नई दिल्ली। कैंसर (Cancer) वैसे तो किसी भी प्रकार का हो, शरीर पर इसका काफी बुरा असर पड़ता है, लेकिन कुछ मामलों में पीड़ित इस गंभीर बीमारी से जीत जाते हैं, हालांकि ज्यादातर मामलों में ये जानलेवा साबित होता है। अब एक नई स्टडी में इसके इलाज में इस्तेमाल की जाने वाली दवा को लेकर एक नया दावा किया गया है। अमेरिका स्थित यूनिवर्सिटी ऑफ सिनसिनाटी (University of Cincinnati) की तरफ से किए गए क्लिनिकल परीक्षण (clinical trials)में पाया गया है कि मध्यम जोखिम (Medium risk) वाले सिर व गर्दन के कैंसर (head and neck cancer ) पीड़ितों के इलाज में जब इम्यूनोथेरेपी दवाओं (Immunotherapy drugs) का इस्तेमाल किया गया तो उनके बचने की दर में वृद्धि हुई. इस स्टडी का निष्कर्ष अमेरिकन एसोसिएशन फॉर कैंसर रिसर्च (American Association for Cancer Research) के जर्नल क्लिनिकल कैंसर रिसर्च (Clinical Cancer Research) में प्रकाशित किया गया है।
यूनिवर्सिटी ऑफ सिनसिनाटी (University of Cincinnati) में इंटरनल मेडिसिन की एसोसिएट प्रोफेसर तृषा वाइज -ड्रेपर (Trisha M. Wise-Draper)ने इस क्लिनिकल ट्रायल को लीड किया है।
क्या कहते हैं जानकार
प्रोफेसर तृषा वाइज -ड्रेपर (Trisha M. Wise-Draper) का कहना है कि ये परीक्षण मरीजों के इलाज में पेंब्रोलिजुमाब (Pembrolizumab) दवा को शामिल करने पर केंद्रित रहा. यह दवा कीट्रूडा (keytruda) के नाम से बेची जाती है, जो कैंसर इम्यूनोथेरेपी में इस्तेमाल की जाने वाली एक एंटीबॉडी है. पेंब्रोलिजुमाब उन रिसेप्टर्स को निशाना बनाती है, जो बीमारी से लड़ने में मददगार ह्यूमन इम्यून सिस्टम को नुकसान पहुंचाते हैं. इसका विकास कई प्रकार के कैंसर के इलाज के लिए किया गया है. ये प्रारंभिक तौर पर सिर व गर्दन के कैंसर के इलाज में भी कारगर साबित हुई है।
इस स्टडी के प्रारंभिक निष्कर्षों ने बताया है कि ये दवा इलाज में 20 प्रतिशत असरदार है. वाइज-ड्रेपर के अनुसार, ‘हम दावा नहीं कर सकते कि इसके इस्तेमाल से मरीज ठीक हो जाएगा, लेकिन इसने दीर्घकालिक प्रतिक्रिया दी है।’
कैंसर के खतरे को काफी हद तक जीवन शैली में बदलाव कर टाला जा सकता है. इसके लिए आपको अपनी इच्छा, लाइफस्टाइल और डाइट पर कंट्रोल करने के साथ-साथ रेगुलर एक्सरसाइज करना भी जरुरी है. अनियंत्रित जीवन शैली जिस तेजी से बढ़ी है, उसी तेजी के साथ कैंसर के मरीज बढ़े हैं. ज्यादातर कैंसर के मामले और मौत विश्व के कम विकसित क्षेत्रों में सामने आए हैं।
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