इंदौर। मध्य प्रदेश सरकार (Madhya Pradesh Government) कृषि अनुसंधान कृषि महाविद्यालय (Agricultural Research College of Agriculture) को समाप्त कर जमीन छीनना चाहती है। शासन पर गंभीर आरोप लगाते हुए छात्र (students) सडक़ों पर उतरे। लंबे समय से चली आ रही साजिश का हवाला देते हुए कृषि महाविद्यालय से पैदल मार्च करते हुए छात्रों ने कलेक्ट्रेट (Collectorate) तक प्रदर्शन किया।
हमसे भिड़ोगे तो सरकार जाएगी
छात्रों ने कहा कि प्रदेश में कृषि अनुसंधान और महाविद्यालय को लेकर जब भी सरकार ने गलत निर्णय लिए, तब मुख्यमंत्री नहीं टिक पाए हैं। चाहे वह कमलनाथ रहे हो या शिवराज सिंह चौहान। छात्रों का कहना है कि नई नीति से सरकार सिर्फ कृषि स्नातक तैयार करेगी, जिन्हें किताबी ज्ञान होगा और खेती की गुणवत्ता भी लगभग समाप्त हो जाएगी। सरकार का उद्देश्य सिर्फ कृषि अनुसंधान केंद्र समाप्त कर उनकी जमीन को छीनने का है। उन्होंने कहा कि भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद दिल्ली द्वारा कृषि स्नातक पाठ्यक्रम का संचालन और नियंत्रण किया जाता है। राज्य सरकार द्वारा इसका संचालन नहीं किया जाता, फिर भी राज्य सरकार ने इस तरह का आदेश उच्च शिक्षा विभाग को दिया है।
नियमों की हो रही अनदेखी
केंद्र सरकार की जो नियमावली है, उसे अनदेखा कर उच्च शिक्षा विभाग इस तरह के आदेश जारी कर रहा है। प्रदेश सरकार के इस निर्णय से कृषि अनुसंधान को नुकसान होगा। प्रदेश के किसानों और उनकी खेती की गुणवत्ता भी समाप्त हो जाएगी। मिट्टी परीक्षण उसमें सुधार तथा कृषि की नई तकनीक को लेकर भी कोई कार्य नहीं हो पाएगा। सरकार पहले भी दो बार कृषि महाविद्यालय की जमीन लेकर उसे पर कई योजनाएं लाने का प्रयास कर चुकी है। वर्तमान में प्रदेश के महानगरों के बीच में महाविद्यालय के पास इस तरह की सैकड़ो एकड़ कीमती जमीन है। सरकार अलग-अलग कारण और उपयोग का बहाना बनाकर यह जमीन वापस लेने का प्रयास कर रही है। पहले भी दो बार किए गए प्रयास को लेकर छात्रों ने लंबे समय तक आंदोलन किया और सरकार को अपना निर्णय वापस लेना पड़ा था।
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