्रह हैं. शनि 17 जनवरी 2023 को अपनी स्वयं की राशि कुंभ राशि में प्रवेश करेंगे. इसके साथ ही ये 3 दशकों के बाद अपनी मूल त्रिकोण में प्रवेश करेंगे. शनि के कुंभ राशि में गोचर करने से कुछ राशि से साढ़ेसाती व ढैय्या खत्म हो जाएगी जबकि कुछ पर शनि की साढ़ेसाती शुरू हो जाएगी. शनि देव 17 जनवरी 2023 की रात 8 बजकर 2 मिनट पर मकर से कुंभ राशि में प्रवेश करेंगे.
साल 2023 में इन राशियों पर शनि की साढ़ेसाती
शनि 30 साल बाद दोबारा से 17 जनवरी 2023 को कुंभ राशि में प्रवेश करेंगे. शनि के कुंभ राशि में गोचर करने से मीन राशि के जातकों पर शनि की साढ़ेसाती शुरू हो जाएगी. इसके अलावा मकर और कुंभ राशि पर साढ़ेसाती जारी रहेगी. मीन राशि पर साढ़ेसाती का पहला चरण, कुंभ राशि पर दूसरा और मकर राशि पर अंतिम चरण रहेगा.
साल 2023 में इन राशि के लोगों पर रहेगी ढैय्या
मकर,कुंभ और मीन राशि पर साढ़ेसाती के अलावा साल 2023 में कर्क और वृश्चिक राशि के जातकों पर ढैय्या शुरू हो जाएगी.
क्या होती है साढ़ेसाती
ज्योतिष गणना के अनुसार किसी जातक पर शनि साढ़ेसाती तब लगती है जब जन्म राशि से 12वें, पहले और दूसरे भाव में शनि संचरण करते हैं. शनि साढ़ेसाती साढ़े सात साल तक चलती है इस कारण से इसे साढ़ेसाती कहा जाता है. क्या होती है ढैय्या शनि का गोचर राशि से चौथे और आठवें भाव में होता है तो शनि की ढैय्या लगती है. ज्योतिष में कुंडली का चौथा और आठवां भाव शुभ नहीं माना जाता है.
साढ़ेसाती और ढैय्या का प्रभाव
जब भी किसी राशि पर शनि की साढे़साती या ढैय्या लगी होती है तो उस राशि के लोगों की परेशानियां बढ़ जाती हैं, कार्यों में रुकावटें और बीमारियां बढ़ने लगती हैं. इसके अलावा नौकरी में दिक्कतें बनी रहती हैं. हालांकि शनि साढ़ेसाती होने पर भी कुछ राशि के जातकों को ज्यादा कष्ट सहने नहीं पड़ते हैं क्योंकि इनकी कुंडली में शनि योग कारक होते हैं.
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