भोपाल। शैक्षणिक सत्र शुरू होने को है, लेकिन निजी विद्यालयों की तर्ज पर शुरू किए गए सीएम राइज स्कूलों में छात्रों को सुविधाएं नहीं मिल पा रही हैं। स्कूलों में विद्यार्थियों को लाने-ले जाने के लिए बसों के टेंडर अभी पूरे नहीं हो पाए हैं। स्कूल शिक्षा विभाग ने जिला स्तर पर बसों के टेंडर करने के निर्देश दिए थे, लेकिन भोपाल सहित सभी महानगरों और अन्य जिलों में टेंडर प्रक्रिया नहीं हो पा रही है। इसका सीधा सा कारण यह है कि स्कूल शिक्षा विभाग, जिस किराया दर पर इतने लंबे समय से टेंडर करने का प्रयास कर रहा है। उसमें बस आपरेटर रुचि ही नहीं ले रहे हैं। यही कारण है इतनी बार प्रयास करने के बाद भी अभी तक टेंडर की प्रक्रिया हो नहीं पा रही है। अधिकारियो का कहना है कि प्रक्रिया जारी है, जल्द टेंडर हो जाएंगे। बता दें कि ग्वालियर जिले में कुल आठ सीएमराइज स्कूल हैं। विभाग के अनुमान के मुताबिक एक सीएम राइज स्कूल के लिए 10 से 12 बसों की आवश्यकता है। बसों की व्यवस्था न होने से विद्यार्थियों को अपने साधनों से स्कूल पहुंचना पड़ रहा है। इससे उन्हें काफी परेशानी होती है। कई छात्र-छात्राएं तो ऐसे हैं, जो ग्रामीण इलाकों से आते हैं और परिवहन व्यवस्था न होने से इनकी पढ़ाई प्रभावित हो रही है।
बस आपरेटर आगे नहीं आए
दरअसल, स्कूल शिक्षा विभाग ने जिला स्तर पर बसों के टेंडर बुलाए थे, उनमें अधिकतर जिलों में कई बार विज्ञप्ति जारी होने के बाद भी बस आपरेटर आगे नहीं आए। महानगरों में जिला शिक्षा अधिकारियों ने जब परिवहन विभाग के अफसरों से इस मामले में बातचीत की तो पता चला कि विभाग जिन शर्तों पर बसों को किराए पर ले रहा है, उसमे आपरेटर संतुष्ट नहीं हैं। इसके अलावा कुछ आपरेटर इसलिए भी इस प्रक्रिया में शामिल होने से हिचक रहे हैं, क्योंकि उन्हें ये बसें पूरी तरह से स्कूल के सुपुर्द करनी होंगी। वर्तमान में आपरेटर अपनी बसों को एक ही समय में स्कूल और कालेजों से अटैच कर लेते हैं। इससे उन्हें अधिक मुनाफा होता है। इसके अलावा वे शादी-समारोह या अन्य कार्यक्रमों के लिए भी ये बसें किराए पर चला देते हैं। स्कूल शिक्षा विभाग को बसें देने पर उनका यह मुनाफा खत्म हो जाएगा। इस कारण वे इस प्रक्रिया में भाग ही नहीं ले रहे हैं। तीन तरह की बसें चाहिए अधिकतर जिलों में तीन तरह की बसों की मांग की गई है। इसमें 12 सीटर, 32 सीटर और 52 सीटर बसें शामिल हैं। 12 सीटर बसों का इस्तेमाल प्राथमिक व मिडिल कक्षाओं तक के बच्चों को स्कूल तक लाने-ले जाने के लिए किया जाएगा। इसी प्रकार 32 और 53 सीटर बसों में हाई स्कूल व हायर सेकंडरी के विद्यार्थियों का परिवहन किया जाएगा। महानगरों में आठ-आठ सीएम राइज स्कूल हैं और प्रत्येक स्कूल के लिए कम से कम 10 से 12 बसों की आवश्यकता है।
अपनी व्यवस्था से छात्र आते हैं स्कूल
सीएम राइज स्कूलों में कई छात्र ऐसे हैं जो आसपास के ग्रामीण क्षेत्र में रहते हैं और परिवहन संसाधन की कमी के चलते अपनी व्यवस्था से स्कूल आते है। स्कूलों की दूरी छात्रों के घरों से काफी दूर है इस वहज से उन्हें घर पहुंचने में काफी समय लग जाता है। वहीं अगर मौसम खराब हो तो छात्रों की समस्या बढ़ जाती है।
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