इंदौर। इंदौर जिले के ग्रामीण क्षेत्रों में सोयाबीन (Soybean) की बुवाई अंतिम दौर में चल रही है। इसके अलावा जिन गांवों में सोयाबीन (Soybean) की फसल अंकुरित हो गई है, वहां ट्रैक्टर के जरिए डोरे चलाते हुए फसल को दोनों तरफ से मिट्टी देकर उपजाऊ बनाया जा रहा है। मालवा का प्रसिद्ध पीला सोना (Yellow Gold) माने जाने वाले सोयाबीन (Soybean) की खेती का अलग ही महत्व है। सभी किसान ज्यादा से ज्यादा सोयाबीन (Soybean) की बुवाई करते हैं।
देपालपुर क्षेत्र के चटवाड़ा, नेवरी (Chatwara,Newari) और पिपलोदा (Piploda) सहित अन्य गांवों में ज्यादातर किसानों के खेतों में सोयाबीन (Soybean) की बुवाई हो चुकी है। कई किसानों (Farmers) की फसलें अंकुरित हो गई हैं, जिसके बाद वे डोरे चला रहे हैं। देपालपुर क्षेत्र के ग्राम नेवरी के किसान संजयसिंह गहलोत एवं सतीश पटेल व योगेंद्र गुड्डू ने बताया कि उनके खेतों में सोयाबीन(Soybean) की फसल अंकुरित हो गई है, जिसके बाद डोरे चलाकर फसल के दोनों तरफ मिट्टी की मेढ़ बनाई जा रही है। इसी तरह ग्राम पिपलोदा (Piploda) के किसान हरिराम सोलंकी सहित अन्य किसानों (Farmers) ने बताया कि मौसम अच्छा होने से इस बार सोयाबीन(Soybean) की फसल अच्छी होने की संभावना है। कई किसानों (Farmers) के खेतों में सोयाबीन (Soybean) अंकुरित हो गई है, जिसके बाद से डोरे चलाए जा रहे हैं। देपालपुर क्षेत्र के चंबल नदी (Chambal River) के दूसरी ओर लिंबोदापार, जलोदियापार, पलासियापार, सेमंदा (Limbodapar, Jalodiapar, Palasiapar, Semanda) और भाग्यखेड़ी (Bhagyakhedi) सहित अन्य गांवों में भी सोयाबीन (Soybean) की फसल अंकुरित हो गई है, जहां ट्रैक्टर के जरिए डोरे चलाए जा रहे हैं। डोरे चलाने से फसलों के दोनों ओर मिट्टी हो जाती है, जिससे उपज ज्यादा बढ़ती है। देपालपुर के अलावा सांवेर, हातोद (Sanwer, Hatod) एवं महू 9Mhow) क्षेत्र सहित इंदौर (Indore) के शहरी व ग्रामीण क्षेत्रों में भी सोयाबीन (Soybean) फसल की बुवाई अंतिम दौर में है। इन इलाकों में भी जहां-जहां फसल अंकुरित हो गई है वहां डोरे चलाए जा रहे हैं।
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