रीवा। चोरहटा हवाई पट्टी के निर्माण में बड़ा खेल हो गया। भू-माफियाओं की जमीन फंसाने के लिए एयरपोर्ट को ही निर्धारित जगह से इधर उधर कर दी गई। उत्तर और दक्षिण में 115-115 मीटर जमीन और खिंसका दी गई। अब दो भू-माफियाओं की सालों से बंजर पड़ी जमीन सोने के दाम सरकार खरीदने को मजबूर हो गई है। यहां और एक खेल हुआ है। इसमें तहसीलदार और पटवारी ने करामात की है। रोक के बाद भी जमीनों को टुकड़ों में बांट दिया। लाखों का मुआवजा करोड़ों तक पहुंचा दिया। करीब 40 करोड़ की चपत लगेगी।
रीवा में चोरहटा हवाई पट्टी का विस्तार हो रहा है। वर्ष 2016 से इसकी तैयारी चल रही है। पहले प्रस्ताव बनाकर उड्डयन मंत्रालय को भेजा गया था। स्वीकृति नहीं मिली। अब कैबिनेट से प्रस्ताव पास होने के बाद भारतीय विमान पत्तन प्राधिकरण को सौंप दिया गया है। भारतीय विमान पत्तन प्राधिकरण ने काम भी शुरू कर दिया है। 99 साल की लीज पर हवाई पट्टी दी गई है। इसे अंतरराष्ट्रीय स्तर का हवाई अड्डा बनाया जाएगा। इसके लिए सरकार के पास सिर्फ 64 एकड़ जमीन थी। वहीं करीब 200 एकड़ भूमि किसानों से अधिग्रहित की जानी है। इसके लिए सर्वे और लिस्टिंग का काम पूरा हो गया। इस भूमि अधिग्रहण में ही बड़ा खेल हो गया। कुछ खेल भोपाल से हुआ और कुछ स्थानीय स्तर पर पर बैठे राजस्व अधिकारियों और कर्मचारियों ने कर दिया है। करीब 40 करोड़ की चपत इस मुआवजा वितरण में सरकार को लगनी तय है।
दो से तीन दिन में मुआवजा वितरण भी शुरू हो जाएगा। हद तो यह है कि सब की आंखों में धूल झोंक कर पहले से निर्धारित जगह और जमीन से कहीं अधिक भूमि का चयन सिर्फ दो भूमाफियाओं को फायदा पहुंचाने के लिए किया गया है। इनकी करीब 10 एकड़ भूमि इसमें फंस गई है। जिनकी जमीन बेजान थी, अब वही कीमती हो गई है। इस तरह से किया गया खेल रीवा के दो बड़े कॉलोनाइजरों ने सालों पहले चोरहटा में 10 एकड़ भूमि पार्टनरशिप में ली थी। यहां कॉलोनी बसाने की तैयारी थी। चोरहटा हवाई पट्टी के दक्षिण में इनकी जमीन थी। चोरहटा हवाई पट्टी का प्रोजेक्ट तैयार हुआ तो इनकी भूमि फंस ही नहीं रही थी। वहां तक विस्तार ही नहीं किया जा रहा था। बाद में इन दोनों भू-माफियाओं ने ऐसा खेल खेला कि करीब उत्तर और दक्षिण की तरफ चोरहटा हवाई पट्टी को 115 और 115 मीटर बढ़ा दिया गया। इसका दायरा बढ़ते ही बंजर भूमि करोड़ों रुपए कीमती हो गई। अब सारी भूमि विस्तार में फंस रही है।
