इंदौर, राजेश ज्वेल। भूमाफियाओं और जमीनी जादूगरों ने गृह निर्माण संस्थाओं के अलावा नजूल और अन्य जमीनों में तो बड़े पैमाने पर धोखाधड़ी की ही, वहीं इंदौर में अरबों की वक्फ जमीनों पर भी विगत वर्षों में सुनियोजित डकैतियां डलती रही। अभी केन्द्र सरकार वक्फ जमीनों को लेकर अधिनियम में बड़ेे संशोधन करने जा रही थी, जिसका विपक्ष ने तगड़ा विरोध किया। नतीजतन जेपीसी के हवाले फिलहाल इसे किया गया है। देशभर में वक्फ सम्पत्तियों के दुरुपयोग को लेकर हल्ला मचा है और कल शाम इंदौर प्रशासन ने भी लगभग 100 करोड़ की वक्फ जमीन पर हो रहे अतिक्रमण को हटाया। दूसरी तरफ शहर और ग्रामीण क्षेत्रों में मौजूद वक्फ जमीनों को मनचाही शर्तों पर कौडिय़ों के दाम लुटाया गया। बॉम्बे हॉस्पिटल के सामने महालक्ष्मी नगर मेन रोड पर मौजूद 52742 स्क्वेयर फीट जमीन, जिसकी वर्तमान कीमत 150 करोड़ रुपए से अधिक है, उसे 12 साल पहले मात्र 25पैसे प्रति वर्गफीट पर किराए पर दे डाला और व्यवसायिक निर्माण सहित कई शर्तें भी किराएदारी में संलग्र कर दी। आज मौके पर जश गार्डन और रेस्टोरेंट चल रहा है।
अग्रिबाण द्वारा लगातार तमाम बड़े भू-घोटालों को उजागर किया जाता रहा है, जिसमें गृह निर्माण संस्थाओं, प्राधिकरण से लेकर तमाम सरकारी जमीनों पर हुए घोटालों का भंडाफोड़ किया गया, जिनमें से अधिकांश पर शासन-प्रशासन ने कार्रवाई भी की। इसी कीड़ी में इंदौर में वक्फ जमीनों पर जो विगत वर्षों में बड़े खेल हुए उनका खुलासा भी किया जा रहा है। कलेक्टर आशीष सिंह ने कल ही 100 करोड़ रुपए मूल्य की निपानिया स्थित खसरा क्रमांक 170, रकबा 50 हजार स्क्वेयर फीट से अधिक को इसी तरह मुक्त करवाया। सरकारी अभिलेखों में यह जमीन पीर स्थान व्यवस्थापक कलेक्टर के नाम पर दर्ज है। मगर वक्फ की इस जमीन पर शाहिद शाह द्वारा लोहे के कंटेनर में ऑफिस बनाकर बाउण्ड्रीवॉल भी निर्मित की जा रही थी। जूनी इंदौर एसडीएम घनश्याम धनगर ने कल पुलिस बल के साथ मौके पर पहुंचकर वक्फ की इस जमीन को मुक्त करवाया, जिस पर अवैध कॉलोनी काटने के प्रयास किए जा रहे थे। दूसरी तरफ इंदौर जिले में मौजूद अन्य अरबों की वक्फ जमीनों पर भी इसी तरह की डकैतियां वक्फ कमेटी में शामिल रहे जिम्मेदारों ने डाली है। इसमें एक मामला महालक्ष्मी नगर मैन रोड से जुड़ा है, जहां पर सर्वे नं. 191 वक्फ बोर्ड की जमीन को वर्ष 2012 में दिव्या ट्रेडेक्स और उनके पार्टनर नागेन्द्र सिंह को लीज पर दी गई। मात्र 25 पैसे वर्गफीट पर रहवासी क्षेत्र और मैन रोड से लगी इस जमीन पर तब से ही जश गार्डन और रेस्टोरेंट चल रहा है।
