इस्लामाबाद। सियासी संकट में फंसे पाकिस्तान(Pakistan) के प्रधानमंत्री इमरान खान (PM Imran Khan) देश के नाम संबोधन में गलती कर बैठे। उन्होंने विदेशी साजिश के अपने दावों को दोहराया और कहा कि एक विदेशी राष्ट्र उनकी स्वतंत्र विदेश नीति (independent foreign policy) के खिलाफ काम कर रहा है। लेकिन लाव संबोधन के दौरान वह अमेरिका का नाम ले बैठे। उन्होंने कहा, अमेरिका(US) ने, (फिर खुद को सुधारते हुए कहा) एक विदेशी राष्ट्र ने पत्र लिखा जो पाकिस्तान(Pakistan) की नीति के खिलाफ है। हालांकि उसके बाद उन्होंने अमेरिका(America) पर दूसरे तरह के आरोपों की झड़ी लगा दी।
अमेरिका पर जोरदार हमला भी बोला
इस दौरान इमरान ने अमेरिका पर जोरदार हमला बोला। उन्होंने कहा, मैं इसी कमरे में था जब हमसे कहा गया था कि अगर हमने अमेरिका की खिदमत नहीं की तो वे जख्मी रीछ की तरह हमें ही न मार दें। तब मैंने कहा था कि 9-11 में पाकिस्तान का कोई हाथ नहीं था। मैंने कहा था कि हम दहशतगर्दी के खिलाफ हैं और हमें उनकी मदद करनी चाहिए। इसका क्या ये मतलब है कि उनके लिए हम अपनों को कुर्बान कर दें। सबसे बड़ी गलती जनरल मुशर्रफ ने की। हम अमेरिका के सहयोगी थे और हम सोवियत के खिलाफ जंग लड़ रहे थे। यहां से कबायली गए और हमने उनकी हिमायत की। हमने उनसे कहा कि विदेशी अफगानिस्तान में जंग लड़ रहे हैं, हमें उसके खिलाफ जेहाद करना है। जब सोवियत चला गया तो वही अमेरिका जो हमारे साथ जंग लड़ रहा था, उसी ने हम पर प्रतिबंध लगा दिए।
इन्होंने मुझे तालिबान खान कहा
इस दौरान इमरान ने कहा, इन्होंने मुझे तालिबान खान कहा। जब मैंने अमेरिका के ड्रोन हमलों के खिलाफ विरोध किया तो मुझे तालिबान के साथ बताया गया। मैंने इसे जुल्म कहा। लेकिन हमारे सीनियर पॉलिटिशियंस ने कुछ नहीं कहा। उनका कहना था कि अमेरिका कहीं नाराज न हो जाए। अगर कोई बाहरी फैसला कर ले कि कौन कसूरवार है, कौन बेकसूर, तो यह सही नहीं। हमारी सरकारों ने अमेरिका के साथ सहयोग किया। हर तरफ पाकिस्तानियों ने मुसीबतें झेलीं।
अमेरिका ने दिया जवाब
वहीं, अमेरिका ने इमरान खान के आरोपों पर सफाई दी है। अमेरिकी राज्य विभाग के प्रवक्ता ने एएनआई से कहा कि इन आरोपों में कोई सच्चाई नहीं है। हम पाकिस्तान के घटनाक्रम पर बारीकी से नजर रख रहे हैं। हम पाकिस्तान की संवैधानिक प्रक्रिया और कानून के शासन का सम्मान और समर्थन करते हैं।
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