झाबुआ: मध्य प्रदेश के झाबुआ जिले से दर्दनाक खबर है. यहां अंधविश्वास के नाम पर बच्चों को डाम देना या गर्म सरिये से दागने की परंपरा आज भी जारी है. यहां लोग सर्दी-जुकाम और निमोनिया से पीड़ित बच्चों को डॉक्टर से पहले तांत्रिक के पास ले जाते हैं. ऐसे ही तीन बच्चों का इलाज जिला अस्पताल के पीआईसीयू वार्ड में चल रहा है. इनके माता-पिता उन्हें तांत्रिक के पास ले गए.
तांत्रिक ने बच्चों को गर्म सरिये से दाग दिया. इन गांववालों को डॉक्टर लगातार जागरूक करने की कोशिश कर रहे हैं. उनका कहना है कि लोगों पर हमारी बात का कोई असर नहीं हो रहा. वे आज भी रूढ़ीवादी सोच पर ही चल रहे हैं. जिला अस्पताल के पीआईसीयू प्रभारी डॉ. संदीप चोपड़ा ने बताया कि उनके में तीन बच्चों का इलाज चल रहा है.
ये बच्चे पिटोल, खेड़ी, हड़मतिया गांव के हैं. इनकी उम्र एक साल से भी कम है. तीनों बच्चे सर्दी-जुकाम और निमोनिया से पीड़ित है. इनके माता-पिता उन्हें तांत्रिक के पास ले गए. उसने बच्चों को दाग दिया. यह ठीक नहीं है. इससे बच्चे की तबीयत और खराब हो सकती है. डॉ. चोपड़ा ने बताया कि सर्दी-जुकाम और निमोनिया में बच्चों की सांस तेज चलती है. इसे स्थानीय भाषा में हाफलिया कहते हैं.
पूरी तरह अंधविश्वास है दागना- डॉ. चोपड़ा
डॉ. चोपड़ा ने बताया कि जब बच्चे को दागा जाता है, तो बच्चा दर्द से बचने के लिए सांस धीरे-धीरे लेता है. इससे लोग समझते हैं कि दागने के बच्चे की बीमारी ठीक हो गई. जबकि निमोनिया फेफड़ों की बीमारी है, दाग बाहर चमड़ी में दिया जाता है, जो पूरी तरह से अंधविश्वास है. उनके मुताबिक झाबुआ जिले में दागना कोई नई बात नहीं है. जिला अस्पताल में ही हर महीने इस तरह के मामले सामने आते रहते हैं. कभी-कभी तो महीने में इस तरह दागे हुए 20 बच्चे यहां इलाज के लिए आते हैं.
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