इस कदर आपने अपना बनाया…कि उम्र के हर लम्हे ने आपकी दुआओं से निखरकर नूर पाया… 47 बरस का साथ… आपके अपनेपन की सौगात… क्या नहीं है हमारे पास… कभी बालपन में घुटनों के बल रेंगता… अपने प्राण-पुरुष संस्थापक स्व. नरेशचंद्रजी चेलावत की उंगली पकड़कर चलता… अपने असंख्य पाठकों की छाया में पलता अग्रिबाण आज बड़े से बड़े धावक के साथ दौड़ लगाते हुए हर शिखर को छूने का हौसला साबित कर उस चरम पर पहुंच चुका है, जहां विश्वास भी है… निखार भी है… हिम्मत भी है और हर उस खबर तक पहुंचने का जज्बा भी है, जिसकी जरूरत आपको महसूस होती है… इतने बरस के सफर की कामयाबी यदि कोई एक पंक्ति में बयां करना हो तो हम यही कहेंगे कि हमने कागज पर आग लगाकर सच को महकाया है… संस्कृति और संस्कार की महक को आप तक पहुंचाया है… दुर्दांतों… अपराधियों… माफियाओं को दफनाने का हौसला आपसे पाया है… हमने हर ईमानदार को पुरस्कार और बेईमान के तिरस्कार के जज्बे को जिंदा किया है… यह कलम का ही जादू है कि दुश्मन भी दोस्त बन जाते हैं, जब हम उन्हें सही राह पर चलने का आनंद उनके जेहन में जगा पाते हैं…आज अग्रिबाण पूरे दम के साथ दावा करता है कि हमारी कलम से कोई खफा नहीं हो सकता, क्योंकि हम व्यक्ति की खिलाफत नहीं, बल्कि उसकी गलतियों का विरोध करते हैं… उसे सच्चा और अच्छा बनाने का प्रयास करते हैं…एक पन्ने पर विरोध तो दूसरे पन्ने पर उसकी अच्छाइयों के समर्थन का प्रयास करते हैं… अग्रिबाण को निष्पक्षता और निर्भीकता दोनों का दर्पण बनाने की कोशिशों में जुटे रहते हैं…लोग इसे अखबार समझते हैं, लेकिन हकीकत यह है कि हम हर दिन प्रसव पीड़ा से गुजरते और इस बात से डरते हैं कि कहीं कोई समाचार दिव्यांग न हो जाए… उसकी रचना में कोई त्रुटि न रह जाए…वो समाचार किसी के जीवन से खिलवाड़ न कर जाए…हमारा हथियार किसी सभ्य की नैतिकता…सम्मान और पहचान का संहार न कर जाए…हम विचारों से बलवान बनेंगे तो ही एक स्वच्छ समाचार का निर्माण कर सकेंगे और यही वैचारिकता हमें हमारे पाठकों से जोड़ती रही…और आज हमारा अपना इतना बड़ा कुनबा है कि पूरे देश में सर्वाधिक प्रसार वाले सांध्य दैनिक के शिखर पर भी खड़े होकर हम आत्मनिरीक्षण और नियंत्रण के प्रयास में जुटे रहते हैं… किसी अहंकार को मन में नहीं रखते हैं… पाठकों को अखबार का मालिक समझते हैं और सेवक की भूमिका के निर्वाह में जुटे रहते हैं… आधी शताब्दी के करीब पहुंचने में जितना गौरव होता है उतनी जिम्मेदारियां भी होती हैं… उतनी कठिनाइयां भी होती हैं… हम इस गर्व के साथ अपनी कर्त्तव्यपरायणता निरंतर रखने का वादा करते हुए यही कहेंगे- राहे वफा से कभी हम न डिगेंगे…न डरेंगे…न बिखरेंगे… अखबार के हर पन्ने पर सच परोसते रहेंगे…हमारे प्राण-पुरुष बाबूजी स्व. नरेशचंद्रजी चेलावत के चरणों में यही भाव अर्पण करेंगे…जान देकर जिस आन को आपने बनाया है, उसके मान के लिए हर पल समर्पित रहेंगे…
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