स्वामित्व योजना में 66 गांवों में आबादी भूमि की सर्वे रिपोर्ट का पहला चरण फाइनल
इंदौर संतोष मिश्र। शासन की महत्वाकांक्षी स्वामित्व योजना के अंतर्गत आबादी भूमि पर मकान बनाकर रह रहे लोगों के दिन बदलने वाले हैं। उन्हें सरकार द्वारा पट्टे का मालिकाना हक दिया जाएगा, जिसके जरिए वे खरीदी, बिक्री भी कर सकते हैं। पिछले कई माह से प्रशासनिक अधिकारियों द्वारा ड्रोन के जरिए सर्वे किया जा रहा है। अभी तक इंदौर जिले के कुल 66 गांव में सर्वे पूरा कर फाइनल रिपोर्ट शासन को भेज दी गई है। प्रशासन के आंकड़ों के मुताबिक इंदौर जिले की तहसीलों में कुल ग्रामों की संख्या 564 है। इनमें से 521 गांव में 93 हजार 834 लोग आबादी की जमीन पर मकान बनाकर रह रहे हैं। पहले चरण में 2 हजार 242 लोगों को पट्टे का मालिकाना हक देना फाइनल किया गया है।
इंदौर जिले की पांच तहसीलों के आंकड़े
प्रशासन के रिकॉर्ड के अनुसार इंदौर जिले की देपालपुर तहसील में कुल ग्रामों की संख्या 146 है, जिनमें से 3 गांव शहरी क्षेत्र में हैं। कुल 143 गांवों में योजना लागू है, जिसमें से 121 में ड्रोन के जरिए सर्वे का कार्य पूरा हो चुका है। 120 गांव की ग्राउंड रिपोर्ट बनाकर शासन को भी भेज दी गई है, जिसमें से 1 गांव में पट्टे की भूमि पर मकान बनाकर रह रहे लोगों को पहले चरण में योजना का लाभ मिलेगा। इसी प्रकार आंबेडकर नगर महू के 174 गांवों में से 2 शहरी क्षेत्र तथा 132 गांवों में लागू की गई योजना में 119 में ड्रोन के जरिए सर्वे कर शासन को रिपोर्ट भेज दी गई है। इस तहसील में 46 गांवों को फाइनल किया गया है। सांवेर के 121 गांवों में 2 शहरी तथा 118 गांवों में से 91 का सर्वे पूरा हो चुका है। पहले चरण में 5 गांवों में आबादी भूमि पर बसे लोगों को पट्टे के दस्तावेज दिए जाएंगे। इसी प्रकार हातोद के 57 गांवों में से 56 गांवों में से 49 गांवों में सर्वे हो चुका है। इनमें से 5 गांवों की रिपोर्ट फाइनल कर दी गई हैं। खुडै़ल के 55 गांवों में से 49 गांवों में सर्वे पूरा हो चुका है, जिनमें से 14 गांव फाइनल भी कर दिए गए हैं।
राऊ, कनाडिय़ा, बिचौली हप्सी मल्हारगंज और जूनी इंदौर तहसील में एक भी गांव को नहीं मिलेगा लाभ
प्रशासन के रिकॉर्ड के मुताबिक राऊ तहसील के 27 गांवों में से एक गांव में भी सर्वे नहीं हुआ है। इसी प्रकार कनाडिय़ा के 30, बिचौली हप्सी के 27, मल्हारगंज के 26 तथा जूनी इंदौर के 22 गांवों में भी सर्वे की प्रक्रिया नहीं शुरू की गई है, जिससे इन गांवों के लोगों को लाभ नहीं मिलेगा।
केंद्र की योजना में एमपी पायलट राज्य के रूप में शामिल
स्वामित्व योजना भारत सरकार के पंचायती राज मंत्रालय की एक योजना है, जिसमें नोडल राजस्व विभाग है। योजना के क्रियान्वयन का विभागीय दायित्व भारतीय सर्वेक्षण विभाग, पंचायत एवं ग्रामीण विकास विभाग और राजस्व विभाग का है। इसमें मध्यप्रदेश को पायलट राज्य के रूप में शामिल किया गया है। सर्वे ऑफ इंडिया द्वारा वर्तमान उपलब्ध नक्शों को प्राप्त कर ड्रोन के माध्यम से इमेजरी तैयार कर प्रारूप नक्शा तैयार किया जा रहा है। सैटेलाइट इमेज को आबादी भूमि की सीमा पर सुपर इंपोज कर नक्शे की इमेज बनाई जा रही है। ड्रोन द्वारा निर्मित प्रारूप नक्शा संपत्ति धारक की जानकारी से लिंक करने के लिए सर्व सॉफ्टवेयर का उपयोग किया जा रहा है तथा नक्शों को सुधार के लिए दोबारा राजस्व विभाग को दिया गया और अंतिम प्रकाशन भी विभाग करेगा।
सरकार की योजनाओं का लाभ आसानी से मिलेगा…आपसी विवाद से भी मुक्ति मिलेगी
सर्वे से ग्रामवासियों को सरकार की योजनाओं का कई लाभ मिलेगा, जिसमें प्रमुख रूप से ग्रामीण संपत्तियों का अधिकार अभिलेख, प्रत्येक संपत्ति धारक को उसकी संपत्ति का स्वामित्व प्रमाण पत्र तथा बैंक लोन भी आसान से मिल जायेगा। इसके अलावा संपत्तियों के पारिवारिक विभाजन, संपत्ति हस्तांतरण की प्रक्रिया सुगम और पारिवारिक सम्पत्ति के विवाद कम होंगे। इससे ग्राम पंचायतों को भी संपत्ति शुल्क, पंचायत स्तर पर ग्राम विकास की योजना बनाने में सुविधा तथा शासकीय एवं सार्वजनिक सम्पत्ति की सुरक्षा एवं रखरखाव आसान होगा।
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