उज्जैन। मुख्यमंत्री शिवराजसिंह चौहान ने लाड़ली बहनों के खातों में रुपए डालकर महिला मतदाताओं पर बड़ा दाव खेला है लेकिन एक दूसरी हकीकत यह है कि जब से विधानसभा चुनाव हो रहे हैं तब से भाजपा ने एक भी महिला को प्रत्याशी नहीं बनाया। अब चर्चा यह चल रही है कि क्या आधी महिला आबादी इस सच्चाई को गंभीरता से लेगी और भाजपा को महिला वोट कम मिलेंगे..।
1956 से मध्यप्रदेश गठन के बाद इस वर्ष 2023 के चुनाव मिलाकर कुल 66 साल में 13 विधानसभा चुनाव हुए और 14वें विधानसभा चुनाव होने जा रहे हैं जिसमें सातों विधानसभा पर प्रत्याशियों की स्थिति लगभग साफ है। इसमें भाजपा ने 66 वर्ष के कुल 14 विधानसभा चुनाव में उज्जैन जिले से एक भी महिला को उम्मीदवार नहीं बनाया है, जबकि कांग्रेस ने तीन बार विधानसभा सीट महिदपुर, उज्जैन उत्तर व उज्जैन दक्षिण से अभी तक 8 बार महिला प्रत्याशी को मौका दिया है। इसमें 4 बार महिला प्रत्याशी जीतीं तो 4 बार हारी भी हैं। हारने के बाद भी कांग्रेस ने महिला प्रत्याशियों को दोबारा भी मौका दिया है और इस बार फिर 2023 में श्रीमती माया त्रिवेदी को अपना प्रत्याशी बनाया है।
1957 में पहली महिला ने उज्जैन उत्तर से लड़ा था चुनाव
1957 में कांग्रेस प्रत्याशी के रूप में जिले की पहली महिला राजदानकुंवर किशोरी उज्जैन उत्तर विधानसभा से चुनाव लड़ी थी और वह 11669 वोट से वह जीती थी। नागदा-खाचरौद विधानसभा से एक भी महिला प्रत्याशी को भाजपा-कांग्रेस दोनों पार्टी ने एक भी उम्मीदवार नहीं बनाया है। अभी तक के 13 विधानसभा चुनाव में 1980 में मात्र एक महिला प्रत्याशी स्नेहलता राठी ही निर्दलीय रूप से चुनाव लड़ी है, जिन्हें 159 वोट मिले थे। उसके बाद एक भी महिला प्रत्याशी ने निर्दलीय चुनाव नहीं लड़ा है। जिले में विधानसभा सीटों पर महिला प्रत्याशियों को मौका बहुत कम दिया जाता है, लेकिन छोटे चुनाव नगर पालिका, नगर परिषद, जनपद पंचायत के चुनाव में जरूर महिलाओं को पार्टियों द्वारा मौका दिया जाता है। बताया जाता है छोटे चुनाव में महिलाओं के लिए सीट रिजर्व होती है, इसलिए उन्हें चुनाव में उतारा जाता है।
कांग्रेस ने इन महिलाओं को दिए हैं टिकट
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