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शिक्षक के बिना समृद्ध एवं सभ्य समाज की कल्पना निराधार

September 27, 2021

  • जैन आराधना भवन में शिक्षकों का हुआ सम्मान

नलखेड़ा। शिक्षक के बिना आप समृद्ध एवं सभ्य समाज की कल्पना नहीं कर सकते। जीवन में शिक्षक और सड़क दोनों एक जैसे ही हैं जो खुद जहां है वहीं रहते हैं, मगर दूसरों को उनकी मंजिल तक पहुंचा ही देते हैं। एक समय वह था जब नैतिकता व प्रेम की नींव पर ही शिक्षा की इमारत खड़ी होती थी लेकिन वर्तमान शिक्षा पद्धति में लाइफ, लव, लैंड का अभाव दिखाई दे रहा है। उक्त प्रेरक विचार जैन आराधना भवन में रविवार को जैन शिक्षकों के सम्मान कार्यक्रम में मुक्तिदर्शना की शिष्या निरागदर्शना ने अपने प्रवचन के दौरान व्यक्त किए। साध्वीजी ने कहा कि शिक्षक किताबी ज्ञान के साथ जीवन जीना सिखाते हैं, बच्चों को आदर्शों की मिसाल बनाकर उनके बाल जीवन को सवारता है, सदाबहार फूल सा खिला कर उनके जीवन को महकाता है। नित नए प्रेरक आयाम देकर हर पल भव्य बनाता है, वहां शिक्षक ही है। उन्होंने कहा कि पहले के जमाने में बड़े-बड़े राजा महाराजा अपने बच्चों को गुरुकुल में शिक्षा अध्ययन के लिए भेजते थे उस समय उनके बच्चों की उम्र 7-8 वर्ष हुआ करती थी लेकिन वर्तमान समय में माता-पिता अपने दो-ढाई वर्ष के बच्चों को ही स्कूल में भेज रहे हैं यही कारण है कि बच्चों में जो संस्कार होना चाहिए उसका अभाव बच्चों में दिखाई पड़ रहा है। साध्वीजी ने कहाकि प्राचीन शिक्षा पद्धति में बच्चों को जीवन कैसे जीना, सभी पर प्रेम रखना तथा नैतिकता का पाठ पढ़ाया जाता था।



लेकिन वर्तमान शिक्षा पद्धति में बच्चे शिक्षा पूर्ण होने के बाद लाइफ (जीवन) में आने वाली कठिनाइयों का सामना कैसे करना यहां नहीं सिखाया जाता है वही जीव मात्र से लव (प्रेम) रखना यहां भी आजकल की वर्तमान शिक्षा में सिखाया नहीं जा रहा है। जीवन में नैतिकता के स्तर (लैंड) को किस प्रकार बराबर रखना यहां भी वर्तमान शिक्षा में नहीं सिखाया जा रहा है यही कारण है कि हमारे बच्चों में जो संस्कार होना चाहिए वहां दिखाई नहीं दे रहे हैं। उन्होंने कहा कि जिस प्रकार माता के गर्भ में शिशु आने पर वह 9 माह तक अपने जीवन के सभी शोक को छोड़कर मर्यादित एवं संयमित जीवन निर्वाह करती है। उसी प्रकार शिक्षक को भी मर्यादा में रहकर शिक्षा प्रदान करना चाहिए क्योंकि शिक्षक जब खुद संस्कारित होकर बच्चों को पढ़ाते हैं तो बच्चे भी संस्कारित होंगे। शिक्षा के क्षेत्र में अपना योगदान देने वाले जैन शिक्षकों का सम्मान समारोह कार्यक्रम रविवार को जैन आराधना भवन में साध्वी मुक्तिदर्शना आदि साध्वी मंडल तथा समाजजनों की उपस्थिति में महेंद्रकुमार मथुरालाल जैन (सारोला वाले) आगर की ओर से किया गया। कार्यक्रम में सकल जैन समाज के शिक्षक तथा शिक्षिकाओं का बहुमान कर उन्हें सम्मानित किया।

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