इंदौर। इस बार दीपावली (Diwali) जहां जोर-शोर से मनी, वहीं एलईडी सहित अन्य आधुनिक बिजली के उपकरण आ गए हैं, जिससे खपत में कमी आती है और यही इस बार दीपावली पर नजर भी आया। गत वर्ष की तुलना में इस बार पूरे प्रदेश में 2700 मेगावाट बिजली की खपत कम रही है। इंदौर (indore) में अवश्य खपत में इजाफा हुआ है और बिजली कंपनी का कहना है कि कहीं पर भी आपूर्ति में कोई परेशानी नहीं हुई और सौर ऊर्जा के जरिए भी अच्छी बिजली मिली है। गत वर्ष दीपावली के दिन प्रदेशभर में बिजली की मांग 16 हजार 130 मेगावाट की थी, जबकि इस बार यह मांग 13325 मेगावाट की रही है।
प्रदेश में धनतेरस एवं रूप चतुर्दशी के दिन भी पिछले वर्ष की तुलना में बिजली की मांग कम रही। इस बार धनतेरस के दिन बिजली की मांग 13322 मेगावाट एवं रूप चतुर्दशी के दिन 13343 मेगावाट रही। रूप चतुर्दशी के दिन दीपावली की तुलना में बिजली की मांग अधिक रही। प्रदेश में जितनी भी बिजली की मांग रही, उसकी शत प्रतिशत आपूर्ति प्रदेश की सभी विद्युत कंपनियों के सहयोग एवं समन्वय से सफलतापूर्वक की गई।
इस बार दीपावली के दिन प्रदेश की 13325 मेगावाट बिजली मांग की आपूर्ति में मध्यप्रदेश पावर जनरेटिंग कंपनी के ताप विद्युत का योगदान 2115 मेगावाट, जल विद्युत का 236 मेगावाट, इंदिरा सागर ओंकारेश्वर एवं सरदार सरोवर परियोजना का योगदान 1063 मेगावाट, सेंट्रल सेक्टर का अंश 2348 मेगावाट, सासन परियोजना का 1123 मेगावाट, आईपीपी का 1175 मेगावाट और नवीकरणीय ऊर्जा एवं अन्य का योगदान 5265 मेगावाट रहा। उल्लेखनीय है कि प्रदेश में विगत वर्षों में दीपावली के दिन बिजली की मांग 2021-22 में 11371 मेगावाट, 2022-23 में 9846 मेगावाट और 2023-24 में 16130 मेगावाट रही। एक तरफ बिजली की मांग में भले ही खपत कम रही हो, मगर इस बार दीपावली पर वायु प्रदूषण अवश्य बढ़ गया। इंदौर में वायु गुणवत्ता सूचकांक 500 तक पहुंच गया, जो दर्शाता है कि मध्य प्रदेश की आर्थिक राजधानी में हवा की क्वालिटी ‘गंभीर’ श्रेणी में पहुंच गई है।
आर्किटेक्ट अतुल सेठ का कहना है कि बिजली इतनी अधिक घटती मांग मंदी का भी संकेत हो सकती है। अतुल सेठ ने कहा कि 17 प्रतिशत बिजली की मांग गिरना सामान्य बात नहीं है। बिजली के उपकरण का उपयोग तेजी से बढ़ता जा रहा है। गांव गांव में आज इलेक्ट्रानिक उपकरणों की भरमार होती जा रही है। हर व्यक्ति अपनी आवश्यकताओं के लिए बिजली के विभिन्न प्रकार के उपकरणों पर निर्भर होता जा रहा है। इसके बावजूद बिजली की मांग में कमी चौंकाने वाली है। इससे प्रतीत होता है कि इस बार लोगों ने खर्च कम किए हैं और बाजार में उतनी खरीदारी भी नहीं हुई है।
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