नई दिल्ली। खेल का मैदान हो या फिर कोई अंतरराष्ट्रीय मंच, भारत और पाकिस्तान (India and Pakistan) के बीच मुकाबला तगड़ा होता है, लेकिन क्या पाकिस्तान सही में आज भारत से मुकाबले के लिए बराबरी में है। आर्थिक तौर पर देखें तो भारत से मुकाबले में पाकिस्तान कहीं नहीं टिकता है। भारतीय अर्थव्यवस्था (Indian Economy) दुनिया में सबसे तेजी से बढ़ने वाली अर्थव्यवस्था में एक है, जबकि पाकिस्तान (Pakistan) कर्ज में डूबता जा रहा है।
जीडीपी ग्रोथ
GDP किसी भी देश की आर्थिक सेहत को मापने का सबसे सटीक पैमाना है। वित्त वर्ष 2021-22 की पहली तिमाही में भारत की जीडीपी ग्रोथ रेट रिकॉर्ड 20.1 फीसदी रही थी। जबकि दूसरी तिमाही में 8.4 फीसदी जीडीपी ग्रोथ रेट रही है. अनुमान लगाया जा रहा है कि चालू वित्त वर्ष में भारत की जीडीपी ग्रोथ 9 से 10 फीसदी रह सकती है। जबकि पाकिस्तान की जीडीपी ग्रोथ (Pakistan GDP Growth) 2021-22 के दौरान 3 से 4 फीसदी रहने का अनुमान लगाया जा रहा है।
कोरोना की वजह से दुनिया की इकोनॉमी प्रभावित हुईं, लेकिन कोरोना संकट के दौरान भारतीय अर्थव्यवस्था को रिकवरी देखने को मिली है, उससे दुनिया हैरान है. जबकि पाकिस्तान की इकोनॉमी दिनो-दिन और संकट में घिरती जा रही है। कोरोना संकट और लॉकडाउन से पाकिस्तान के मुकाबले भारत में आर्थिक गतिविधियां ज्यादा प्रभावित हुई थीं। जिस वजह से वित्त वर्ष 2020-21 में भारत की GDP ग्रोथ माइनस 7.3% फीसदी रही थी, जबकि पाकिस्तान की जीडीपी ग्रोथ इस दरम्यान 3.9 फीसदी थी।
अगर जीडीपी आकार की बात करें तो पाकिस्तान के मुकाबले भारतीय जीडीपी 10 गुना बड़ी है। साल 2020 में पाकिस्तान की जीडीपी (263,686.55 Millions Dollar) की थी, जबकि भारत की जीडीपी (2,622,983.73 Millions Dollar) की रही थी। फिलहाल वर्ल्ड इकोनॉमी में पाकिस्तान की हिस्सेदारी महज 0.23 फीसदी है।
पाकिस्तान में महंगाई बेकाबू
पाकिस्तान आर्थिक बदहाली का अंदाजा महंगाई के आंकड़ों से लगाया जा सकता है. पाकिस्तान में महंगाई (Pakistan Inflation) 9 फीसदी के आसपास बनी हुई है. जबकि भारत में महंगाई दर 6 फीसदी से नीचे है. वहीं पाकिस्तान की प्रति व्यक्ति आय घटकर 2021 में 1,260 डॉलर हो गई है, जो 2018 में 1,482 डॉलर थी।
FDI के मोर्चे पर भी झटका
पाकिस्तान से विदेश निवेशक भी मुंह मोड़ रहे हैं, इस साल जुलाई से अक्टूबर के बीच पाकिस्तान में कुल 662 मिलियन डॉलर का निवेश आया है, जबकि पिछले साल इसी दरम्यान पाकिस्तान में 750 मिलियन डॉलर का विदेशी निवेश आया था। जबकि भारत ने FY21 के दौरान रिकॉर्ड 81.7 बिलियन डॉलर विदेश निवेश (FDI) हासिल किया। यही नहीं, चालू वित्त वर्ष के पहले चार महीनों में कुल FDI प्रवाह 62 फीसदी बढ़ा।
स्टेट बैंक ऑफ पाकिस्तान की एक रिपोर्ट को मानें तो इस वर्ष अक्टूबर में पाकिस्तान का चालू खाता घाटा बढ़कर 1.6 अरब डॉलर के रिकॉर्ड स्तर पर पहुंच गया. यह आंकड़ा सितंबर की तुलना में काफी अधिक है. इसे पाकिस्तान की जीडीपी का 4.7 फीसदी बताया जा रहा है।
कर्ज में डूबता पाकिस्तान
पाकिस्तान का कुल कर्ज और देनदारियां 50.5 ट्रिलियन रुपये से अधिक हो गई हैं। एक रिपोर्ट में कहा गया है कि पहली बार पाकिस्तान का कुल कर्ज और देनदारी 50.5 ट्रिलियन पाकिस्तानी रुपये (पीकेआर) को पार कर गई. इस राशि में से 20.7 ट्रिलियन का कर्ज अकेले वर्तमान सरकार के माथे है, यानी इमरान सरकार के आने के बाद कर्ज में 70 फीसदी की बढ़ोतरी हुई है. यह पाकिस्तान के सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) से कहीं अधिक है. कर्ज के हिसाब से देखें तो देश के हर व्यक्ति पर जून 2018 में 1,44,000 रुपये बकाया था. लेकिन यही कर्ज अब सितंबर 2021 तक बढ़कर 235,000 रुपये हो गया है।
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