इस्लामाबाद। अविश्वास प्रस्ताव पर मतदान(vote on no-confidence motion) पहले पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान (PM imran khan) ने एक विशाल रैली (Massive Rally) को संबोधित करते हुए दावा किया कि उनकी गठबंधन सरकार गिराने की ‘‘साजिश’’ में विदेशी ताकतों का हाथ है.
खान ने अपनी पार्टी पाकिस्तान तहरीक-ए-इंसाफ पार्टी (Pakistan Tehreek-e-Insaf) की रैली को इस्लामाबाद के परेड ग्राउंड में संबोधित करते हुए कहा कि देश की विदेश नीति तय करने के लिए विदेशी तत्व स्थानीय राजनेताओं का इस्तेमाल कर रहे हैं. उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि उनके दावों की पुष्टि करने वाला एक पत्र सबूत के तौर पर उनके पास है.
डेढ़ घंटे से भी अधिक लंबे अपने भाषण में खान ने कहा, ‘‘पाकिस्तान में सरकार बदलने के लिए विदेशी धन के जरिये कोशिश की जा रही है. हमारे लोगों का इस्तेमाल किया जा रहा है. ज्यादातर लोग इससे अनजान हैं लेकिन कुछ लोग हमारे खिलाफ इस धन का इस्तेमाल कर रहे हैं.’’ उन्होंने कहा, ‘‘हम जानते हैं कि हम पर दबाव बनने के लिए क्या कोशिश की जा रही है. हमें लिखित में धमकी दी गई है लेकिन हम राष्ट्रीय हितों से समझौता नहीं करेंगे. ’’
खान ने कहा, ‘‘मेरे पास जो पत्र है वह सबूत है और मैं इस पत्र पर संदेह करने वाले किसी भी व्यक्ति को इसे झूठा साबित करने की चुनौती देता हूं. हमें यह फैसला करना होगा कि कब तक हम इस तरह से जीएंगे. हमें धमकियां मिल रही हैं. विदेशी साजिश के बारे में कई चीजें हैं जो बहुत जल्द साझा की जाएंगी.’’ पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान ने रैली में विपक्ष पर निशाना साधते हुए कहा कि वे पिछले 30 सालों से एक दूसरे को बचाते चले आ रहे हैं और इसके लिए वे राष्ट्रीय सुलह अध्यादेश का उपयोग करते हैं. विपक्ष के तीन बड़े नेताओं का नाम लेते हुए उन्होंने कहा कि ये तीन चूहे दशकों से देश को लूट रहे हैं. ‘डॉन’ अखबार ने प्रधानमंत्री खान को उद्धृत करते हुए कहा कि गरीब देश पिछड़े हुए हैं क्योंकि सफेदपोश अपराध करने में संलिप्त अमीर लोगों को कानून वहां पकड़ने में नाकाम रहा है. वे लोग चोरी के और लूटे गये धन को विदेशी बैंकों में भेज देते हैं. कुछ चोर देश को उस तरह नष्ट नहीं करते, जैसे कि बड़े चोर करते हैं.’’ उन्होंने संभवत: पूर्व प्रधानमंत्री एवं पाकिस्तान मुस्लिम लीग-नवाज (पीएमएल-एन) के नेता नवाज शरीफ, पाकिस्तान पीपुल्स पार्टी नेता एवं पूर्व राष्ट्रपति आसिफ अली जरदारी और जमियत उलेमा ए इस्लाम के नेता फजलुर रहमान की ओर इशारा करते हुए कहा, ‘‘जो कोई भी है आये, मेरी सरकार या मेरी जान ही क्यों नहीं चली जाए मैं उन्हें नहीं माफ करूंगा.’’ खान की रैली लिए सरकार ने रविवार को विभिन्न शहरों से उनके समर्थकों के यहां पहुंचने के लिए विशेष ट्रेनों का इंतजाम किया था. विपक्षी दलों के नेशनल असेंबली सचिवालय में आठ मार्च को एक अविश्वास प्रस्ताव का नोटिस दिये जाने के बाद से पाकिस्तान में सियासी सरगर्मी बढ़ गई है. नोटिस में आरोप लगाया गया है कि प्रधानमंत्री इमरान खान नीत पाकिस्तान तहरीक ए इंसाफ पार्टी देश में आर्थिक संकट और बेतहाशा बढ़ती महंगाई के लिए जिम्मेदार है. इमरान खान सरकार द्वारा अपनी पार्टी के कार्यकर्ताओं को लाहौर और अन्य शहरों से लाने के लिए पाकिस्तान रेलवे से विशेष ट्रेनें चलाने का अनुरोध किया गया. खान के हजारों समर्थक ट्रेनों, सार्वजनिक वाहनों और निजी कारों से सत्तारूढ़ दल की ऐतिहासिक रैली में शामिल होने के लिए आए. खान की पार्टी का कारवां कराची, लाहौर, पेशावर और अन्य शहरों से आया तथा रैली में शामिल होने के लिए यह परेड ग्राउंड पहुंचा. इस रैली का आह्वान खान ने किया था क्योंकि वह विपक्षी नेताओं के एक समूह की कथित साजिश के खिलाफ अपनी लड़ाई लड़ने की कोशिश कर रहे हैं. इससे अलग, सोमवार को इस्लामाबाद में विपक्षी दलों का गठबंधन, पाकिस्तान डेमाक्रेटिक मूवमेंट (पीडीएम)भी एक राजनीतिक कार्यक्रम करने वाला है. पीडीएम में जमियत ए इस्लाम फज्ल और पाकिस्तान मुस्लिम लीग-नवाज शामिल हैं. पीडीएम ने एक दिन बाद अपना शक्ति प्रदर्शन करने का निर्णय किया है जो नेशनल असेंबली के सत्र के साथ-साथ होगा, जब सदन में औपचारिक रूप से अविश्वास प्रस्ताव लाया जाने वाला है. वहीं, पीएमएल-एन उपाध्यक्ष मरियम नवाज और उनकी करीबी रिश्तेदार हमजा शहबाज (शहबाज शरीफ की बेटी) के नेतृत्व में शनिवार को लाहौर से एक अन्य बड़ा विरोध मार्च शुरू किया गया. विपक्षी रैली में शामिल होने के लिए जीटी रोड होते हुए इसके सोमवार को इस्लामाबाद पहुंचने का कार्यक्रम है. मरियम ने अपने समर्थकों से कहा, ‘‘यह (मार्च ) इमरान खान नीत सरकार के ताबूत में आखिरी कील साबित होगा.’’ इमरान खान एक गठबंधन सरकार का नेतृत्व कर रहे हैं. खान के सहयोगी दल उनसे किनारा कर रहे हैं जबकि उनकी पार्टी के करीब दो दर्जन सांसद उनके खिलाफ बगावत कर रहे हैं. खान (69) की पार्टी के 342 सदस्यीय नेशनल असेंबली में 155 सदस्य हैं और सरकार में बने रहने के लिए कम से कम 172 सांसदों के समर्थन की जरूरत होगी.