भाजपा के बड़े नेताओं से जुड़े नागेन्द्र सिंह का हालांकि कुछ वर्ष पूर्व निधन हो गया और उनके परिवार के लोग ही यह गार्डन चला रहे हैं। कुछ समय पूर्व इसकी लीज समाप्त भी की थी। मगर उसके बाद राजनीतिक दबाव और कोर्ट-कचहरी भी शुरू हो गई। पिपल्याकुमार की यह 52742 स्क्वेयर फीट जमीन, जिसका बाजार भाव आज 25 से 30 हजार रुपए प्रति स्क्वेयर फीट है उसे मात्र 25 पैसे प्रति वर्गफीट पर किराए पर तो दिया ही, साथ ही मनचाहा उपयोग करने की शर्तें भी अनुबंध में डाल दी। यहां तक कि जमीन को दूसरे के नाम ट्रांसफर करने की छूट तक दे डाली। 2012 में जब इस जमीन को लीज यानी किराए पर दिया गया तब भी कलेक्टर गाइडलाइन के मुताबिक यहां पर जमीन का भाव 2790 रुपए वर्गफीट था। जबकि दिव्या ट्रेडेक्स को वक्फ बोर्ड ने इस बेशकीमती जमीन को मात्र 14 हजार रुपए प्रतिमाह किराए पर दे डाला और मेहरबानी यह भी कर दी कि जब तक कम्पनी दिव्या ट्रेडेक्स का रजिस्ट्रेशन नम्बर जारी रहेगा, लीज भी इसी कम्पनी के हक में नवीनीकृत होती रहेगी। शराब सहित जमीनों के कारोबार में यह परिवार सालों से संलग्र है और वक्फ के साथ-साथ कई अन्य सरकारी जमीनें भी इसी तरह से हथिया रखी है।
भाजपा के ही एक ताकतवर गुट से जुड़े रहने के कारण कभी कोई कार्रवाई नहीं हो पाई और अभी भी इस जमीन का मामला कोर्ट में विचाराधीन बताया गया है। सामान्य प्रशासन विभाग के 1992 के परिपत्र मुताबिक धर्मस्व संबंधित जमीनों का मालिकाना हक कलेक्टर का ही रहता है। यही कारण है कि पीर स्थानों यानी वक्फ में आने वाली सभी सम्पत्तियों के भी राजस्व रिकॉर्ड में व्यवस्थापक कलेक्टर लिखा हुआ है। अभी पिछले दिनों ही भोपाल के तेज-तर्रार पूर्व मंत्री और लम्बे समय तक विधायक रहे आरीफ अकील का निधन हुआ। उन्होंने कुछ वर्ष पूर्व मुख्यमंत्री से लेकर मुख्य सचिव को इंदौर में वक्फ जमीनों पर हुए बड़े भू-घोटालों को लेकर पत्र भी लिखा था, जिसमें कल प्रशासन द्वारा मुक्त करवाई गई लाइफ केयर एज्युकेशन सोसायटी को दी गई जमीन के अलावा महालक्ष्मी नगर मेन रोड पर जश गार्डन और रेस्टोरेंट की जमीन पर हुए घोटाले की जांच कराने को भी कहा था। इस बारे में सूत्रों का कहना है कि तत्कालीन वक्फ चेयरमेन और सीईओ की भी मिलीभगत इन वक्फ जमीनों की अफरा-तफरी में रही है और इन जमीनों को किराए पर देने से पहले वक्फ बोर्ड ने कोई टेंडर भी आमंत्रित नहीं किए और परवारे ही इनके अनुबंध कर लिए। मजे की बात यह है कि कुछ वर्ष पूर्व भी वक्फ जमीनों के इन घोटालों पर हल्ला मचा था और प्रदेश में लम्बे समय से भाजपा की सरकार है, जो अभी केन्द्र के वक्फ जमीनों को लेकर अधिनियम में किए जाने वाले संशोधनों पर मुखर भी है और सोशल मीडिया पर भी भाजपा से जुड़े लोग वक्फ जमीनों को लेकर तमाम पोस्ट भी डालते हैं। बावजूद इसके भाजपा के ही नेताओं की मिलीभगत के चलते वक्फ जमीनों पर ना सिर्फ अवैध कब्जे हुए, बल्कि कौडिय़ों के दाम उन्हें सालों के लिए किराए पर दे डाला। कलेक्टर आशीष सिंह का कहना है कि जिस तरह मंदिरों या अन्य सरकारी जमीनों के साथ-साथ गृह निर्माण संस्थाओं के भूघोटालों की जांच अभी लागातार जारी है, उसी तरह वक्फ जमीनों के संबंध में मिल रही शिकायतों पर भी कड़ी कार्रवाई की जाएगी। इसी के चलते कल निपानिया में स्थित 100 करोड़ रुपए की बेशकीमती जमीन को अतिक्रमण से मुक्त करवाया गया और महालक्ष्मी मेन रोड की इस जमीन की भी जांच करवाएंगे।
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