सरकार को चपत लगाने में सबसे बड़ा खेल हुजूर राजस्व अधिकारी और कर्मचारियों ने किया। इसमें तहसीलदार हुजूर और पटवारी चोरहटी की भूमिका संदिग्ध है। शासन ने एकड़ के लिए करीब 80 लाख रुपए ही मुआवजा का निर्धारण किया था। वहीं वर्गफीट में भूमि का मुआवजा अधिक रखा गया था। यही वजह है कि पटवारियों ने कमीशन में जमीन लेकर भू-स्वामियों की जमीन को टुकड़ों में कर डाला। रोक के बाद भी बंटनवारा और डायवर्सन का खेल जारी रहा। 1 एकड़ भूमि को परिवार के अलग अलग सदस्यों के नाम बंटवारा कर दिया गया। इससे रकबा 10 डिसमिल से कम होने पर मुआवजा वर्गफीट में बना।
इनकी भूमिका रही संदिग्ध
चोरहटी, चोरहटा, उमरी और अगडाल में पदस्थ पटवारियों ने इसमें खेल किया। शासन ने वर्ष 2016 से चार गांव की जमीन के खरीदी बिक्री पर रोक लगाई थी। बाद में हालांकि रजिस्ट्री में छूट मिल गई थी लेकिन डायवर्सन और बंटनवारा प्रतिबंधित था। इसके बाद भी धड़ल्ले से दोनों काम होते रहे। इसमें अनुविभागीय अधिकारी की भी भूमिका संदिग्ध रही। पटवारियों ने भूमि स्वामियों को ज्यादा मुआवजा दिलाने के नाम पर जमीनों के छोटे छोटे टुकड़े कराए। डायवर्सन और बंटनवारा भी चुपचाप कर दिया। इसमें तहसीलदार ने भी बराबर साथ दिया।
इस तरह समझें मुआवजा का खेल
शासन ने जमीन अधिग्रहण के बदले मुआवजा राशि पहले से ही तय कर रखी थी। एक एकड़ भूमि के बदले 40 लाख रुपए निर्धारित है। शासन दोगुना राशि किसानों को दे रही है। यह 80 लाख एकड़ तक पहुंचता है। वहीं छोटे रकबे जो 5 हजार स्क्वेयर फीट से कम या 10 डिसमिल से छोटे हैं। उन्हें 1200 रुपए प्रति स्क्वेयर फीट मुआवजा दिया जा रहा है। ऐसे में छोटे रकबे में एकड़ की तुलना में 6 गुना ज्यादा मुआवजा बन रहा। 80 लाख की जगह 5 करोड़ एक एकड़ में मुआवजा बनाया गया है। जैसे किसी भूमि स्वामी के पास 1 एकड़ भूमि है तो उसे 10 लोगों के नाम कर दिया गया। इससे रकबा 10 डिसमिल से कम हो गया और मुआवजा भी एकड़ की तुलना में कहीं अधिक बन गया। हालांकि इस पूरे कारस्तानी में पटवारी ही शामिल रहे। कमीशन के तौर पर भू-स्वामियों से 10 डिसमिल जमीन लिए हैं।
डेढ़ किमी लंबा बनना है ट्रैक
वर्तमान में 9 हेक्टेयर शासकीय भूमि पहले से ही चोरहटा हवाई पट्टी के पास है। चोरहटा हवाई अड्डा के विस्तार के लिए करीब 250 एकड़ जमीन चिन्हित की गई है। चोरहटा, चोरहटी, अगडाल, उमरी गांव की जमीनें चिन्हित है। नई हवाई सेवा शुरू होने के साथ हवाई अड्डा भी नए सिरे से तैयार होगा। प्रस्ताव के अनुसार डेढ़ किमी लंबा ट्रैक होगा। वहीं इसकी चौड़ाई 800 मीटर रखी जाएगी।
कहां कितनी जमीनें की जा रहीं अधिग्रहित
ग्राम सरकारी भूमि निजी भूमि
चोरहटी 0.000 07.349 हेक्टेयर
चोरहटा 0.000 19.266 हेक्टेयर
अगडाल 9.101 23.200 हेक्टेयर
उमरी 3.280 31.386 हेक्टेयर
पतेरी 0.000 09.222 हेक्टेयर
योग 12.381 90.423 हेक्टेयर
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