– शौर्य और वीरता का प्रतीक कारगिल विजय दिवस आज
इन्दौर। 60 दिनों के संघर्ष के बाद विजय का जय घोष करती भारतीय सेना की टुकड़ी ने कारिगल की चोटी पर तिरंगा फहराया था। यह जीत भारतीय सेना के गर्व का कारण इसलिए भी है कि दुश्मन पहाडिय़ों पर वार कर रहा था और भारतीय सेना नीचे से लड़ाई लड़ रही थी। आखिर सूझबूझ से एक बार हमारे हौसलों के आगे पाक घुसपैठियों ने घुटने टैक दिए थे।
इस संघर्षमयी जीत को याद करने के लिए आज 26 जुलाई का दिन कारगिल विजय दिवस के रूप में मनाया जाता है। इस दिन हमारे देश के जवानों ने अपनी जान दांव पर लगाकर दुश्मनों को धूल चटा दी थीा। हर साल इस दिन पूरा देश शहीद हुए जवानों को याद कर विजय दिवस के रूप में मनाता है। जम्मू कश्मीर के कारगिल में पाकिस्तानी आतंकवादियों ने भारतीय सेना की चौकियों पर कब्जा कर लिया था। इसके बाद साल 1999 मई महीने में कारगिल से सभी चौकियों को आजाद कराना शुरू कर दिया था। मई से लेकर जुलाई तक कारगिल में चौकियों को आजाद कराने के लिए युद्ध जारी ही था, ऐसा कहा जाता है कि कारगिल में कब्जा करने की साजिश पाकिस्तान के तत्कालीन सेना प्रमुख परवेज मुशर्रफ ने रची थी। सबसे पहले पाकिस्तानी सैनिक और आतंकवादी कारगिल इलाके में घुसे थे। इन लोगों को सबसे पहले भारतीय गड़ेरियों ने देखा था और इसके बाद गड़ेरियों ने भारतीय सैनिकों को खबर दी। पाकिस्तानियों के घुसपैठ की खबर सुनते ही भारतीय सैनिकों ने ऑपरेशन विजय की शुरुआत की। उस समय पाकिस्तानी घुसपैठियों ने इलाके में कई सारे मोर्चे भी बना लिए थे। पाकिस्तानियों ने कारगिल की कुछ अहम् जगह पर कब्ज़ा करके अपना पलड़ा भारी कर दिया था, लेकिन भारतीय फौजी भी कहां कम थे। उन्होंने भी पाकिस्तानियों को खदेडऩा शुरू कर दिया था। दो महीने से भी ज्यादा चले कारगिल युद्ध में भारतीय सेना ने 26 जुलाई 1999 को इस मिशन में सफलता हासिल कर ली थी। बस इसी के बाद से 26 जुलाई को कारगिल विजय दिवस के रूप में मनाया जाता है।
– युद्ध के दौरान 527 सैनिकों ने बलिदान दिया, 1400 घायल हुए थे
60 दिन तक चले इस युद्ध में 527 से अधिक भारतीय सैनिकों ने अपना बलिदान दिया और 1400 से अधिक सैनिक घायल हुए। पूरे युद्ध में 2 लाख 50 हजार गोले दुश्मनों पर दागे गए, वहीं 300 से अधिक मोटार्र तोप व राकेटों का भी उपयोग किया गया था। पूरे दो महीने से ज्यादा चले इस युद्ध में विदेशी मीडिया ने इस युद्ध को सीमा संघर्ष प्रचारित किया था। बाद में भारतीय थलसेना व वायुसेना ने लाइन ऑफ कंट्रोल पार न करने के आदेश के बावजूद अपनी मातृभूमि में घुसे आक्रमणकारियों को मार भगाया था। स्वतंत्रता का अपना ही मूल्य होता है, जो वीरों के रक्त से चुकाया जाता है।
©2024 Agnibaan , All Rights Reserved