प्रशासन की सक्रियता व ग्रामीणों की जागरूकता रंग लाई
अब 93 की जगह 59 गांव ही रेड झोन में…10 येलो झोन गांव भी कम हुए
इंदौर। ग्रामीण क्षेत्रों (Rural areas) में अब कोरोना मरीजों की संख्या लगातार घट रही है। मात्र 4 दिनों में ही 93 की जगह पर 59 गांव रेड झोन (Red zone) की श्रेणी में आ गए हैं। इसके अलावा 10 येलो झोन गांव भी कम हुए हैं। प्रशासन की सक्रियता और ग्रामीणों की जागरूकता अब रंग रंग ला रही है और धीरे-धीरे गांव में संक्रमित मरीजों में कमी आ रही है। जिला प्रशासन (District administration) द्वारा 4 दिन पहले इंदौर जिले के 609 गांवों को रेड, येलो और ग्रीन झोन में बांटा गया था। 22 तारीख को इंदौर जिले में रेड झोन (Red zone) में 93 गांव थे। प्रशासन ने इन गांवों पर विशेष ध्यान देते हुए संक्रमित मरीजों को कोविड सेंटर भेजने के साथ ही लोगों को जागरूक किया, जिसका परिणाम यह रहा कि 23 मई को 11 गांव, 24 मई को 14 तथा 25 मई को 9 गांव रेड झोन के घट गए। इस तरह से मात्र 4 दिनों में ही 34 गांव कम हो गए हैं। वर्तमान में जो रेड झोन गांव हैं, उनमें देपालपुर में सबसे कम 4, इंदौर में 17, महू में 19 तथा सांवेर में 19 गांव हंै। इसके अलावा येलो झोन गांवों में भी कमी आई है। 22 मई को पूरे जिले में 149 येलो झोन गांव थे, जिनमें 4 दिनों में 10 गांव की कमी आई है। अब पूरे जिले में 139 गांव ही इस झोन में बचे हैं। इनमें सबसे ज्यादा देपालपुर में 37, इंदौर में 31,महू में 34 और सांवेर में 37 गांव हैं।
31 मई तक संक्रमित गांवों में आएगी कमी… सुबह से ही निकल पड़ती है टीम
जिला प्रशासन (District administration) का प्रयास है कि 31 मई तक और रेड और येलो झोन गांवों में कमी आए। जिला पंचायत सीईओ हिमांशु चंद्र (Himanshu Chandra) ने बताया कि सुबह से ही प्रशासन और स्वास्थ्य विभाग सहित जनपद पंचायत की टीम गांव में निकल पड़ती है। खासकर रेड और येलो झोन गांव में विशेष ध्यान दिया जा रहा है। यहां जो भी संक्रमित मरीज हैं, उन्हें तत्काल कोविड सेंटरों ( (Covid Centers) में भेजा जा रहा है। इसके अलावा लोगों को कोरोना गाइड लाइन का पालन करने के लिए जागरूक किया जा रहा है। प्रशासनिक अधिकारियों की सक्रियता का ही परिणाम है कि अब आम जनता जागरूक हो गई है। रेड और येलो झोन में दूसरे गांव के लोगों की आवाजाही भी बंद कर दी गई है।
गांव के प्रवेश द्वार पर ही बांध दिए हैं बांस-बल्ली और रस्सियां…युवाओं की टोली तैनात
ग्रामीण क्षेत्रों (Rural areas) में गांव के प्रवेश द्वार पर ही बांस-बल्ली और रस्सियां बांधकर किसी भी बाहरी व्यक्ति को आने नहीं दिया जा रहा है। यहां हर 2 घंटे के अंतराल में युवाओं की टोली तैनात रहती है। खासकर रेड और येलो झोन गांव में विशेष चौकसी की जा रही है। प्रशासनिक अफसर भी युवाओं के इस जोश और उमंग को देखकर उनका हौसला बढ़ाते रहते हैं। अगर गांव में कोई जरूरी काम से आता है तो पहले उसके आने की पूरी जानकारी ली जाती है। अगर कोई रिश्तेदार या परिचित हुआ तो ही अंदर जाने दिया जाता है। हालांकि अब लोग भी समझ गए हैं, इसलिए एक गांव से दूसरे गांव में आना-जाना कम कर दिया है।
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