इंदौर। देवी अहिल्या श्रमिक कामगार संस्था की छोटी खजराना स्थित चर्चित अयोध्यापुरी में एक बार फिर भूमाफिया अड़ंगेबाजी से बाज नहीं आ रहे, जबकि इनके खिलाफ एफआईआर दर्ज है और जमानत पर रिहा हैं। मगर हौंसले अभी भी पस्त नहीं हुए। निगम ने जो अयोध्यापुरी को वैध करने की प्रक्रिया शुरू की तो उस पर सदस्यों की लगभग 4 एकड़ जमीन अवैध रूप से खरीदने वाली सिम्प्लेक्स इन्वेस्टमेंट एंड मेगा फाइनेंस कम्पनी की ओर से उसके डायरेक्टर मुकेश खत्री ने आपत्ति लगाई है। दूसरी तरफ जेल में बंद दीपक जैन उर्फ मद्दे की जमानत याचिका पर हाईकोर्ट में सुनवाई नहीं हो सकी और अब 29 मार्च की तारीख लगी है। दूसरी तरफ चम्पू, चिराग, धवन की जमानतें निरस्त करवाने की पुलिस-प्रशासन की याचिका पर अब 27 मार्च को सुनवाई होगी।
अयोध्यापुरी जमीन के मामले में जेल में बंद भूमाफिया मद्दे ने भी जमानत के लिए याचिका दायर की है। मगर उस पर सुनवाई नहीं हो सकी और अब 29 मार्च को सुनवाई होगी। यानी तब तक तो मद्दा जेल में ही रहेगा। दूसरी तरफ तत्कालीन कलेक्टर मनीष सिंह ने जहां अयोध्यापुरी के पीडि़तों को भूखंडों के कब्जे दिलवाए, तो दीपक मद्दा सहित मुकेश खत्री के खिलाफ एफआईआर भी दर्ज करवाई। ये सभी सिम्प्लेक्स इन्वेस्टमेंट एंड मेगा फाइनेंस प्रा.लि. में डायरेक्टर हैं। दरअसल सदस्यों की जमीन इन भूमाफियाओं ने हड़प ली और 4 एकड़ जमीन सिम्प्लेक्स के नाम पर 24 फरवरी 2007 को रजिस्ट्री के जरिए हासिल कर ली। अब सदस्य इस जमीन को वापस संस्था के नाम करने के लिए लड़ाई लड़ रहे हैं और अभी जो नगर निगम अवैध कॉलोनियों को वैध करने की प्रक्रिया में जुटा है उसके लिए अयोध्यापुरी रहवासी संघ ने भी आवेदन लगा रखा है। मगर अभी सिम्प्लेक्स ने उस पर आपत्ति लगा दी। यानी एफआईआर होने, जेल जाने के बावजूद भूमाफियाओं के हौंसले पस्त नहीं हुए। निगम में सिम्प्लेक्स की ओर से उसके डायरेक्टर मुकेश खत्री ने 16 पेज की आपत्ति नियमितिकरण की प्रक्रिया के खिलाफ लगाई है।
अयोध्यापुरी के पीडि़त नियमितिकरण की आस में और भूमाफियाओं का अड़ंगा
एक और जहां पुलिस प्रशासन ने बलपूर्वक संस्थाओं की जमीन हड़पने वाले लोगों से जमीनें सरेंडर करा दी हैं, वहीं अयोध्यापुरी के वर्षों से अपने भूखंडों की आस जोह रहे लोगों को उनका हक दिलाने के लिए प्रशासन द्वारा की गई कार्रवाई और नियमितीकरण की प्रक्रिया पर भूमाफियाओं द्वारा लगाया गया अड़ंगा हैरत करने वाला है, क्योंकि जिस जमीन पर प्लाट बिक चुके थे, उस मूल जमीन को खरीदकर लोगों के अधिकारों पर हमला करने वाले इन भूमाफियाओं पर प्रशासन पहले ही मुकदमे कायम करवा चुका है और वे जमानत पर हैं, ऐसे में नियमितीकरण को प्रक्रिया को चुनौती देना यह साबित करता है कि अभी भूमाफियाओं के हौंसले पस्त नहीं हुए हैं।
प्राधिकरण के बाद अब नजूल की भी मिल गई एनओसी
पिछले दिनों पीडि़तों की मांग पर इंदौर विकास प्राधिकरण ने अपनी योजना 77 में शामिल रही अयोध्यापुरी की जमीन को एनओसी दे दी, ताकि नियमितिकरण की प्रक्रिया में परेशानी न हो। वहीं अभी नजूल की भी एनओसी तहसीलदार जूनी इंदौर की ओर से छोटी खजरानी स्थित अयोध्यापुरी को दे दी गई है। हालांकि इसमें सिम्प्लेक्स, केएस सिटी सहित देवी अहिल्या का भी नाम है। मगर सिम्प्लेक्स में शामिल कर्ताधर्ता लगातार अड़ंगे डाल रहे हैं और पूर्व में भी अयोध्यापुरी को वैध नहीं होने दिया। मगर अब निगम पीडि़तों के हक में भूमाफियाओं द्वारा दर्ज आपत्ति को खारिज कर वैध करने की प्रक्रिया कर सकता है। वैसे भी सिम्प्लेक्स की जो रजिस्ट्री हुई है वह भी अवैध ही है। उसे भी निरस्त कराने की प्रक्रिया चल रही है और सहकारिता विभाग भी इसे गलत बता चुका है। सर्वे नं. 386/1/1/1 और 386/1/1/2 की 1.619 हेक्टेयर जमीन सिम्प्लेक्स के कब्जे में है, तो 386/1/1/2/2 की लगभग 55 हजार स्क्वेयर फीट जमीन केएस सिटी तर्फे डायरेक्टर आशीष गुप्ता ने खरीद ली थी। अभी पिछले दिनों श्रीमती पूजा आशीष डोसी व अन्य द्वारा खरीदी जमीन की रजिस्ट्री अवश्य कोर्ट ने निरस्त कर दी, जिसके चलते 23 हजार स्क्वेयर फीट जमीन संस्था को वापस मिल गई है।
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