जर्मनी। भारतीय विदेश मंत्री एस जयशंकर (Indian External Affairs Minister S Jaishankar) ने शनिवार को एक बार फिर चीन(China) पर तीखा हमला बोला। उन्होंने कहा कि चीन(China) समझौतों का उल्लंघन कर(breach of agreements) सीमा पर बार-बार भारत (India) के लिए चुनौती पेश कर रहा है। ऐसे में दोनों देशों के बीच द्विपक्षीय संबंध (Bilateral Relations) बेहद कठिन दौर से गुजर रहे हैं। उन्होंने कहा कि अब सीमा के मौजूदा हालातों पर यह संबंध पर निर्भर करेंगे।
म्यूनिख सुरक्षा सम्मेलन (Munich Security Conference) में शिरकत करने पहुंचे विदेश मंत्री ने यहां आयोजित एक पैनल चर्चा के दौरान यह बातें कहीं। उन्होंने भारत-चीन सीमा तनाव पर वैश्विक मंच के समक्ष अपनी बात रखते हुए गलवान घाटी में हुए संघर्ष की याद भी दिलाई।
दुनिया बहुत अधिक एक-दूसरे पर आश्रित
म्यूनिख सुरक्षा सम्मेलन (एमएससी) 2022 में पैनल चर्चा के दौरान इंडो-पैसिफिक की केंद्रीयता को रेखांकित करते हुए जयशंकर ने यहां कहा कि आज की दुनिया ‘बहुत अधिक अन्योन्याश्रित, अंतर-भेदक और प्रकृति में विरोधाभासी’ है, जहां एक देश को हितों के एक बड़े टकराव के बावजूद दूसरे के साथ व्यापार करना पड़ता है।
विदेश मंत्री ने कहा कि पिछले कुछ वर्षों में भारत की क्षमताएं और प्रभाव बढ़ा है। जयशंकर ने जर्मनी की अपनी यात्रा के दौरान यूरोप, एशिया और दुनिया के अन्य हिस्सों के मंत्रियों के साथ कई बैठकें कीं। अब वह शुक्रवार को एक सुरक्षा सम्मेलन में भाग लेने के लिए जर्मनी के म्यूनिख पहुंचे थे।
आसियान के साथ हमारे संबंध अच्छे
विदेश मंत्री एस जयशंकर इस दौरान कहा कि आसियान देशों के साथ हमारे संबंध अच्छी तरह से आगे बढ़ रहे हैं। दो बड़े बदलाव हो रहे हैं। आसियान के साथ हमारा सुरक्षा सहयोग बहुत मजबूत है… सिंगापुर, इंडोनेशिया और वियतनाम के साथ हमारे मजबूत द्विपक्षीय संबंध हैं।
जयशंकर ने जर्मनी और आयरलैंड के मंत्रियों से की मुलाकात
विदेश मंत्री डॉ. एस जयशंकर ने सम्मेलन से इतर जर्मनी के आर्थिक सहयोग और विकास मंत्री स्वेंजा शुल्ज से मुलाकात की। उन्होंने ट्वीट किया कि हमने विकास साझेदारी दृष्टिकोण पर चर्चा की। हम हरित विकास और स्वच्छ तकनीक को बढ़ावा देने के लिए एक प्रतिबद्धता साझा करते हैं। इसके अलावा विदेश मंत्री जयशंकर ने म्यूनिख में आयरलैंड के अपने समकक्ष साइमन कोवेनी से भी मुलाकात की। उन्होंने इस संबंध में भी एक ट्वीट में लिखा कि हमने यूएनएससी में साथ मिलकर काम किया है। आयरलैंड हमारे ईयू से जुड़ाव में बड़ी भूमिका निभा सकता है।
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