नई दिल्ली: भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) ने हाल ही में अमेरिका द्वारा टैरिफ में की गई बढ़ोतरी (US hikes tariffs) के भारत के एक्सपोर्ट पर पड़ने वाले प्रभाव के बारे में चिंता जताई है. आरबीआई की रिपोर्ट में बढ़े हुए टैरिफ को भारतीय एक्सपोर्ट के लिए संभावित बैरियर के रूप में देखा जा रहा है, जो बदले में डोमेस्टिक डिमांड और इकोनॉमी कंडीशन पर दबाव डाल सकता है. रिजर्व बैंक के नए बुलेटिन में इन बाहरी आर्थिक दबाव को लेकर सतर्क किया गया है.
केंद्रीय बैंक के एनालिसिस पता चलता है कि अमेरिका के टैरिफ प्लान (US Tariff on India) से अमेरिकी बाजारों में भारतीय वस्तुओं की मांग में कमी आ सकती है. इस तरह के घटना से उन सेक्टर्स पर असर पड़ सकता है, जो अमेरिका को एक्सपोर्ट पर बहुत ज्यादा निर्भर हैं, जैसे- कपड़ा और इंजीनियरिंग प्रोडक्ट्स.
रिपोर्ट में कहा गया है कि इस घटना ने यह संकेत दिया है कि भारत को नए बाजारों की खोज करना चाहिए और किसी एक अर्थव्यवस्था पर निर्भरता नहीं रहना चाहिए, बल्कि एक्सपोर्ट पोर्टफोलियो में विविधता लाने की आवश्यकता पर फोकस रखने की आवश्यकता है. RBI की रिपोर्ट में एक्सपोर्ट कंप्टीशन में खुद को बनाए रखने के महत्व पर फोकस किया गया है.
RBI बुलेटिन में कहा गया है कि हालांकि, कई ऐसी बातें हैं, जिसके बारे में जानकारी ज्यादा नहीं है. जैसे टैरिफ का प्रभाव, हमारे निर्यात और आयात मांग और सरकार द्वारा अपनाए गए नीतिगत उपाय जिनमें अमेरिका के साथ प्रस्तावित विदेशी व्यापार समझौता शामिल है. इनका असर क्या होगा, ये पता कर पाना कठिन हो जाता है. रिपोर्ट में आगे कहा गया है कि टैरिफ के कारण कुछ इंडस्ट्रीज में क्षमता से ज्यादा उत्पादन हो सकता है, क्योंकि आमतौर पर एक्सपोर्ट किए जाने वाले उत्पाद स्थानीय बाजार में भर सकते हैं. ये आपूर्ति कीमतों में कमी ला सकती है और मैन्युफैक्चरिंग कंपनियों के प्रॉफिट को कम कर सकती है.
RBI ने चेतावनी दी कि ये गतिशीलता भारत की आर्थिक सुधार को जटिल बना सकती है. खासकर तब जब देश वैश्विक महामारी के बाद के हालात से जूझ रहा है. भारतीय उद्योगों के लिए लाभ बनाए रखने के लिए नवाचार और लागत दक्षता पर फोकस करते हुए रणनीतिक बनाए रखना आवश्यक है. केंद्रीय बैंक एक्सपोर्ट ग्रोथ को बनाए रखने के लिए अन्य देशों के साथ ट्रेड डील को मजबूत करने की वकालता करता है.
इसके अतिरिक्त, RBI के विश्लेषण ने सुझाव दिया कि उत्पादकता बढ़ाने और उत्पादन लागत को कम करने वाले नीतिगत उपाय अमेरिका द्वारा लगाए गए टैरिफ के प्रभावों का मुकाबला करने में महत्वपूर्ण होंगे. इंटरनेशनल कंप्टीशन के संदर्भ में चीन और वियतनाम जैसे देश निर्यात बाजार में भारत के लिए चुनौती पैदा करते हैं. चीन के पास अमेरिकी बाजार में सबसे ज्यादा हिस्सेदारी है, जबकि वियतनाम अपनी एक्सपोर्ट पोटेशियल में तेजी से ग्रोथ कर रहा है.
आरबीआई की रिपोर्ट में मजबूत नीतिगत उपायों के महत्व पर जोर दिया है ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि भारतीय निर्यात वैश्विक स्तर पर प्रतिस्पर्धी बने रहें. आगे कहा गया है कि भारत नया आपूर्ति सर्किल बना सकता है. साथ ही FDI सोर्स, लचीलेपन की तलाश कर रहे ग्लोबल इन्वेस्टर्स के साथ जुड़ने के लिए तैयार है.
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