इंदौर, राजेश ज्वेल। बीते कई सालों से मध्यप्रदेश का चर्चित औद्योगिक लोन घोटाला सुर्खियों में रहा है। इंदौर सहित प्रदेश के कई बड़े औद्योगिक घरानों ने तत्कालीन दिग्विजय सिंह सरकार ने इंटर कॉर्पोरेट डिपोजिट स्कीम के तहत 719 कोड़ के लोन बांटे थे और अब यह राशि ब्याज-बट्टे के साथ 5 हजार करोड़ का आंकड़ा पार कर चुकी है, जिसमें इंदौर के भंडारी बंधुओं की अल्पाइन इंडस्ट्रीज पर भी 100 करोड़ रुपए से ज्यादा बकाया हैं। दिग्गी ने अपने मित्र को यह लोन दिलवाया था। हालांकि बीते कुछ वर्षों से अल्पाइन इंडस्ट्रीज को परिसमापन में ले रखा है और हाईकोर्ट में भी इसकी प्रक्रिया चल रही है। दूसरी तरफ अल्पाइन से जुड़े कर्ताधर्ताओं ने तथाकथित 2014 के त्रिपक्षीय आधार पर अवैध रूप से कॉलोनी काटकर भूखंडों का विक्रय शुरू कर दिया, जिसके चलते अभी मध्यप्रदेश राज्य औद्योगिक विकास निगम लिमिटेड यानी एमपीएसआईडीसी ने जाहिर सूचना के माध्यम से आपत्ति ली है।
अल्पाइन इंडस्ट्रीजलिमिटेड की धार के पीथमपुर में सर्वे नं. 305/1, 305/2, 306, 308/2, 309, 310, 311, 313 और 399 की कुल रकबा 5.311 हेक्टेयर जमीन एमपीएसआईडीसी ने अपने कब्जे में ले ली थी, क्योंकि अल्पाइन लिए गए ऋणों के पुनर्भगतान में नाकाम रही। लिहाजा स्टेट फाइनेंशियल कॉर्पोरेशन एक्ट 1959 की दारा 29 के तहत इन जमीनों का अधिग्रहण 2004 में ही कर लिया था, जिसके चलते मालिकाना हक और आधिपत्य एमपीएसआईडीसी का ही हो गया, जिसके चलते अल्पाइन इंडस्ट्रीज लिमिटेड या उसके निदेशकों, प्रवर्तकों अथवा अन्य किसी व्यक्ति-संस्था का कोई हक या स्वामित्व शेष नहीं बचता है। यहां तक कि इंदौर हाईकोर्ट ने कम्पनी पीटीशन क्रमांक 25/1998 में दिए गए अपने आदेश दिनांक 08 फरवरी 2017 के जरिए अल्पाइन इंडस्ट्रीज के परिसमापन के आदेश को पारित किया और साथ ही सरकारी परिसमापक की नियुक्ति भी कर दी और वर्तमान में इंदौर हाईकोर्ट के समक्ष ही कम्पनी के सभी विषय विचाराधीन भी हैं। लिहाजा किसी भी सम्पत्ति के संबंध में बिना हाईकोर्ट अनुमति के किया गया व्यवहार अवैध और शून्य माना जाएगा।
मगर पिछले दिनों मध्यप्रदेश राज्य औद्योगिक विकास निगम लिमिटेड को यह पता लगा कि अल्पाइन इंडस्ट्रीज की जमीन की अवैध खरीद-फरोख्त की जा रही है और कतिपय लोग त्रिपक्षीय अनुबंध 15.01.2014 को दिखाकर यह खरीदी-बिक्री कर रहे हैं, जबकि हकीकत में यह अनुबंध निरस्त हो चुका है। लिहाजा इस जमीन पर व्यवसायिक या रहवासी कॉलोनी विकसित कर भूखंडों का अवैध रूप से जो विक्रय किया जा रहा है वह अवैधानिक और आपराधिक कृत्य का है। इस आशय की बकायदा जाहिर सूचना अभी दो दिन पहले एमपीएसआईडीसी ने जारी करते हुए उक्त जमीन के संबंध में किसी तरह का व्यवहार ना करने की चेतावनी दी है, क्योंकि इन जमीनों के संबंध में कोई भी व्यवहार, बयाना, अनुबंध क्रय-विक्रयअवैधानिक तो रहेगा ही। साथ ही हाईकोर्ट के समक्ष भी अवैध होकर शून्य माना जाएगा। उल्लेखनीय है कि अल्पलाइन इंडस्ट्रीज इंदौर के ही जाने-माने कारोबारी जम्बू भंडारी व अन्य की है, जो तत्कालीन मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह के नजदीकी मित्र भी रहे और उस दौरान एमपीआईडीसी के ही तत्कालीन प्रबंध निदेशक और पूर्व मुख्य सचिव एसआर मोहंती भी इस आईसीडी घोटाले में उलझे हैं और अभी भी उनके खिलाफ जांच जारी है। अल्पाइन के अलावा इंदौर की ही अन्य फर्मों को भी इसी तरह करोड़ों रुपए लोन देकर लुटाए और 719 करोड़ का ये औद्योगिक लोन घोटाला अब 5 हजार करोड़ रुपए का आंकड़ा पार कर चुका है।
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