नई दिल्ली। अफगानिस्तान (Afghanistan) पर तालिबान के कब्जे का ‘जश्न’ मनाने वालों को इंडियन मुस्लिम फॉर सेकुलर डेमोक्रेसी (आईएमएसडी) ने आईना दिखाया है। उसने देश में तालिबान के ‘हमदर्दों’ की तीखी आलोचना की है। आईएमएसडी के अनुसार, तालिबान (Taliban) के कारण ही दुनियाभर में मुसलमानों को शर्मिंदगी का सामना करना पड़ा।
इंडियन मुस्लिम फॉर सेकुलर डेमोक्रेसी (IMSD) ने अफगानिस्तान में तालिबान के कब्जे पर ‘उत्साह’ दिखाने को ‘शर्मनाक’ बताया। सोमवार को उसने कहा कि यह वही तालिबान है जिसने इस्लाम के ‘सबसे क्रूर संस्करण’ को पेश किया। इससे दुनियाभर में न सिर्फ मुसलमान बदनाम हुआ बल्कि इसका ‘खामियाजा’ भी भुगतना पड़ा। अलग-अलग पेशे से जुड़े 138 बुद्धिजीवियों के हस्ताक्षर से जारी बयान में भारत सरकार से आग्रह किया गया है कि वह अफगानिस्तान के सभी धर्मों के लोगों के लिए अपने दरवाजे खोले।
बयान के अनुसार, ‘हिंदुस्तानी मुसलमानों के एक वर्ग और (कुछ) धर्म गुरुओं की ओर से तालिबान को लेकर दिखाया जा रहा उत्साह बहुत ही शर्मनाक है। इस फेहरिस्त में ऑल इंडिया मुस्लिस पर्सनल लॉ बोर्ड के पदाधिकारी जैसे मौलाना उमरैन महफूज रहमानी व मौलाना सज्जाद नोमानी और जमात-ए-इस्लामी-हिंद के लोग भी शामिल हैं।’
जावेद, शबाना, नसीरुद्दीन ने किया हस्ताक्षर
इस बयान पर हस्ताक्षर करने वालों में बॉलीवुड अभिनेत्री शबाना आजमी (Bollywood actress Shabana Azmi), उनके गीतकार पति व पूर्व सांसद जावेद अख्तर, अभिनेता जावेद जाफरी, नसीरुद्दीन शाह, डॉक्यूमेंट्री फिल्मकार आनंद पटवर्धन, सामाजिक कार्यकर्ता तीस्ता सीतलवाड़, फिल्म निर्देशक जोया अख्तर, इलाहाबाद हाई कोर्ट से रिटायर्ड जस्टिस न्यायमूर्ति अमर सरण और पत्रकार असकरी जैदी आदि प्रमुख हैं।
तालिबान पर डाला जाए दबाव
आईएमएसडी ने कहा, ‘हम वैश्विक समुदाय से आह्वान करते हैं कि तालिबान पर निर्णायक दबाव डालने के लिए ‘24×7 अफगानिस्तान वॉच’ शुरू करें ताकि तालिबान दुनिया को दिखाए कि वह इस बार सभी महिलाओं, पुरुषों और बच्चों की स्वतंत्रता और अधिकारों का सम्मान करेगा।’ संगठन ने सभी लोकतांत्रिक देशों, खासकर अमेरिका से अपील की कि वह अपने देश से भागने को मजबूर अफगानिस्तान के लोगों के लिए अपनी सीमाएं खोले।
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