इंदौर। शहर की शान रेसीडेंसी कोठी में राजसी एहसास आज भी बरकरार रहता है। यहां पर ठहरना खास लोगों की पहली पसंद है। 2 महीने से पीडब्ल्यूडी विभाग इस 200 साल पुरानी कोठी में रंग-रोगन के साथ इंटीरियर को भी संवारा है। प्रवासी भारतीय सम्मेलन के पहले रेसीडेंसी कोठी सज-संवरकर तैयार है।
रेसीडेंसी कोठी भवन आलीशान स्वरूप तो प्रदान करता ही है, यहां बने छोटे-बड़े 7 बगीचे, इसके आभामंडल को भव्यता प्रदान रहे हैं। इन बगीचों को संवारने में इंदौर विकास प्राधिकरण ने पिछले 1 महीने से यहां 100 से ज्यादा कर्मचारी लगाए हैं। बगीचों में हरी घास कारपेट का काम कर रही है। हजारों की संख्या में पौधारोपण भी किया गया है, जिससे इसकी छटा निखर गई है। देखने वालों को यहां पर्यटन स्थल जैसे नजारे का अनुभव भी हो रहा है। इंदौर में हो रहे प्रवासी सम्मेलन में मेहमान बाहर से आएंगे, वह रेसीडेंसी कोठी और यहां बने बगीचे को देखकर निश्चित सुखद और हेरिटेज स्थल का अनुभव करेंगे।
फ्लोर से लेकर वॉल पेंटिंग सब कुछ नया
रेसीडेंसी कोठी के निर्माण के समय पर विशेष ध्यान दिया गया था। लकड़ी के स्ट्रक्चर पर खड़े दो बड़े हाल और इस पर वुडन का फ्लोर, इस बार फिर से नया लगाया गया है। एसडीओ राजकुमार सविता ने बताया कि कोठी में 11 वीवीआईपी कमरों के पलंग, सोफे सभी को नया स्वरूप प्रदान किया गया है। परिसर में बने ओल्ड और न्यू रेस्ट हाउस भी संवर चुके हंै।
शाम को पक्षियों की चहचहाहट
कोठी परिसर में बने बगीचे और यहां लगे विशाल पेड़ आज भी पक्षियों का बसेरा बने हुए हैं। चहचहाहट भी रोज होती है। शाम होते ही तोता-मैना, मोर, बुलबुल, कोयल की आवाज सहज ही सुनाई देती है। पक्षी प्रेमी यहां आकर घंटों इनकी आवाज से मुग्ध होते देखे जा सकते हैं।
वीआईपी का मूवमेंट, देखरेख भी उसी अनुसार
कोठी में वीआईपी, वीवीआईपी का मूवमेंट बना रहता है। यहां पर प्रदेश सरकार व केंद्र सरकार के मंत्री अक्सर रुकना पसंद करते हैं। इसलिए देखरेख भी उसी अनुसार करना होती है। समिट के पहले नए स्वरूप में आकार दिया गया है।
-मनोज सक्सेना, कार्यपालन यंत्री पीडब्ल्यूडी
कोठी का विशेष स्थान, संवारना हमारा दायित्व, रेसीडेंसी कोठी प्रधानमंत्री, राष्ट्रपति, मुख्यमंत्री जैसी प्रमुख शख्सियत की पसंद रही है। आज भी देशभर के गणमान्य अधिकारी, जनप्रतिनिधि यहां पर आते हैं। समिट में भी गणमान्यजन को वही एहसास बना रहे, इसके लिए इसे नया स्वरूप प्रदान किया गया है। सीएस खरत , चीफ इंजीनियर पीडब्ल्यूडी
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