इंदौर। भूमाफियाओं के चंगुल में फंसी पिपल्याहाना क्षेत्र की चर्चित राजगृही कालोनी पर भूखंडों का कब्जा दिलवाने के लिए आयुक्त सहकारिता एवं पंजीयक भोपाल ने एक दो पेज का आदेश इंदौर भिजवाया है, जिसमें हाईकोर्ट द्वारा तय की गई समय सीमा के मद्देनजर तीन अधिकारियों की कमेटी भी गठित की गई, जिसके प्रमुख संयुक्त आयुक्त सहकारिता और दो सदस्य, जिसमें संस्था के अध्यक्ष या प्रशासक और रहवासी संघ के प्रतिनिधि शामिल रहेंगे। नतीजतन जागृति गृह निर्माण संस्था के प्रशासक संजय कौशल ने दावे-आपत्तियों की प्रक्रिया फिर से शुरू कराई है। आज से लेकर 10 नवम्बर तक ये दावे-आपत्तियां ली जाएगी। 65 एकड़ की इस विवादित कालोनी की प्रशासन द्वारा की जांच में 1685 रजिस्ट्रियों का खुलासा हुआ था और पूर्व में 1500 की बजाय 1250 स्क्वेयर फीट के छोटे भूखंडों के स्वीकृत किए गए अभिन्यास को भी पुनर्जीवित करवाया जाएगा।
जिन दागी गृह निर्माण संस्थाओं की जांच मुख्यमंत्री शिवराजसिंह चौहान के निर्देश पर कलेक्टर मनीष सिंह ने शुरू करवाई उनमें जागृति गृह निर्माण की चर्चित कालोनी राजगृही में हुए भू-घोटाले भी शामिल रहे। दरअसल इस संस्था पर काबिज भूमाफियाओं ने 1500 स्क्वेयर फीट की बजाय 1250 स्क्वेयर फीट के भूखंड कर दिए और शेष 15 एकड़ जमीन अन्य संस्थाओं और रसूखदारों को बेच डाली। प्रशासन की जांच में 65 एकड़ की इस कालोनी में 1685 रजिस्ट्रियां सामने आई और प्रशासन का भी यह दबाव रहा कि भूखंड पीडि़तों को 1500 स्क्वेयर फीट के मान से ही कब्जे दिलवाए जाएं। यही कारण है कि अयोध्यापुरी, पुष्पविहार सहित अन्य कालोनियों में तो प्रशासन ने कब्जे दिलवा दिए मगर राजगृही में यह प्रक्रिया नहीं शुरू हो सकी, क्योंकि हाईकोर्ट में भी मामला विचाराधीन रहा और कुछ समय पूर्व हाईकोर्ट ने पूर्व में दिए गए आदेश का पालन करने को कहा, जिसके मद्देनजर सहकारिता विभाग को दावे-आपत्ति की प्रक्रिया फिर से शुरू करना पड़ रही है।
आरई-2 के चलते भी कई भूखंड खत्म
अभी नगर निगम और प्राधिकरण द्वारा आरई-2 का निर्माण किया जा रहा है, जिसमें नगर तथा ग्राम निवेश ने एलाइनमेंट भी कुछ मंजूरियों के चलते बदल दिया। नतीजतन राजगृही कालोनी के बीच में से ही आरई-2 का निर्माण भी कर दिया। नतीजतन 70 से अधिक भूखंड सडक़ निर्माण के चलते भी खत्म हो गए। अब दावे-आपत्तियों में ये भूखंड मालिक भी सामने आएंगे। दरअसल संस्था ने जो अन्य सविता गृह निर्माण को साढ़े 7 एकड़ जमीन बेची उसी में से आरई-2 की सडक़ का निर्माण करवाया गया। हालांकि आगे इस सडक़ निर्माण में स्टे भी किसी अन्य जमीन मालिक ने हासिल कर रखा है। वहीं संस्था की जमीन भी कम हो गई।
15 एकड़ जमीन अतिशेष बताकर बेची
65 एकड़ में से 15 एकड़ जमीन को अतिशेष बताकर अन्य संस्थाओं और रसूखदारों को बेच दिया गया। साढ़े 7 एकड़ जमीन सविता गृह निर्माण ने, तो 4 एकड़ जमीन दीप गणेश के अलावा दीप गृह निर्माण, कुशल गुरु गृह निर्माण के साथ-साथ मालपानी और चामणिया ग्रुप ने भी कई भूखंडों के जरिए हासिल कर ली। इसी तरह ऋषभ गृह निर्माण के पास भी कुछ भूखंड चले गए। अब इन सभी जमीनों को सरेंडर करवाने की भी प्रक्रिया चल रही है। दीप गणेश की जमीन, जिसकी रजिस्ट्री 2004 में की गई थी, उसे सरेंडर करवाने के लिए कोर्ट में प्रकरण लगा दिया है। वहीं सविता गृह निर्माण के लिए भी ये प्रक्रिया की जाना है।
अग्निबाण ने 2006 में ही घोटाला पकड़ करवाई थी जांच… कलेक्टर की सख्ती के चलते बंदरबांट रूकी
अग्निबाण ने 2006 में ही जागृति गृह निर्माण में हुए भू-घोटाले को पकड़ लिया था और तत्कालीन कलेक्टर विवेक अग्रवाल ने एक जांच समिति बनाकर गड़बडिय़ां पकड़ी, जिसमें 21 पेज की रिपोर्ट भी तैयार हुई। बाद में जब भूमाफियाओं के खिलाफ दो साल पहले अभियान शुरू हुइआ, जब वर्तमान कलेक्टर मनीष सिंह की सख्ती के चलते संस्था की जमीन की अन्य बंदरबांट तो रूकी ही, वहीं जमीनें सरेंडर करवाने की प्रक्रिया भी शुरू की गई। सविता, दीप गणेश के अलावा जागृति की जो जमीनें ऋषभ, कुशल गुरु, दीपगृह के साथ अन्य रसूखदारों ने कबाड़ रखी है उन्हें भी सरेंडर करवाया जाएगा। सविता गृह निर्माण ने ही 118 रजिस्ट्रियां कर दी थी और संस्था की 15 एकड़ जमीन को अतिशेष बताकर भूमाफियाओं ने बेच डाली। पिछले दिनों एसडीएम प्रतुल्ल सिन्हा ने पूरी 65 एकड़ जमीन का सीमांकन भी करवा लिया, जिसमें 1685 रजिस्ट्रियों की जानकारी सामने आई। वहीं 14 करोड़ के विकास कार्य के नाम पर हुए एक अन्य घोटाले का भी खुलासा हुआ।
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