नई दिल्ली: पिछले 12 दिनों में लगभग 275 विमानों को बम से उड़ाने की धमकियां (Threats) मिल चुकी हैं। महज 288 घंटे के दौरान हॉक्स बम कॉल थ्रेट से विमान सेवा कंपनियों (Airline companies) को लगभग पांच सौ करोड़ रुपये से अधिक का नुकसान हो चुका है। औसतन 5-7 घंटे तक फ्लाइट लेट (Flight Late) होने की वजह से यात्रियों को जो परेशानी झेलनी पड़ती है, वह अलग है।
सुरक्षा एजेंसियों के विश्वस्त सूत्रों का कहना है, कई एंगल से इन मामलों की जांच की जा रही है। जैसे, क्या इन धमकियों के पीछे किसी वैश्विक आतंकी संगठनों का हाथ है, क्या खालिस्तान समर्थक ऐसा कर रहे हैं, क्या यह विमान सेवा कंपनियों को घाटे की तरफ ले जाने की साजिश है, आदि, इन सभी पहलुओं को ध्यान में रखकर इस मामले की जांच हो रही है। इस संबंध में निष्कर्ष तक पहुंचने के लिए जांच एजेंसियां, एमएचए, विदेश मंत्रालय और इंटपोल के संपर्क में हैं। सूत्रों का कहना है कि इस मामले की जांच के लिए कुछ देशों की खुफिया एजेंसियों से भी संपर्क किया जा सकता है।
बता दें कि पिछले कुछ समय से विमानों को बम से उड़ाने की धमकियां मिलने का सिलसिल लगातार जारी है। डेढ़ सप्ताह के दौरान 275 विमानों को बम से उड़ाने की धमकी मिली है। इस तरह के अधिकांश कॉल, विदेशों से आ रहे हैं। केंद्रीय गृह मंत्रालय, ऐसी धमकी भरी कॉल को गंभीरता से लेते हुए इसकी जड़ों तक पहुंचने का प्रयास कर रहा है। लिहाजा, सोशल मीडिया प्लेटफार्म, मेटा और एक्स के जरिए भी ऐसी धमकियां मिल रही हैं, इसलिए केंद्र सरकार ने इन प्लेटफार्म के संचालकों से कहा है कि वे जांच एजेंसियों के साथ फर्जी कॉल और संदेशों से संबंधित डाटा, शेयर करें।
केंद्र सरकार ने उक्त मामले की जड़ तक पहुंचने के लिए बहुराष्ट्रीय प्रौद्योगिकी समूहों से भी सहयोग करने की अपील की है। गत सप्ताह एयर इंडिया, विस्तारा और इंडिगो की 20-20 फ्लाइटों को बम से उड़ाने की धमकी मिली थी। अकासा एयर, स्पाइसजेट और अलायंस एयर के विमानों को भी बम से उड़ाने की धमकियां दी गई। इससे पहले भी लगातार ऐसी धमकियां आती रही हैं। इसके चलते विमान सेवा प्रभावित हुईं।
जानकारों के मुताबिक, इस तरह की थ्रेट कॉल, वीपीएन और डार्क वेब जैसे नेटवर्क से भी की जा रही हैं। ऐसे में इन्हें ट्रैक करना मुश्किल होता है। अगर किसी एक विमान के लिए धमकी की कॉल आती है तो फ्लाइट को उड़ने नहीं दिया जाता। सुरक्षा एजेंसियां, एयरपोर्ट अथॉरिटी, सीआईएसएफ, संबंधित एयरलाइंस और डीजीसीए के अधिकारियों की बैठक होती है। इसमें धमकी के सभी पहलुओं पर चर्चा होती है। कॉल की गंभीरता और स्त्रोत का आंकलन किया जाता है। जब तक इस बैठक से हरी झंडी नहीं मिलती, फ्लाइट को रोके रखा जाता है। जांच प्रक्रिया में कम से कम पांच से सात घंटे तो लग ही जाते हैं। इससे ज्यादा समय भी लगता है।
एक फ्लाइट के लिए ऐसी धमकी आती है तो उसे रोक दिया जाता है। इसके चलते लगभग डेढ़ से दो करोड़ रुपये का नुकसान होता है। फ्लाइट को खाली कराया जाता है। गहन चेकिंग होती है। जब ये सब होता है तो यात्रियों को दिक्कत होना भी लाजमी है। ऐसे में संबंधित एयरलाइंस, यात्रियों के लिए नाश्ता, खाना व दूसरी आवश्यक सुविधाओं का इंतजाम करती है।
उड़ान ज्यादा लेट है तो यात्रियों को होटल में ठहराना पड़ सकता है। कुछ मामलों में यात्रियों को सौ प्रतिशत रिफंड भी करना पड़ता है। एक दिन में कोई उड़ान, चार से छह चक्कर लगा लेती है। जब उसे जांच के लिए रोका जाता है तो सभी उड़ानें प्रभावित हो जाती हैं। सूत्रों का कहना है कि दिल्ली पुलिस एवं अन्य एजेंसियां, इन मामलों की जांच में जुटी हैं। अधिकांश थ्रेट कॉल या मैसेज, विदेशी धरती से किए जा रहे हैं, ऐसे में जांच प्रक्रिया तेजी से आगे नहीं बढ़ पाती। इसके लिए इंटरपोल जैसी अंतरराष्ट्रीय एजेंसियों की मदद ली जा रही है। साथ ही केंद्र सरकार, एयर क्रॉफ्ट सेफ्टी एक्ट को भी कठोर बनाने पर विचार कर रही है। इस तरह की धमकियां देने वालों को एक साल या आजीवन भर नो फ्लाइंग जोन में डालने का प्रावधान किया जा सकता है।
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