नई दिल्ली। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग इस महीने पांच बार अलग-अलग शिखर सम्मेलनों के वर्चुअल मंचों पर आमने-सामने होंगे। 10 नवंबर को रूस में होने वाली शंघाई सहयोग संगठन (एससीओ) की बैठक से इस शृंखला का आगाज होगा।
मई में चीन के साथ वास्तविक नियंत्रण रेखा पर हुए गतिरोध के बाद से जारी तनाव के बाद यह पहला मौका होगा जब मोदी-जिनपिंग किसी मंच को साझा कर रहे होंगे। इससे पहले दोनों नेता जी-20 देशों के वर्चुअल सम्मेलन में अप्रैल में एक मंच पर आए थे। नवंबर विदेश मामलों के लिए 2020 का व्यस्ततम महीना होगा।
मोदी और जिनपिंग एससीओ बैठक के बाद 17 नवंबर को रूस में ही ब्रिक्स और 21 व 22 नवंबर को सऊदी अरब की मेजबानी में जी-20 देशों की बैठक में एक बार फिर वर्चुअल स्क्रीन साझा करेंगे। इसके अलावा 11 नवंबर को पूर्वी एशियाई सम्मेलन और 30 नवंबर को सरकार के प्रमुखों की बैठक एससीओ परिषद में भी दोनों नेताओं का आमना-सामना होने की संभावना है। 30 नवंबर की बैठक की मेजबानी खुद दिल्ली करेगा।
सूत्रों के मुताबिक, विदेश मंत्रालय इन सभी शिखर सम्मेलनों की व्यस्त तैयारी कर रहा है। इसमें सर्वाधिक जोर कोरोना का टीका निर्माण और वितरण में भारत के प्रयासों को आगे बढ़ाने पर होगा। इसके अलावा कोरोना के बाद बहुपक्षीय संस्थानों में वैश्विक सुधार पर भी ध्यान केंद्रित किया जाएगा। इसके लिए अधिक आत्मनिर्भर, विविध और मूल्य शृंखला का निर्माण करने पर जोर दिया जा एगा। हालांकि सूत्रों के मुताबिक वर्चुअल मंच के कारण इन सम्मेलनों और बैठकों में कोई द्विपक्षीय करार नहीं होगा।
जी-20 बैठक होगी अहम
सऊदी अरब की मेजबानी में होने वाली जी-20 बैठक इन पांचों शिखर सम्मेलनों में सबसे अहम होने वाली है। इस बैठक में सभी देश कोरोना के बाद वैश्विक अर्थव्यवस्था सुधार पर चर्चा करेंगे। इसमें कोरोना के असर से लेकर आगे की आवश्यकताओं पर चर्चा होगी।
पाकिस्तान को न्योता भेजेगा दिल्ली
सूत्रों के मुताबिक सरकार प्रमुखों की एससीओ परिषद की मेजबानी कर रही दिल्ली पाकिस्तान को भी न्योता भेजेगी। हालांकि अभी यह स्पष्ट नहीं है कि इस्लामाबाद से इस बैठक में कौन शामिल होगा।
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