नई दिल्ली: यूरोप और यूएस (Europe and US) में आर्थिक मंदी की आशंका के बीच एशियाई देशों (Asian countries) के लिए चिंता बढ़ गई है क्योंकि अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष ने एशिया की आर्थिक विकास दर (economic growth rate) भी धीमी रहने की संभावना जताई है. IMF ने कहा यदि वैश्विक अर्थव्यवस्था (Global Economy) प्रतिद्वंद्वी व्यापारिक ब्लॉकों में बंट जाती है, तो एशिया विशेष रूप से बड़े नुकसान की चपेट में आ जाएगा.
इंटरनेशनल मॉनेटरी फंड ने चीन की अर्थव्यवस्था में बड़ी गिरावट का अनुमान लगाया है. वहीं, कमजोर वैश्विक संकेतों के चलते एशिया की आर्थिक विकास दर में कटौती की है. आईएमएफ ने एशिया की संभावित विकास दर को कम करते हुए 2022 में इसे 4 फीसदी कर दिया है. 2021 में यह दर 6.5 फीसदी थी. जबकि 2023 में इसके 4.3 फीसदी रहने की संभावना है. यह पिछले 20 वर्षों में देखी गई 5.5% की औसत दर से काफी कम है.
चीन अब भी पूरी तरह से कोरोना संकट से उभर नहीं पाया है. इंटरनेशनल मॉनेटरी फंड ने संभावना जाहिर की है कि चीन की विकास दर इस साल 3.2 फीसदी रह सकती है जो पिछले साल 8.1 प्रतिशत थी. वहीं, अगले साल इसकी रफ्तार 4.4 फीसदी रहेगी जबकि 2024 में 4.5 फीसदी रहेगी.
‘एशिया एंड द ग्रोइंग रिस्क ऑफ जियोइकॉनॉमिक फ्रैगमेंटेशन’ शीर्षक वाली अपनी रिपोर्ट के एक हिस्से में आईएमएफ ने चेतावनी दी है कि व्यापार नीति अनिश्चितता और राष्ट्रीय सुरक्षा से जुड़ा तनाव शुरुआती संकेत पैदा कर रहा है जो निवेश, रोजगार, विकास और विकास दर को प्रभावित करेगा. IMF के एशिया विभाग के निदेशक कृष्ण श्रीनिवासन ने एक इंटरव्यू में कहा, “व्यापार विखंडन वैश्विक अर्थव्यवस्था और विशेष रूप से एशियाई अर्थव्यवस्था के लिए एक बड़ा जोखिम है.”
दरअसल आईएमएफ ने मार्च 2022 में संयुक्त राष्ट्र महासभा के वोट की तर्ज पर दुनिया को ब्लॉकों में विभाजित किया था, इनमें कई राष्ट्रों ने रूस से यूक्रेन पर अपने आक्रमण को समाप्त करने की मांग की थी. उसी विश्लेषण के आधार पर, आईएमएफ ने यह पाया कि व्यापार से संबंधित नुकसान दो ब्लॉकों में विभाजित दुनिया के लिए महत्वपूर्ण होंगे, क्योंकि ये एक-दूसरे राष्ट्रों के साथ व्यापार को प्रतिबंधित करते हैं.
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