सात के खिलाफ एफआईआर दर्ज, दो लाख के लेन-देन का भी लग रहा आरोप
इंदौर। घर से भाग जाने पर पिता (father) ने बेटी (Daughter) की गुमशुदगी (Disappearance) की रिपोर्ट लिखाई। पुलिस (Police) बेटी को ढूंढ लाई, लेकिन एक पिता हार गया। प्रेम विवाह (love marriage) की जिद पर अड़ी नाबालिग (minors)ने लडक़े के घर पर गुपचुप शादी कर ली। अब पिता सहित सात लोगों के खिलाफ मामला दर्ज किया गया है।
घर के पास ही रहने वाले युवक के चक्कर में पड़ी नाबालिग के भविष्य को बचाने और समाज में इज्जत रखने के लिए विवाह तय कर दिया। सगाई भी हुई, लेकिन बेटी प्रेमी के साथ भाग खड़ी हुई। पुलिस गुमशुदा बेटी को ढूंढ लाई, लेकिन पिता को आखिरकार हार मारना पड़ी। तेजाजी नगर क्षेत्र के रहवासी माता-पिता ने बेटी के भविष्य की चिंता न करते हुए कम उम्र में उसका विवाह किए बिना प्रेमी युवक के साथ रवाना कर दिया। अब माता-पिता के खिलाफ भी प्रकरण दर्ज किया गया है। 16 साल की बेटी ने 18 साल के युवक के साथ अपनी मर्जी से घर के मंदिर में विवाह कर लिया, जिसकी सूचना मां ने महिला बाल विकास विभाग की हेल्पलाइन पर दी। विभाग के अधिकारी रामनिवास बुधोलिया के निर्देश पर बाल विवाह रोधी उडऩदस्ते के प्रभारी लाडो अभियान कोर ग्रुप के सदस्य महेंद्र पाठक ने कार्रवाई की। शिकायत के अगले दिन हुई पूछताछ में खुलासा हुआ कि बच्ची नाबालिग है और रालामंडल क्षेत्र निवासी युवक के साथ बाल विवाह कर चुकी है।
लेन-देन का हुआ खुलासा
मां की शिकायत के बाद बेटी भडक़ उठी और कहा कि उसके माता-पिता ने ससुराल पक्ष से दो लाख रुपए लेकर विवाह की हामी भरी है और अब बाल विवाह की शिकायत कर रहे हैं। जांच के दौरान पाया गया कि 18 वर्ष के युवक से घर पर ही ससुराल पक्ष में विवाह करवाया गया। परिजनों द्वारा दिए गए विवाह के प्रमाण स्वरूप फोटो व आयु के प्रमाण पत्र के आधार पर थाना तेजाजी नगर में बाल विवाह प्रतिषेध अधिनियम 2006 के अनुसार प्रकरण पंजीबद्ध किया गया है। शादी करवाने वालों सहित शादी में शामिल होने वाले पिता के मित्रों के विरुद्ध अनिधियम की धारा 9, 10, 11 में प्राथमिकी दर्ज की गई है।
बच्चों की जिद आ रही आड़े
तेजाजी नगर सहित मानपुर और चंदन नगर में हुए बाल विवाह में बच्चों की जिद आड़े आई है, जिसका खामियाजा माता-पिता सहित वर पक्ष के लोगों को भी भुगतना पड़ा है। अधिकारियों के अनुसार नाबालिग बच्चियां और बच्चे प्रेम के चक्कर में पडक़र न केवल अपना भविष्य खराब कर रहे हैं, बल्कि माता-पिता और परिवार को भी मुसीबत में डाल रहे हैं। विभाग ने ऐसे मामलों में गुजारिश की है कि ऐसे प्रकरणों में बच्चों को काउंसलिंग के लिए विभाग के पास लाएं या किसी परामर्श केंद्र पर लेकर जाएं।
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