इन्दौर। सेन्ट्रल जेल (Central Jail) से कल स्वतंत्रता दिवस ( Independence Day) के अवसर पर क्षणिक आवेश में हथियार(Prisoners) उठाकर हत्यारा कहलाने वाले 24 कैदियों, जिनमें दो महिलाएं (Women) भी थीं, को जेल में हुए स्वतंत्रता दिवस ( Independence Day ) के गौरवमयी कार्यक्रम में प्रदेश के गृहमंत्री नरोत्तम मिश्रा (Narottam Mishra) ने आजाद किया। जेल (Jail) पहुंचते ही आदिवासी बंदियों (tribal prisoners) ने गृहमंत्री (home Minister) का स्वागत पारंपरिक आदिवासी नृत्य से किया।
काल कोठरियों (dungeons) में पश्चाताप की अग्नि में जलकर कल रिहा होने वाले बंदियों की कहानियां भी अजीब हैं। किसी ने पति की हत्या (Killing)का कलंक अपने माथे ढोया तो किसी ने पति का जुर्म खुद पर लेकर आजीवन सजा काटी तो कोई पारिवारिक विवाद में पत्नी या भाई को मौत के घाट उतारकर कातिल कहलाया। मगर वर्षों जेल की चहारदीवारी में जीवन का अमूल्य समय बिताने वाले इन रिहा हुए बंदियों की आत्मा उन लम्हों को याद कर सिहर उठती है, जो इन्होंने जेल में सुविधाओं के अभाव में बिताए हैं। अपराध से तौबा कर चुके इन कैदियों को भी हमें अब अपनाना होगा और इन्हें समाज की मुख्य धारा से जोडऩा होगा, जिससे वह फिर देश के जिम्मेदार नागरिक बन अपने परिवार के लिए कुछ कर सकें।
आजाद हुए बंदियों की कहानी उन्हीं की जुबानी
14 साल काल कोठरी में बिताए
जेल से कल रिहा होने वाले बंदियों में आजीवन कारावास की सजा भुगतकर आजादी की उड़ान भरने वाली तेजीबाई ने अग्निबाण को चर्चा के दौरान बताया कि पड़ोसी से किसी बात को लेकर उसके परिवार का विवाद हो गया था। दोनों परिवारों में विवाद इतना बढ़ा कि पति के हाथ हत्या जैसा जुर्म हो गया, जिसे उसने अपने सिर लेकर जेल में 14 साल बिताए।
विवाद में दोस्त का हत्यारा बना
आजीवन कारावास की सजा काटकर कल रिहा हुए राजेन्द्र रामचरण का कहना था कि पुश्तैनी खेती को लेकर हुए विवाद में उसने अपने ही जिगरी दोस्त को मौत के घाट उतार दिया था, जिसका उसे आज भी मलाल है। रिहाई के बाद अब खेती का काम कर परिवार को अपराध की दुनिया से दूर रखूंगा।
हत्या का झूठा कलंक ले सजा काटी
शहर के मूसाखेड़ी क्षेत्र में रहने वाली उमाबाई ने अपनी दु:खभरी कहानी सुनाते हुए बताया कि किसी अन्य व्यक्ति ने उसके पति की हत्या कर दी और उसका इल्जाम उसके ससुराल वालों ने उसके माथे मढ़ दिया, जिस पर उसने जीवन के 14 साल जेल की चहारदीवारी में रहकर गुजारे। अब वह अपने परिवार के साथ रहकर मेहनत-मजदूरी कर जीवन-यापन करेगी।
पत्नी और भाई के बन बैठे हत्यारे
जेल से रिहा होने वाले कैदियों में अनवर पिता गणस्या ने बताया कि घर-परिवार होने वाली छोटी-मोटी नोकझोंक में उसके हाथों अपने ही भाई की हत्या हो गई थी, जिसका उसे जिंदगीभर पछतावा रहेगा। इसी प्रकार परिवारिक विवादों के चलते पत्नी को मौत के घाट उतारने वाले विश्रामसिंह राय ने कहा कि अब हम्माली कर देश और अपने परिवार के लिए जिम्मेदार नागरिक बनूंगा।
क्रोध सब समस्याओं की मूल जड़ है : गृहमंत्री
स्वतंत्रता दिवस पर कल सेन्ट्रल जेल में आयोजित हुए आजादी महोत्सव के कार्यक्रम में कैदियों को रिहाई देने आए प्रदेश के गृहमंत्री डॉ. नरोत्तम मिश्रा कैदियों को शायराना अंदाज में संबोधित करते दिखाई दिए। डॉ. मिश्र ने अपने उद्बोधन की शुरुआत लम्हों की खता सदियों ने पाई से करते हुए कहा कि एक क्षण क्रोध में आते हैं, भावेश में आते हैं और कोई अपराध हो जाता है तो फिर लम्बे समय तक उसका पश्चाताप करना पड़ता है। क्रोध वैसे तो सभी समस्याओं की मूल जड़ है। जब क्रोध मन पर छाता है तो सबसे पहले विवेक मर जाता है, ऐसी हमारे यहां कहावत है। आने वाले अच्छे जीवन की कल्पना भी हमें करना चाहिए। आज कैद में हैं, कल आजाद भी होंगे। गृहमंत्री ने देह धरे को दंड है सब काहू को होय। ज्ञानी भुगते ज्ञान से मुरख भुगते रोय।। दोहे के माध्यम से कैदियों से कहा कि उन्हें सजा तो मिल चुकी है, अब वह ज्ञान के द्वारा या रो-रोकर इसे भुगतें वह उन पर निर्भर करता है। वे आने वाली पीढिय़ों को लिए एक प्रेरणा बन सकते हैं, भले उनसे गलती हुई हो। आप लोग बाहर जाकर संस्कार की संस्कृति की एक नई प्रेरणा आने वाली पीढ़ी को देंगे। कार्यक्रम के दौरान कैदियों ने मलखंभ का प्रदर्शन कर गृहमंत्री की दाद भी बटोरी। कार्यक्रम में विधायक रमेश मेन्दोला, पूर्व विधायक जीतू जिराती, मधु वर्मा भी मौजूद थे।
24 कैदियों को मिले जेल में कमाई राशि के चेक
आजीवन कारावास की सजा भुगतकर रिहा हुई 2 महिलाओं सहित 24 बंदियों को कल रिहाई के समय जेल अधीक्षक राकेश भांगरे, उपअधीक्षक लक्ष्मणसिंह भदौरिया ने सजा के समय जेल में रहकर उद्योग विभाग में काम कर कमाई गई राशि के चेक भेंट किए। लेखापाल मंगल सेन के अनुसार कैदियों को वितरित किए गए चेक करीब 4 लाख 50 हजार रुपए के थे। कैदियों द्वारा कमाई गई इस राशि में से 25 हजार रुपए जिस परिवार के खिलाफ उन्होंने अपराध किया है उनको भी दिया जाता है। कल रिहा होने वाले 22 पुरुष कैदियों में से 20 को रोजगार की आवश्यकता नहीं थी। 2 बंदी, जिन्हें रोजगार की आवश्यकता थी, उन्हें आज से जेल पेट्रोल पंप पर वाहनों में पेट्रोल डालने के लिए जेल विभाग ने रोजगार प्रदान किया है।
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