इंदौर। प्रदेश (State) के मुखिया मोहन यादव (mohan yadav) ने शपथ (Oath) लेते ही सायबर तहसील (Cyber Tehsil) के मामलों पर सख्ती करना शुरू कर दी थी। इनके निर्देश के आधार पर विशेष ध्यान देते हुए मामलों को तय समयसीमा में निपटाने के निर्देश भी दिए गए थे, लेकिन अधिकारियों की मनमानी थमने का नाम नहीं ले रही है। इंदौर (Indore) में 280 मामले (280 cases) पटवारियों (Patwaris) की रिपोर्ट के बाद भी मामले दर्ज नहीं किए जा रहे हैं। नामांकन (Enrollment) के लिए तहसीलदारों (Tehsildars) द्वारा नए सिरे से आवेदन कराने के मामले सामने आ रहे हैं, जिसे देखते हुए एडीएम ने तहसीलदारों को नोटिस थमाए हैं।
प्रदेश में पायलट प्रोजेक्ट के तहत सायबर तहसील की शुरुआत की गई थी। इंदौर जिले को भी इसमें शामिल किया गया था। आवेदकों को रजिस्ट्री के साथ ही नामान्तरण कराने की सुविधा मिल सके, इसके निर्देश भी जारी किए गए थे, लेकिन अधिकारियों की मनमानी सभी नियमों पर भारी पड़ रही है। मुख्यमंत्री की महती योजना को इंदौर जिले के तहसीलदार बट्टा लगाने पर अमादा है। जिले में पटवारी रिपोर्ट के चलते 20 मई तक 280 आवेदन लम्बित पड़े हुए थे और इन पर कोई कार्रवाई नहीं की जा रही है। सायबर तहसील रिपोर्ट सामने आने के बाद अपर कलेक्टर रोशन राय ने सभी तहसीलदारों को पत्र लिखकर निर्देश दिए हैं कि वे आवेदनों के निराकरण में पटवारी रिपोर्ट जल्द से जल्द प्रस्तुत कराएं या कारण बताते हुए जवाब पेश करें। ज्ञात हो कि किसी भी खसरे की सम्पूर्ण भूमि के विक्रय होने पर सम्पदा साफ्टवेयर के माध्यम से भूमि के नामांतरण का मामला सायबर तहसील के माध्यम से सीधे दर्ज हो रहा है। भोपाल मुख्यालय से प्रदेश के विभिन्न जिलों के तहसीलदारों को जिम्मेदारी सौंपी गई है। उक्त आवेदन ऑनलाइन होने के बाद तहसील व पटवारी रिपोर्ट के लिए भेजा जाता है और रिपोर्ट आते ही नामांतरण दर्ज कर दिया जाता है।
कुछ रिपोर्ट के लिए अटके तो कई पर मनमानी हावी
जिले में सम्पदा साफ्टवेयर के माध्यम से जमीनों के क्रय विक्रय के मामले ऑनलाइन दर्ज होने के बावजूद भी नामांतरण आदेश नहीं किए जा रहे हैं। तहसीलदार द्वारा उक्त मामलों को दस्तावेज की कमी का हवाला देकर निरस्त कर रहे हैं। सामान्य मामले जिनमें कोई विवाद की स्थिति नहीं है, उन्हें भी निरस्त किया जा रहा है। विभागीय सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार कुछ मामले पटवारियों की लेटलतीफी के कारण अटके पड़े हैं तो कई मामलों में तहसीलदारों की मनमानी हावी है।
ऑनलाइन निरस्त, ऑफलाइन आवेदन
सायबर तहसील के मामले को निरस्त कराकर आवेदकों को आरसीएमएस पोर्टल के माध्यम से ऑफलाइन आवेदन करने को मजबूर किया जा रहा है। ज्ञात हो कि पूर्व में कलेक्टर ने अपर कलेक्टरों को अपने-अपने अधिकार क्षेत्र के तहसीलों की जांच सौंपी थी, जिसके बाद लम्बित मामलों का जखीरा सामने आया था और तहसीलदारों और पटवारियों पर कार्रवाई करते हुए वेतनवृद्धि रोकने, वेतन काटने के साथ-साथ कारण बताओं नोटिस भी थमाए गए थे। सूत्रों का कहना है कि अधिकांश मामले ऐसे हैं, जिनमें पटवारी रिपोर्ट बहुत पहले लग चुकी है, किन्तु तहसीलदार आवेदकों से बातचीत नहीं होने के कारण निरस्त कर रहे हैं।
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