नई दिल्ली। देश में जिस तरह से कोरोना के मरीज (Corona Patients) रोजाना बढ़ रहे हैं, उससे बीमारी को लेकर लोगों में चिंता बढ़ रही है। हालांकि इसके उलट स्वास्थ्य विशेषज्ञ संक्रमण (Infection) बढ़ने को कोरोना के प्रति इम्यूनिटी बना पाने के प्रमुख हथियार के रूप में भी देख रहे हैं। स्वास्थ्य विशेषज्ञों का कहना है कि माइल्ड लक्षणों और प्रभाव वाला ओमिक्रोन कोरोना महामारी के अंत (End of Corona Pandemic) में सहायक सिद्ध हो सकता है। हालांकि इसे लेकर अभी अनुमान ही जताया जा रहा है लेकिन राहत की बात यह है कि ओमिक्रोन के मरीजों (Omicron Patients) में लक्षण जरूर कम देखने को मिल रहे हैं। बड़ी संख्या में मरीजों में सिर्फ एक ही लक्षण सामने आ रहा है और वह भी 4-5 दिन में ठीक हो रहा है।
दिल्ली अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (AIIMS) के पूर्व निदेशक डॉ. एमसी मिश्र बताते हैं कि देखा जा रहा है कि ओमिक्रोन (omicron) से संक्रमित मरीजों में लक्षण काफी कम दिखाई दे रहे हैं। दो साल पहले से चल रहे कोरोना के दौरान तमाम नए-नए लक्षण सामने आ रहे थे लेकिन इस नए वेरिएंट के मरीजों में सिर्फ एक लक्षण प्रमुखता से दिखाई दे रहा है। इनमें से अधिकांश मरीजों को सिर्फ बुखार (Fever) आ रहा है, लेकिन जांच कराने पर पता चल रहा है कि ये सार्स कोव-टू के इस वेरिएंट से संक्रमित हैं। इन्हें खांसी, गले में दर्द, सिरदर्द जैसी शिकायतें नहीं हो रही हैं।
डॉ. मिश्र कहते हैं कि यह भी देखा जा रहा है कि ओमिक्रोन संक्रमण में सिर्फ बुखार के चलते इन्हें कोई विशेष दवाओं की जरूरत नहीं पड़ रही है। ये सिर्फ पैरासिटामोल की गोली लेकर भी ठीक हो रहे हैं। इतना ही नहीं इन्हें ठीक होने में भी सिर्फ चार से पांच दिन लग रहे हैं। इसके बाद कोई कमजोरी या अन्य कोई लक्षण देखने में नहीं आ रहा है। यही वजह है कि स्वास्थ्य से जुड़े विशेषज्ञों को लग रहा है कि ओमिक्रोन के बाद शायद कोरोना महामारी से राहत मिले. यह बीमारी हमारे आसपास रहे लेकिन अन्य सामान्य बीमारियों की तरह रहे।
डॉ. मिश्र कहते हैं हालांकि उन लोगों को ज्यादा सावधानी बरतने की जरूरत है, जिनका ऑर्गन ट्रांस्प्लांट हुआ है, किडनी या लीवर के रोगों से ग्रस्त हैं, कैंसर या कार्डियक संबंधी परेशानियां झेल रहे हैं या जिनकी कीमो थेरेपी या अन्य कोई इलाज चल रहा है. पहले से रोगों से ग्रस्त होने के कारण इनकी प्रतिरोधक क्षमता कोरोना वायरस को रोकने में पूरी तरह सक्षम नहीं हो पाती, इसलिए कोरोना का इन पर ज्यादा असर होता है।
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