नागदा। आर्य गार्डन पर चल रही सात दिनी वैदिक श्रीकृष्ण कथा के चौथे दिन कथा वाचिका अंजली आर्य ने कहा भगवान श्रीकृष्ण संसार की वह अमर साधना की प्रतिमूर्ति रही है, जिसने जन्म से युवा काल तक आते-आते अपने पुरुषार्थ बल और सद्कर्मों से वह इतिहास रचा है जो हमारी संस्कृति का अमिट आधार माना गया है। ऋषि वेदव्यासजी ने कृष्ण को सतत् सावधान रहने वाले, हर योजना को मूर्त रूप देने में तिल मात्र भी आलस्य ना करना बताया है।
उनके द्वारा किए गए सारे कार्य जैसे- गो-पालन, यज्ञ हवन, संस्कार। सभी संस्कृति का आधार है जिसकी सुरक्षा से ही राष्ट्र व सत्य सनातन धर्म सुरक्षित रहा है। कृष्ण ने गोकुल में आई बाढ़ से गोकुलवासियों को बचाकर संदेश दिया कि गोवर्धन पर्वत जैसी आपत्ति भी आ जाए तो पीछे ना हटे, जीवन में अवश्य सफल होंगे। इसीलिए उनका नाम गोकुलवासियों ने गिरधारी रख दिया। कार्यक्रम संयोजक कमल आर्य बताया कथा में कथावाचिका ने भगवान के दुराचारी कंस के अंत की कथा सुनाई। कथा वाचिका ने कहा वर्तमान के माहौल को देखते हुए मुरली बजाने वाले नहीं सुदर्शनधारी कृष्ण की जरुरत है। हमने जितना ध्यान मुरली वाले कृष्ण पर दिया उतना ध्यान गीता का उपदेश देने वाले पर नहीं दिया।
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