वाराणसी। बाबा विश्वनाथ की नगरी काशी में कोरोना संकट के बावजूद शनिवार को लोगों ने उत्साह के साथ भगवान गणेश का दर्शन पूजन किया। भाद्रपद माह के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि (गणेश चतुर्थी) पर बड़ागणेश स्थित दरबार में लोगों ने कोविड प्रोटाकाल का पालन कर दर्शन पूजन किया।
विघ्नहर्ता के अवतरण दिवस पर जिला प्रशासन के निर्देश के अनुरूप लोग सार्वजनिक रूप से पूजन अर्चन करने से बचते रहे। सम्पूर्णानन्द संस्कृत विश्वविद्यालय में कुलपति प्रो. राजाराम शुक्ल ने सम्पूर्ण परिवार के साथ विश्व कल्याण के अभ्युदय एवं मंगल कामना हेतु विधि पूर्वक से भगवान गणेश का पूजन किया।
कुलपति प्रो. शुक्ल ने बताया कि श्री गणेश के पूजन से घर में सुख समृद्धि एवं बुद्धि विवेक की वृद्धि भी होती है। गणेश पूजन की पौराणिक मान्यताओं के अनुसार आज के दिन ही भगवान शिव के गण हाथी का शीश लेकर कैलाश पहुंच गये, तब हाथी का शीश लगाकर भगवान शिव ने गणेश चतुर्थी को पुर्न जीवित किया था।
उन्होंने कहा कि गणेश जी को सभी देवताओं में प्रथम पूज्य देव माना गया है। इस दिन गणपति बप्पा को अपने घर मे लाकर स्थापित करने से भक्तों के सारे विघ्न बाधाएं दूर जो जाती हैं।
कुलपति प्रो. राजाराम ने बताया कि यह पर्व सभी प्रकार की सिद्धियों और नवनिधियों के दाता एवं प्रथम पूज्य श्री गणेश के विधिवत पूजन शुभता का प्रतीक है । विश्वविद्यालय में पूजन एवं महा आरती पुजारी डॉ. राजकुमार मिश्र,डॉ विजय कुमार ने विधिवत संपन्न कराया।
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