इंदौर: उत्तर प्रदेश के अयोध्या (Ayodhya) में नवनिर्मित राम मंदिर के दर्शन के लिए पैदल जाते समय एक 21 वर्षीय इंजीनियरिंग स्टूडेंट की मौत हो गई थी. अब इंदौर (Indore) में देवांश जोशी के ऑर्गन (organ) से दो जरूरतमंद मरीजों को नई जिंदगी मिली है. मध्य प्रदेश (Madhya Pradesh) के विदिशा जिले में 28 फरवरी को हुए एक्सीडेंट में देवांश जोशी के सिर में गंभीर चोटें आईं थी. इसके बाद उन्हें इंदौर के जिस अस्पताल में ले जाया गया, वहां डॉक्टरों ने उन्हें ब्रेन डेड घोषित कर दिया.
सरकारी महात्मा गांधी मेमोरियल मेडिकल कॉलेज के डीन डॉक्टर संजय दीक्षित ने बताया कि उनके परिवार की सहमति से उनका लीवर और एक किडनी दो मरीजों में ट्रांसप्लांट (transplant) किया गया. दीक्षित ने बताया कि जोशी एक किडनी के साथ पैदा हुए थे और उनका हार्ट ट्रांसप्लांट के लिए उपयुक्त नहीं पाया गया. अधिकारियों ने बताया कि इंदौर में पिछले नौ साल के दौरान ब्रेन डेड 53 मरीजों का अंगदान हो चुका है. इंदौर सोसायटी फॉर ऑर्गन डोनेशन से जुड़े मुस्कान ग्रुप के सेवादार जीतू बगानी ने बताया कि यह 53वां ग्रीन कॉरिडोर है.
42 वर्षीय महिला को मिली नई जिंदगी
इंदौर में 21 वर्षीय देवांश को शुक्रवार सुबह डॉक्टर्स ने ब्रेन डेड घोषित किया था. इसके बाद परिवार के लोगों ने अंगदान करने का फैसला लिया. परिजनों का कहना है कि मेरे बेटे के अंग से किसी की नई जिंदगी मिलेगी. डॉक्टर के अनुसार देवांश जोशी को जन्म से ही शरीर में एक किडनी थी, जो बॉम्बे हॉस्पिटल में भर्ती 42 वर्षीय महिला मरीज को प्रत्यारोपित की गई, जबकि लीवर चोइथराम हॉस्पिटल में भर्ती मरीज को प्रत्यारोपित की गई. दरअसल एक रिपोर्ट के मुताबिक, हर साल 5 लाख भारतीय मुनासिब डोनर नहीं मिलने से अंग प्रत्यारोपण के इंतजार में दम तोड़ देते हैं.
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