ज्वालामुखी । कांगड़ा में (In Kangda) सोमवार को गुप्त नवरात्र की अष्टमी को (On the Ashtami of Gupta Navratri) बड़ी तादाद में श्रद्धालुओं (Large Number of Devotees) ने मंदिरों में दर्शन कर पूजा अर्चना की (Visited the Temples and Offered Prayers) । सुबह से ही मंदिरों में बड़ी तादाद में तीर्थयात्रि दर्शनों के इंतजार में कतारों में देखे गये। कांगड़ा जिले के ज्वालामुखी, ब्रजेश्वरी व चामुण्डा नन्दिकेश्वर धाम में गुप्त नवरात्र अश्टमी के चलते विभिन्न प्रदेशों से आने वाले तीर्थयात्रियों का तांता लगा हुआ है। [rrelpost]
इस पावन अवसर पर मां ज्वालाजी और ब्रजेश्वरी के दर्शन करना बहुत उत्तम माना जाता है। जनश्रुति के अनुसार गुप्त नवरात्रों के दौरान जो व्यक्ति श्रद्धा से मां के दरबार में मन्नत मांगते हैं, वह निशिचत रूप से पूर्ण होती है। इन शक्तिपीठों में गुप्त नवरात्रों का महान पर्व मनाया जाता है, जिसमें शक्ति की विशेष अराधना की जाती है। कांगड़ा के तीनों शक्तिपीठों में वर्षभर में चार नवरात्रे, जिसमें हिन्दु पद्धति के अनुसार वर्ष के आरम्भ में चैत्र नवरात्र अषाढ़ मास के गुप्त नवरात्र, श्रावण मास में श्रावणाष्टमी नवरात्र और शरद् नवरात्र के अवसर पर विषेष मेलों का आयोजन किया जाता है, जिसमें देश-विदेश से लाखों की तादाद में तीर्थयात्रि एवं पर्यटक मां भवानी के दर्शन करके पुण्य कमाते हैं।
गुप्त नवरात्र के दौरान मन्दिर न्यास द्वारा श्रद्धालुओं की सुविधा के लिये प्रशासन की ओर से पेयजल, प्रसाधन, सफाई, पार्किंग इत्यादि की पूर्ण व्यवस्था की गई है तथा सुरक्षा के लिये तीनों शक्तिपीठों में अतिरिक्त सुरक्षा बल तैनात किये गये हैं। असमाजिक तत्वों पर नजऱ रखने के लिये मन्दिर परिसर में जगह-जगह सीसीटीवी कैमरे स्थापित किये गये हैं। इसके अतिरिक्त यात्रियों के लिये लंगर की विषेष व्यवस्था की गई है।
ज्वालामुखी संस्कृत कालेज के प्रचार्य , आचार्य प्रबल शास्त्री ने बताया कि हिन्दू धर्म में नवरात्र मां दुर्गा की साधना के लिए बेहद महत्त्वपूर्ण माने जाते हैं। नवरात्र के दौरान साधक विभिन्न तंत्र विद्याएं सीखने के लिए मां भगवती की विशेष पूजा करते हैं। तंत्र साधना आदि के लिए गुप्त नवरात्र बेहद विशेष माने जाते हैं। उन्होंने कहा कि आषाढ़ मास के शुक्ल पक्ष में पडऩे वाली नवरात्र को गुप्त नवरात्र कहा जाता है। गुप्त नवरात्रि विशेषकर तांत्रिक क्रियाएं, शक्ति साधना, महाकाल आदि से जुड़े लोगों के लिए विशेष महत्त्व रखती है। इस दौरान देवी भगवती के साधक बेहद कड़े नियम के साथ व्रत और साधना करते हैं। इस दौरान लोग लंबी साधना कर दुर्लभ शक्तियों की प्राप्ति करने का प्रयास करते हैं।
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