जबलपुर। मप्र हाईकोर्ट ने एक मामले में कहा है कि जिन मामलों में आवेदक दोषमुक्त हो गया है उक्त मामलों को क्राईम रजिस्ट्रर से हटाया जाये। जस्टिस प्रकाश श्रीवास्तव व जस्टिस वीरेन्द्र सिंह की युगलपीठ ने होशंगाबाद कलेक्टर को आवेदक के अभ्यावेदन पर तीन माह के भीतर निराकरण करने के निर्देश दिये है।यह मामला इटारसी निवासी सुब्बन रैकवार की ओर से दायर किया गया था। जिसमें कहा गया था कि इटारसी पुलिस द्वारा उसके विरुद्ध पूर्व में दर्ज 46 प्रकरणों में वह निर्दोष साबित हो गया था, परंतु वे प्रकरण आज भी अपराध पंजी (क्राइम रजिस्टर) में दर्ज हैं और इन आपराधिक प्रकरणों में दोषमुक्त होने के बावजूद रजिस्टर से हटाया नहीं किया गया है। इन दोषमुक्ति के प्रकरणों के आधार पर पूर्व में होशंगाबाद पुलिस द्वारा मात्र एक सट्टे का केस दर्ज कर उसके विरुद्ध रासुका की कार्रवाई की गई । याचिकाकर्ता की ओर से अधिवक्ता आशीष त्रिवेदी ने तर्क दिया की पुलिस रेगुलेशन के रेगुलेशन क्रमांक 645 में यह प्रावधान है कि यदि कोई व्यक्ति आपराधिक प्रकरण में निर्दोष साबित हो जाता है तो अपराध पंजी मैं से उस दर्ज अपराध को काटने के अधिकार डिस्ट्रिक्ट मजिस्ट्रेट को है। जिसकों लेकर आवेदक की ओर से डिस्ट्रिक्ट मजिस्ट्रेट के समक्ष आवेदन किया गया, लेकिन इसके बावजूद भी अपराध पंजी से उसका नाम नहीं हटाया गया। सुनवाई पश्चात उच्च न्यायालय की खंडपीठ ने कलेक्टर होशंगाबाद को निर्देशित किया कि वे पुलिस रेगुलेशन के प्रावधानों के अनुसार आवेदक के अभ्यावेदन का निराकरण 3 महीने के अंदर करें। याचिकाकर्ता की ओर से प्रशांत अवस्थी, असीम त्रिवेदी, आनंद शुक्ला, आशीष तिवारी अपूर्व त्रिवेदी ने भी पैरवी की।
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