इंदौर, प्रदीप मिश्रा। पिछले जनवरी माह में स्ट्रीट डॉग्स (street dogs), यानी शहरी श्वानों ने लगभग 4000 लोगों को काट-नोंचकर अपना शिकार बनाया है। इनमें से 3773 लोगों को इलाज के लिए अस्पताल जाना पड़ा। इलाज करने वाले डॉक्टरों का कहना है कि इस नए साल के पहले महीने में जितने लोग श्वानों का शिकार (dog hunting) हुए, उनकी संख्या पिछले 6 सालों के जनवरी माह में श्वान पीडि़तों (dog victims) से बहुत ज्यादा है। आखिर क्या वजह है कि गली, चौराहे और मोहल्लों के श्वान दिनोदिन इतने उग्र और हिंसक (furious and violent) होते जा रहे हैं।
अपनी वफादारी के चलते समाज, शहर, गांव और बस्तियो (Cities, villages and settlements) में इंसानों के सबसे ज्यादा करीब रहने वाले वफादार जानवर श्वान दिनोदिन आक्रामक और हिंसक होते जा रहे हैं। ऐसा एक भी दिन नहीं गुजरता जब श्वानों ने किसी को काटा या नोंचा न हो। पिछले सालों से जहां इनकी संख्या में बेतहाशा बढ़ोतरी हो रही है तो वहीं हर रोज इनसे घायल होने वालों के आंकड़े भी लगातार बढ़ते चले जा रहे हैं। वफादारी के चलते पालतू जानवरों (pets) में पहला तमगा हासिल करने वाले श्वानों का स्वभाव बड़ी तेजी से क्यों बदल रहा है यह किसी को समझ में नहीं आ रहा है। डॉक्टर्स सहित शिक्षाविदों व समाजशास्त्रियों (Academics and sociologists including doctors) का मानना है कि शहर के अस्पतालों के रिकॉर्ड के अनुसार इंदौर शहर अब सिर्फ साफ-सफाई और स्वच्छता में ही नहीं, बल्कि श्वानों और इनसे पीडि़तों के मामले में भी नंबर वन बन चुका है।
हर रोज 125 से ज्यादा लोग शिकार
पिछले महीने जनवरी माह में श्वानों ने हर रोज लगभग 125 से ज्यादा लोगों को काट-नोंचकर घायल कर दिया। पिछले सिर्फ 31 दिनों में हर उम्र के 3773 पीडि़त महारानी रोड पर संचालित लाल अस्पताल (Operated Lal Hospital) में इलाज कराने जा चुके हैं। इस साल 2022 के शुरुआती एक महीने में सबसे ज्यादा लोगों को काटकर श्वानों ने साल 2016 से लेकर 2021 तक का, यानी पिछले 6 सालों का रिकॉर्ड तोड़ दिया है।
6 सालों में 1 लाख 66 हजार 397 शिकार
लाल अस्पताल के सरकारी रिकॉर्ड (Government Records of Lal Hospital) के अनुसार साल 2016 से लेकर 2021 तक 1,66,397 लोगों को श्वानों ने शिकार बनाया है। साल-दर-साल पिछले छह सालों से श्वानों से पीडि़तों की संख्या में लगातार इजाफा होता जा रहा है।
साल श्वान पीडि़त
2016 20,455
2017 24,151
2018 29,045
2019 32,647
2020 27,694
2021 32,405
पिछले साल 2021 के 12 महीनों में 1 जनवरी से 31 दिसम्बर तक 32,405 लोगों को शिकार बनाया है। हर महीने के आंकड़े इस प्रकार हैं-
माह श्वान पीडि़त
जनवरी 3331
फरवरी 3116
मार्च 3025
अप्रैल 1888
मई 1684
जून 2241
जुलाई 2501
अगस्त 2598
सितम्बर 2671
अक्टूबर 2813
नवम्बर 2964
दिसम्बर 2493
साल 2016 से साल 2022 तक 1,66,397 लोग श्वानों का शिकार हुए हैं। यह आंकड़े यकीनन चिंताजनक है। शहर के श्वान आक्रामक, उग्र और हिंसक क्यों होते जा रहे हैं इस मामले में गहन शोध और अनुसंधान होना चाहिए। -डॉक्टर आशुतोष शर्मा, सर सेठ हुकमचंद अस्पताल
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