भोपाल। विधानसभा उपचुनाव में हार चुकी महिला एवं बाल विकास मंत्री इमरती देवी एवं कृषि राज्य मंत्री गिर्राज दंडोतिया जल्द ही नैतिकता के आधार पर पद से इस्तीफा देंगे। इससे पहले दोनों मंत्री राज्यसभा सांसद ज्योतिरादित्य सिंधिया से मुलाकात करेंगे। सिंधिया की समझाइश के बाद दोनों नेता मंत्री पद छोड़ देंगे। इससे पहले चुनाव हारने के तत्काल बाद पीएचई मंत्री ऐंदल सिंह कंषाना इस्तीफा दे चुके हैं। आठ दिन बाद भी राज्यपाल ने उनका इस्तीफा मंजूर नहीं किया है। हालांकि उपचुनाव हारने वाले तीनों मंत्रियों को निगम-मंडलों में नियुक्ति दी जाएगी। इसका निर्णय भाजपा संगठन एवं मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान करेंगे। अभी तक भाजपा संगठन इसके लिए राजी नहीं है। क्योंकि भाजपा के कई नेता निगम मंडलों की लाइन में हैं। ऐंदल सिंह कंषाना ने उपचुनाव के परिणाम आने के तत्काल बाद मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान और भाजपा अध्यक्ष वीडी शर्मा से दूरभाष पर बात की और मंत्री पद से इस्तीफा दे दिया था। लेकिन इमरती देवी और गिर्राज दंडोतिया ने इस्तीफा नहीं दिया। कांग्रेस ही नहीं भाजपा के अंदर खाने उनके इस्तीफे की मांग उठने लगी है। भाजपा नेता प्रभात झा यह बयान दे चुके हैं कि चुनाव हारने के बाद मंत्री पर छोड़ देना चाहिए। हालांकि गिर्राज दंडोतिया और इमरती देवी 2 जनवरी 2021 तक मंत्री बने रह सकते हैं। क्योंकि उन्होंने 2 जुलाई को बिना विधायक के मंत्री पद की शपथ ली थी, वे छह महीने तक मंत्री रह सकते हैं। खबर है कि उपचुनाव परिणाम आने के बाद दोनों मंत्रियों की अपने नेता ज्योतिरादित्य सिंधिया से मुलाकात नहीं हुई है। सिंधिया से चर्चा के बाद यह तय होगा कि वे इस्तीफा देंगे या नहीं। खबर है कि सिंधिया चाहते हैं कि चुनाव हारने वाले दोनों मंत्रियों को निगम-मंडलों में एडजस्ट किया जाए। हालांकि सिंधिया ने इस संबंध में किसी तरह की प्रतिक्रिया नहीं दी है। संभवत: बुधवार को भाजपा प्रदेशाध्यक्ष वीडी शर्मा से दिल्ली में मुलाकात के दौरान इस मसले पर चर्चा की होगी। सूत्र बताते हैं कि यदि इमरती और गिर्राज को निगम मंडलों में एडजस्ट नहीं किया जाएगा तो फिर सिंधिया अपने खेमे के अन्य दो विधायकों को मंत्री बनाने का दावा कर सकते हैं। अब देखना यह है कि भाजपा संगठन सिंधिया की मांग को पूरी करता है या नहीं।
भाजपा संगठन झुकने को तैयार नहीं
फिहलाल भाजपा संगठन इसके लिए तैयार नहीं है कि गिर्राज दंडोतिया, इमरती देवी को निगम मंडल में एडजस्ट किया जाए। ऐंदल सिंह कंषाना को किसी निगम में नियुक्ति दी जा सकती है। भाजपा को डर है कि यदि सिंधिया समर्थकों को हारने के बाद भी निगम मंडलों में जगह दी जाती है तो फिर दावेदार नेताओं में नाराजगी हो सकती है। फिलहाल भाजपा संगठन इस मसले पर कोई निर्णय लेने की स्थिति में नहीं है। दोनों मंत्रियों के इस्तीफे के बाद निगम मंडलों में नियुक्ति का मामला नगरीय निकाय चुनाव तक टल सकता है।
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