अंबाला. कृषि कानूनों का विरोध कर रहे किसानों का आंदोलन (Kisan Aandolan) पिछले 10 महीनों (10 months) से जारी है और किसान कृषि कानूनों (farmer agricultural laws) को रद्द करवाने के साथ साथ एमएसपी (MSP) गारंटी की मांग कर रहे हैं. ऐसे में बुधवार को केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र तोमर (Narendera Singh Tomar) ने कई फसलों की एमएसपी को बढ़ा दिया है.
जिसमे सरकार ने गेहूं की एमएसपी को 40 रुपये बढ़ाकर 2015 रुपये , जौ की एमएसपी को 35 बढ़ाकर 1635 रुपये , चने की एमएसपी को 130 रुपये बढ़ाकर 5230 , मसूर और सरसों 400 रुपये और सूरजमुखी का भाव 114 रुपये बढ़ाया है. जिस पर किसानों ने अपनी प्रतिक्रिया दी.
किसानों का कहना है कि उन्हें यह बढ़ी हुई एमएसपी मंजूर नहीं, क्योंकि जितनी MSP बढ़ाई गई है उसका कोई फायदा नहीं होगा. वहीं किसानों ने यह भी कहा कि जब तक कृषि कानून रद्द नहीं हो जाते तब तक ये MSP उन्हें मंजूर नहीं. किसानों ने कहा कि केंद्र सरकार हमारे साथ मजाक कर रही है.
MSP (न्यूनतम समर्थन मूल्य) वह दर है जिस पर सरकार किसानों से अनाज खरीदती है. मौजूदा समय में, सरकार खरीफ और रबी दोनों मौसमों में उगाई जाने वाली 23 फसलों के लिए एमएसपी तय करती है. खरीफ (गर्मी) फसलों की कटाई के तुरंत बाद अक्टूबर से रबी (सर्दियों) फसलों की बुवाई शुरू हो जाती है. गेहूं और सरसों रबी की प्रमुख फसलें हैं. बता दें कि तीन नए कृषि कानूनों को लेकर किसान अपनी मांगों से पीछे हटने को तैयार नहीं हैं.
पिछले कई महीनों से पंजाब के हजारों किसान दिल्ली सीमा पर डटे हुए हैं और आंदोलनरत हैं. संयुक्त किसान मोर्चा (United Kisan Morcha) के नेता राकेश टिकैत (Rakesh Tikait) इन दिनों सरकार के खिलाफ काफी मुखर हैं और सरकार पर लगातार निशाना साध रहे हैं. राकेश टिकैत ने कहा है कि जबतक कृषि कानूनों की वापसी नहीं होगी तबतक प्रदर्शन चलता रहेगा. किसानों और सरकार के बीच कृषि कानूनों पर हर दौर की बातचीत विफल ही रही है.
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