अहमदाबाद। गुजरात में विजय रूपाणी (Vijay Rupani) के इस्तीफे के बाद राज्य के नए मुख्यमंत्री को लेकर कयासों का दौर शुरू हो गया है। इनमें उप मुख्यमंत्री नितिन पटेल(Deputy Chief Minister Nitin Patel), राज्य के कृषि मंत्री आर सी फल्दू (State Agriculture Minister RC Faldu) और केंद्रीय मंत्री पुरषोत्तम रूपाला (Union Minister Purushottam Rupala) एवं मनसुख मांडविया (Mansukh Mandaviya) के नामों की अटकलें लगाई जा रही हैं। विजय रूपाणी (Vijay Rupani) के इस्तीफे के बाद नितिन पटेल (Nitin Patel) को अगला मुख्यमंत्री बनाने की मांग सोशल मीडिया पर जोरशोर से शुरू हो गई। वहीं, पटेल की तरह ही प्रभावशाली पाटीदार समुदाय से आने वाले केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री मनसुख मांडविया (Mansukh Mandaviya) को भी मुख्यमंत्री पद की दौड़ में आगे माना जा रहा है। समुदाय के नेताओं ने हाल ही में यह मांग की थी कि अगला मुख्यमंत्री एक पाटीदार (समुदाय से) होना चाहिए। तो चलिए जानते हैं कौन-कौन हैं रेस में और गुजरात में क्या चुनौतियां होंगी।
मनसुख मांडविया भी मुख्यमंत्री बनने की दौड़ में आगे
केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री मनसुख मांडविया भी मुख्यमंत्री बनने की दौड़ में आगे हैं। इसकी एक बड़ी वजह यह भी है कि वे प्रधानमंत्री मोदी के अलावा अमित शाह की गुड बुक में हैं। कोरोना महामारी के दौरान मांडविया ने गुजरात भाजपा सरकार की छवि सुधारने के लिए काफी काम किया था। वहीं, पाटीदार समाज के अलावा कडवा और लेउआ पटेल समुदाय में भी उनकी अच्छी पैठ है। मृदुभाषी होने के साथ-साथ मांडविया की छवि एक ईमानदार नेता की है। इनके अलावा गुजरात भाजपा में उनके लगभग सभी नेताओं से अच्छे संबंध हैं।
पुरुषोत्तम रुपाला भी दमदार नेता
पाटीदार समुदाय से पुरुषोत्तम रुपाला भी दमदार नेता हैं। इस वक्त वह केंद्रीय मत्स्यपालन, पशुपालन, डेयरी मंत्री के रूप में अपनी जिम्मेदारी संभाल रहे हैं। 1980 के दशक में उन्होंने भाजपा के साथ अपना राजनीति करियर शुरू किया था। 1991 में वो अमरेली विधानसभा से चुनाव जीता। वो तीन बार इस सीट से विधायक रहे हैं।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के विश्वनीय है सीआर पाटिल
सीआर पाटिल प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के विश्वनीय माने जाते हैं। अपने संसदीय क्षेत्र में विकास के कार्यों को बढ़ाने के लिए तकनीक का इस्तेमाल करने में माहिर है। गुजरात भाजपा 2022 के विधानसभा चुनाव से पहले 281 सदस्यों वाली जंबो कार्यकारिणी का गठन किया है। इसकी जिम्मेदारी सीआर पाटिल के कंधों पर ही है।
गोरधन जडफिया कद्दावर नेताओं में शामिल
गोरधन जडफिया भी गुजरात भाजपा के कद्दावर नेताओं में शामिल हैं। एक बार नरेंद्र मोदी से नाराज होकर पार्टी छोड़ दी थी हालांकि बाद में वह पार्टी में लौटे। उन्हें उत्तर प्रदेश चुनाव में बड़ी जिम्मेदारी दी गई थी। तब उन्होंने बेहतर प्रदर्शन किया था। 2002 दंगों के समय झडफिया तत्कालीन राज्य सरकार में गृह राज्यमंत्री थे।
नए मुख्यमंत्री के सामने ये होंगे चुनौनियां
विधानसभा चुनाव : अगले साल होने वाले चुनाव में भाजपा को कांग्रेस और आम आदमी पार्टी से कड़ी टक्कर मिलने वाली है। 2017 के विधानसभा चुनाव में भाजपा ने गुजरात में सरकार जरूर बनाई थी, लेकिन कांग्रेस का प्रदर्शन भी अच्छा रहा था। ऐसे में उस प्रदर्शन को कैसे बेहतर किया जाए, ये काम नए मुख्यमंत्री को कम समय में करना होगा।
कोरोना से लड़ाई : कोरोना की दूसरी लहर के दौरान कई मौकों पर हाईकोर्ट द्वारा गुजरात सरकार को फटकार लगाई गई थी। कोरोना से हुईं मौतों के सही आंकड़ों को लेकर भी विवाद था। इस वजह से रूपाणी के काम से कई लोग नाखुश थे। नए मुख्यमंत्री को फिर से स्वास्थ्य व्यवस्थाओं को पटरी पर लाना होगा।
पाटीदार समुदाय : पाटीदार आंदोलन ने 2017 के चुनाव में भाजपा की जीत को काफी संघर्षपूर्ण बना दिया था। सौराष्ट्र इलाके में तो पार्टी का एक तरीके से सूपड़ा साफ दिखा था। ऐसे में आने वाले चुनाव में भाजपा फिर इस समुदाय को नाराज नहीं कर सकती है। इसलिए जो भी अब राज्य की कमान संभालेगा, इस समुदाय को ठीक तरीके से साधना जरूरी रहेगा।
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