इंदौर। लम्पी स्किन डिज़ीज़ ने इंदौर जिले के विभिन्न गांवों में भी दस्तक दे दी है, जिससे हडक़ंप मच गया है। बचाव के लिए पशुओं को तेजी से वैक्सीन लगाई जा रही है। सूत्रों के मुताबिक इंदौर जिले के देपालपुर और महू में 27 पशु लंपी चर्म रोग के चपेट में आ गए हैं, जिसे गंभीरता से लेते हुए इन पशुओं के लिए चारे पानी की व्यवस्था अलग करते हुए दूसरे पशुओं से दूर रखा गया है। जिस गांव के पशु संक्रमित हैं, वहां के सभी पशुपालकों को निर्देश दिए गए हैं कि वे अपने पशुओं को बाहर नहीं जाने दें और वैक्सीन जरूर लगवाएं।
पशुपालन विभाग के साथ-साथ राजस्व अमला भी फील्ड में उतरा
लंपी चर्म रोग की इंदौर जिले में पुष्टि होने के बाद से प्रशासनिक अधिकारी सक्रिय हो गए हैं। पशुपालन विभाग के साथ-साथ क्षेत्रीय एसडीएम, तहसीलदार सहित अन्य अधिकारी भी गांव-गांव में जाकर पशुपालकों को जागरूक कर रहे हैं। पशुपालकों से कहा जा रहा हैं कि अगर किसी के यहां कोई पशु इस बीमारी की चपेट में आया है तो तुरंत उसे अलग रखें, साथ ही टीके अवश्य लगवाएं।
पूरे जिले में 10 हजार वैक्सीन मंगवाए… 3 हजार लगा भी दिए
इंदौर जिले के लिए कुल 10 हजार शीप पॉक्स वैक्सीन मंगाए जा चुके हैं, जिसमें से लगभग 3 हजार लगा भी दिए हंै। जो पशुपालक अपने पशुओं को टीके लगवाने से वंचित हैं, उन्हें समझाइश दी जा रही है कि वे जल्द से जल्द पशुपालन केंद्र आए और टीके लगवाएं।
इंदौर संभाग के खंडवा, बुरहानपुर, खरगोन और धार जिले में सैकड़ों पशु चपेट में…50 हजार वैक्सीन भिजवाए
सबसे ज्यादा इंदौर संभाग के खंडवा, बुरहानपुर, खरगोन, धार एवं झाबुआ जिले प्रभावित हैं। इन जिलों में सैकड़ों पशु इस बीमारी की चपेट में आ गए हैं। पशुपालन विभाग के आंकड़े के मुताबिक बुरहानपुर जिले में 308 पशु, खंडवा में 60, खरगोन जिले में 50, धार में 45 और झाबुआ में भी 3 दर्जन पशु संक्रमित हो चुके हैं। शासन द्वारा इन जिलों में 50 हजार वैक्सीन भिजवा दिए गए हैं, जिसमें से 20 हजार टीके पशुओं को लगा भी दिए गए हैं। शेष बचे वैक्सीन लगाने के लिए प्रतिदिन सुबह से लेकर शाम तक टीम गांव में ही दौड़ रही है।
एक पशु से दूसरे में आसानी से फैल जाती है बीमारी
यह बीमारी पशुओं की वायरल बीमारी है, जो पॉक्स वायरस से मच्छर, मक्खी, टिक्स आदि से एक पशु से दूसरे पशु में फैलती है। शुरुआत में हल्का बुखार दो-तीन दिन के लिए रहता है। इसके बाद पूरे शरीर की चमड़ी में 2-3 सेंटीमीटर की गठानें निकल आती हैं, जो चमड़ी के साथ मांसपेशियों की गहराई तक जाकर मुंह, गले एवं श्वांस नली तक फैल जाती है, साथ ही लिम्फ नोड, पैरों में सूजन, दुग्ध उत्पादन में कमी, गर्भपात, बांझपन और कभी-कभी पशु की मृत्यु भी हो जाती है।
जागरूकता जरूरी…
गौशालाओं के साथ-साथ पशुपालकों से भी अपील की गई है कि अगर किसी पशु में इस बीमारी के लक्षण दिखे तो तुरंत पास के पशु चिकित्सालय या जिला चिकित्सालय सहित पशुपालन विभाग को सूचित करें। लक्षण में प्रमुख रूप से बुखार आना, चारा कम खाना, दूध नहीं देना या चेचक के दाग होना… महत्वपूर्ण है। आम लोगों की जागरूकता से ही इस बीमारी पर काबू पाया जा सकता है।
-जीएस डाबर, संभागीय संयुक्त संचालक
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